स्टार न्यूज में आजकल गजब की हलचल है। तनाव है। कोहराम-सा आलम है। टीआरपी बढ़ाने की जिद है। छंटनी करने की जिद है। आपातकालीन मीटिंग हो रही है। बंदे हड़काए जा रहे हैं। काम करने की घुट्टी पिलाई जा रही है। क्यों न छंटनी कर दी जाए की धमकी सुनाई जा रही है।
सुविधाएं खत्म हो रही हैं। पहले फाइव डेज वीक होता था। अब सिक्स डेज कर दिया गया। चुपचाप। एक-एक टीम लीडर को बुलाकर इसे इंप्लीमेंट करने को कह दिया गया। लोग कम होते जा रहे हैं। कई लोग दाएं-बाएं देख चुके। कई देख रहे हैं। कई जाने की तैयारी में हैं। काम का बोझ बढ़ रहा है।
टीआरपी गिर रही है। चिंता ही चिंता। तनाव ही तनाव। राम-राम। जय राम। जय-जय राम। ईश्वर अल्ला तेरो नाम। सबको सनमति दे भगवान। बॉस काफी टेंस हैं। टेंशन में हैं। लोग डरने लगे हैं।
हर एक जन अपनी जान खतरे में मान रहा है। कुछ न कुछ तो होगा। जल्द होगा। कब होगा। बस होगा। हो रहा है। कई गए। निकाल दिए गए। टेक्निकल वाले। एडिटर। कइयों की लिस्ट है।
मस्ती बहुत हो गई। काहिलों। कत्ल होने के आदेश पर क्यों न हस्ताक्षर कर दिए जाएं। कब तक तलवार के वार को रोके रखा जाएगा। कोई तो बहाना हो। टीआरपी तो लाओ। पर नहीं ला रहे। मूर्खाधिराज। लदो। निपटो। बहुत हुई मस्ती। नहीं रहेगी ये सस्ती। अब बंद। खेल खत्म। जो करेगा, टिकेगा। जो भारबंदर होगा वो पोरबंदर जाएगा।
अब बस।
बहुत हो गया।
टीआरपी लाओ जनाब…
टीआरपी लाओ……………..
टीआरपी लाओ………………………..
टीआरपी लाओ……………………………………………………।
वरना… वरना…….वरना………
((हे भगवान…. जाने क्या हो रहा है… इस ‘वरना’ का हर शख्स जवाब ढूंढ रहा है. इस ‘वरना’ से हर शख्स डर रहा है. इस ‘वरना’ ने रातों की नींद गायब कर रखी है. दिमाग के आसपास की नसें चौबीस घंटे में एकाध बार फड़क ही जाती हैं. अशुभ. घोर अशुभ. जाने कहां गए वो दिन वरना ये ‘वरना’ नहीं आता. अगर आपके पास कोई उत्तर हो तो भेजिएगा. फिलहाल तो मैं जहां कहीं एकांत पा रहा हूं, ब्रेन हैमरेज से बचने के लिए यही गा रहा हूं….. कभी चिल्ला-चिल्ला के, कभी-कभी सुर-तरन्नुम में, ये गा रहा हूं…..
ये….
….ईश्वर-अल्ला तेरो नाम…
सबको सनमति दे भगवान…..
जय-जय राम…
हे राम…
श्रीराम…
घनश्याम….
कृपानिधान…
मोरे राम…
जय-जय राम…….
कोई कितनी देर गा सकता है भला।
पता नहीं आजकल उपर वाले का भी कान ठीक है या नहीं। सुनता है या नहीं भाई। कोई भरोसा नहीं। चरम बाजारवाद है। मर्डोकवा कहीं उपरों वाले को भी मैनेजमेंटवा का पार्ट तो नहीं बना लिहिस…. ??? का जाने कुछऊ हो सकता है….. अब्बर अदमी, गब्बर बजार….. जाने कइसा हो गया संसार…. अब्बर देउता, गब्बर बजार…. जाने कइसा हो गया संसार….
कोई कितनी देर गा सकता है भला। गाने के बाद चुप होना ही पड़ता है। चुप होते ही फिर वही भूत सवार…..
वरना…..!
वरना……!!
वरना………….!!!
उफ्फफफफफफ!!!!!!!!!!!!!
लगता है मर्डोकवा मरवाएगा ससुरा।
वैसे उ का बोलेगा। ओके तो काले भाई लोग समझा रिए होंगे। उ तो महान है। पर हमरे करियवे बेइमान हैं। अंगरेज रहें तब करियवे बइमान। अंगरेज गयें तब्बो करियवे बइमान। अब लगता है कि देस छोड़ गए गोरके पर लग्घी से पानी पिलाना नहीं भूले…। उहंवे से विनिवेश कर रहे हैं। शासन का। सत्ता का। उनके प्रताप को देखकर बलमा बेईमान करियवे झूम बराबर झूम शराबी होई गए हैं। लौंडा बदनाम हुआ, नसीबन तेरे लिए। चल उड़ जा रे पंछी। ये देस हुआ बेगाना। जय हनुमान ज्ञान गुण सागर…..। भूत पिशाच निकट नहीं आवे….। कुछ नहीं। जो होगा देखा जाएगा। वरना क्या? वरना क्या जी?? वरना वरना क्या लगाय रहे हैं जी???? ज्यादा न बोलिएगा। नोकरी से निकाल दीजिए इकट्ठे। हलाल न करिए धीरे-धीरे। खचाक से मार दीजिए। कम से कम रोज रोज मरने से त मुक्ति मिलेगी। (आजकल मने मन प्रेक्टिस चल रही है… मने मन मोनक्का, मने मन छोहारा… ससुरी सांस को खींच खींच के प्रेक्टिस)
जय हिंद……। जो होगा देखा जाएगा। एगो ब्लाग-वेबसाइट हमहूं खोल लेंगे….।। फिर हर खून का बदला लेंगे….।।। जय भारत। आप भी बोलिए….। जय हिंद…….. जय भारत…..
स्टार न्यूज के कई (कुछेक पूर्व-कुछेक वर्तमान) पत्रकारों से द्विपक्षीय नशे की अवस्था में संपन्न हुई बातचीत उर्फ बतकुच्चन पर आधारित, कृपया इस लिखे में बीच-बीच में स्मृति लोप-सा दिखे तो उसे नशे की अधिकता में ली गई झपकी से आया पूर्ण या अर्द्ध सन्नाटा उर्फ सांय-सांय मान लें.
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