चंडीगढ़ के हिंदी न्यूज चैनलों के पत्रकार आज बहुत खफा हैं। उनकी नाराजगी बीजिंग ओलंपिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा से है। निशानेबाजी के मास्टर अभिनव ने आज मीडिया वालों को अपने आवास पर बुलाया। मुद्दा था खेल मंत्रालय को अभिनव द्वारा लिखा गया पत्र। इस पत्र में उन्होंने कामनवेल्थ गेम्स के ट्रायल से खुद को मुक्ति देने की मांग की है। मीडिया के लोग सुबह घर पहुंचे थे तो उन्होंने आज दो बजे दोपहर में उन्हें बुलाया। सारे बड़े हिंदी-अंग्रेजी न्यूज चैनलों के रिपोर्टर और कैमरामैन अभिनव के यहां नियम समय पर पहुंचे। अभिनव ने अपनी पूर्व लिखित बात, अंग्रेजी में पढ़ कर मीडिया के सामने सुना दिया।
अंग्रेजी मीडिया वालों का तो काम हो गया क्योंकि अभिनव की सारी बात अंग्रेजी में थी। हिंदी न्यूज चैनलों के प्रतिनिधियों ने अभिनव से हिंदी में कुछ सवाल पूछे तो अभिनव इनकी उपेक्षा कर अंग्रेजी मीडिया वालों की ओर ही देखते रहे। कुछ हिंदी न्यूज चैनलों के रिपोर्टरों ने अभिनव से अनुरोध किया कि वे अपनी कुछ बात हिंदी में कह दें ताकि वे अपने हिंदी न्यूज चैनल पर हिंदी भाषा में दर्शकों को उनकी बाइट दिखा सकें। अभिनव पर उनके अनुरोध का कोई असर नहीं पड़ा। एक रिपोर्टर ने प्रस्ताव किया कि अगर वे अपनी अंग्रेजी की कापी दे दें तो उसका हिंदी अनुवाद लिखकर उन्हें दे दिया जाएगा फिर वे उसी को पढ़ दें। अभिनव अविचल रहे। वे लगातार अंग्रेजी मीडिया से ही मुखातिब रहे, कुछ इस तरह जैसे उनके लिए हिंदी मीडिया के कोई मायने नहीं।
हिंदी न्यूज चैनलों के प्रतिनिधियों ने जब हिंदी में बोलने के लिए ज्यादा दबाव बढ़ाया तो अभिनव खिन्न मन से और उपेक्षा भरी नजर हिंदी वालों पर फेरकर चले गए। हिंदी टीवी जर्नलिस्टों का कहना है कि अभिनव को हिंदी और पंजाबी भी अच्छी तरह से आती है पर न जाने क्या है इन लोगों को कि जब ये एक मुकाम पर पहुंच जाते हैं तो सिर्फ अंग्रेजी में ही खाने-पीने-जीने लगते हैं।
अभिनव के व्यवहार से नाराज हिंदी रिपोर्टर और कैमरामैन वहां से भरे मन से लौट गए। एक बड़े हिंदी न्यूज चैनल के रिपोर्टर ने भड़ास4मीडिया से कहा कि अगर ये लोग हिंदी की इतनी उपेक्षा करते हैं तो हम क्यों इन्हें चैनल पर दिखाते हैं। कायदे से हमें भी इन अंग्रेजीदां लोगों का बहिष्कार कर देना चाहिए। जिस देश की मातृ भाषा हिंदी हो और सबसे बड़ी आबादी हिंदी की हो, वहां अंग्रेजी में ही बात करने की जिद करना कौन-सी शराफत है।
मौके पर आज तक, एनडीटीवी इंडिया, इंडिया टीवी, आईबीएन7, सीएनईबी, सहारा समय, सीएनईबी, जी न्यूज के ब्रजमोहन सिंह, विशाल मोगां, सलिल खन्ना, आदित्य चौधरी, भूपेंद्र नारायण आदि मौजूद थे। ये सभी रिपोर्टर और कई कैमरामैन अभिनव के यहां से लौटते वक्त बेहद दुखी और हताश थे। अगर इनकी सामूहिक पीड़ा इनके न्यूज चैनलों के संपादकों तक पहुंच रही हो तो कृपया वे भी सोचें कि आखिर हिंदी के प्रति ऐसा व्यवहार रखने वाले किसी शख्स को, चाहे वो भले ही कितना भी बड़ा खिलाड़ी या स्टार हो, हमें क्यों तरजीह देनी चाहिए।
ambuj
January 16, 2010 at 2:39 pm
is prakar ke khiladiya ki byte dikhkar inka prachar karna vyartha hai.
jo matra bhasa ka nahi vo desh ka nahi
jai hind
Mahabir Seth
January 16, 2010 at 4:01 pm
जब हिंदी की बयार चल रही है. चारों ओर हिंदी ही हिंदी है . क्या ब्लॉग, क्या वेबसाइट. सब कुछ तो हिंदी में है . अभिनव बिंद्रा को पंजाबी और हिंदी बहुत अछ्छी आती है, बावजूद इंगलिश की जिद समझ से परे है ….जबकि पंजाब अपनी माँ बोली के लिए सभी ko प्रेरित कर रहा है …. तो भाई बिंद्रा जी आपसे यही गुजारिश है की माँ बोली को कभी मत भूलो, और इंगलिश भी याद रखो
जय हो भारत माता की …. जय हो हिंदी की …. जय हो माँ बोली की
rajeev tripathi
January 16, 2010 at 4:42 pm
abhinav bindra bhale hi bahut bade player ho, lekin unki pehchan ek rude player ke roop me ki jati rahi hai. isse pehle bhi weh hindi newspaper aur hindi channels ki insult kar chuke hain. hum unhe desh ki shan aur bharat ka beta kehte hain. kya bharat ki shan ke yahi sanskar hain ki weh apni matrabhasha ki izzat bhi nahi kar sakte. vastav me ab hume sochna hoga ki iss tarah ke bigral players ke sath kya salook kiya jaye. kam se kam jis tarah se ye humari insult karte hai, hum bhi inhe space na dekar inki insult kar sakte hai, phi bhale hi wah olympic gold medalist hi kyon na ho.
Amit Modi
January 16, 2010 at 5:08 pm
ये आज कल के लडके क्या समझे गे हिंदी की महत्ता को ,ये पड़े लिखे अंग्रेज लोग, जो अपनी भाषा नहीं बोल सकते वो क्या नयी सीख देंगे देश को
suresh bishnoi
January 17, 2010 at 10:00 am
morning main akhbar pada to socha hockey k bad ab abhinav wali khabar par sarkar ki khub ma-bhen ki ja sakti hai, lekin bhadas par khabar pad kar to vichar bilkul ulte ho gaye . ab pahle to es angrej k ollad ki uttari jaye pher sarkar ki. dono main ak karela hai to dusara neem.
pankaj
January 18, 2010 at 5:38 am
hindi ke jhandabardaro pahle apne main to sudhar kar lo , aap log apne bachhon ko to hindi sahi dhang se sikhate nahi ho unko to angla bhasha main padhne par hi joor dete ho. rahi baat abhinav bindra ki to woh to aisa karega hi kyonki uski to parvarish hi aise hi mahool main hui hai wo to ek sabhrant pariwar main hi paida hua hain, unke samaj main to hindi bolne walon ko to hamesha hi hikarat ki nazaron se dekha jata tha.
sanjay mishra editor mumbai news
January 18, 2010 at 11:59 am
एक कहावत है कि अंग्रेज़ गए लेकिन औलाद छोड़ गए और कुछ हिन्दुस्तानी रह गए जिनके दिमाग बह गए, ठीक उसी तरह अभिनव जी का भी दिमाग शायद बह चूका है यद्दपि उन्हें हिदी और पंजाबी अच्छी तरह से आती है तब भी वे अंग्रेजी ही बोलते रहे , आखिर क्यों अभिनव जैसे हिन्दुस्तानी यह भूल जाते हैं कि हिंदी हमारे देश की राष्ट्र भाषा है बावजूद इसके वे हिंदी भाषा को जरा भी तवज्जो नहीं देते. आखिर वे साबित क्या करना चाहते हैं ?
neeraj ojha
January 18, 2010 at 12:25 pm
aise muqam pe pahunch jane ke baad aapki zimmedariyan bhi badh jati hain, jab aap medal late ho to desh ke dil se jud jate ho aur agar hindi me bolte ho desh ke do tihai logo se judte ho. aap per hindi bolne ki badhyta nahi hai, lekin aapki jimmedari hai un assi karod logon ke prati jo aapko sar aankhon pe bithate hain. aapko hero banate hain mante hain . so khalnayak mat bano.
SHAILENDRA DWIVEDI, BHOPAL
January 31, 2010 at 4:36 pm
मैं समझता हूं इसमें अभिनव जी की कोई गलती नहीं है,जो परवरिश उन्हें बचपन से मिली है वे तो उसी के मुताबिक आचरण करेंगे, और फिर हिंदी फिल्मों के कलाकार भी अंग्रेजी में ही इंटरव्यू आदि देते हैं आपत्ति करना है तो उन पर भी करो. कई दोस्तों ने अपने कमेंट भी अंग्रेजी में किए हैं.
kaml
February 9, 2010 at 3:00 pm
abhinaw ki bhasha uski bandook hai… jisse nikli goliyo ne gold dilaya
tuni
September 22, 2010 at 3:21 pm
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