डॉ. अभिज्ञात की कहानी ‘मनुष्य और मत्स्यकन्या’ पर युवा फिल्मकार संजय झा फिल्म बनाने की कवायद शुरू कर रहे हैं. विज्ञान की नयी चुनौतियां और उसे लेकर उठे नये प्रश्नों के कारण यह कहानी चर्चित हुई. इसकी पटकथा पर काम शुरू करने के लिए उन्होंने डा. अभिज्ञात से इजाजत मांगी है. उल्लेखनीय है कि डा. अभिज्ञात का कहानी संग्रह ‘तीसरी बीवी’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है.
संजय झा की पहली फिल्म ‘प्राण जाये पर शान न जाये’ रही. ‘strings – bound by faith’ दूसरी फिल्म थी. अभी राहुल बोस और विनय पाठक के साथ उन्होंने ‘मुंबई चकाचक’ बनाई है. यह फिल्म रिलीज के इंतज़ार में हैं. निडर तेवर और प्रयोगशील विषयों की वजह से संजय झा को भले ही अब तक व्यावसायिक सफलता नहीं मिली हो पर ‘नए सिनेमा’ की तलाश में मुंबई मायानगरी में उनका संघर्ष जारी है.
संजय झा का कहना है कि ‘मनुष्य और मत्स्यकन्या’ कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी और मैं अपनी नयी फिल्म के लिए ऐसी ही किसी कहानी की तलाश में था. इस कहानी में एक जबरदस्त फिल्म की संभावना है. मुझे इस कहानी का जो एबसर्ड जादुई सच है और साथ ही साथ जो यथार्थ है वो बहुत आकर्षक लगा. अपनी कथानक की विशेष बैकग्राउंड की वजह से चूंकि ये एक महंगी फिल्म होगी और साइंस का छात्र होने की वजह से इसमें उपयोग होने वाले शोध से भी परिचित हूं. फिर भी मैं इस कहानी पर फिल्म बनाना चाहूंगा.