कंपनी लॉ बोर्ड में ठोंक सकते हैं दावा : अग्रवाल परिवार फिर से एकजुट हो गया : अमर उजाला के संस्थापक स्वर्गीय डोरीलाल अग्रवाल के परिजन फिर से एक हो गए हैं. अजय अग्रवाल और सौरभ आनंद को अमर उजाला से जब अलग किया जा रहा था तो अशोक अग्रवाल अपने ही भाई और भतीजे के विरोध में खड़े हो गए थे. वे तब अतुल माहेश्वरी-राजुल माहेश्वरी के साथ थे. अब जब अशोक अग्रवाल को भी अमर उजाला से अलग करने की तैयारी हो गई है तो उन्हें अपनी गलती का एहसास होने लगा है. स्वर्गीय अनिल अग्रवाल के पुत्र सौरभ आनंद, अशोक अग्रवाल और अजय अग्रवाल, तीनों लोगों का मिलाकर एक जमाने में अमर उजाला में कंट्रोलिंग शेयर हुआ करता था. पर अजय अग्रवाल और सौरभ आनंद को उनके हिस्से का पैसा देकर अमर उजाला से अलग कर दिए जाने के बाद अग्रवाल परिवार की तरफ से अशोक अग्रवाल लगभग 18 फीसदी के मालिक रह गए हैं. अमर उजाला के करीब 26 फीसदी शेयर उस विदेशी कंपनी (डीई शॉ) के पास है जिसने कई सौ करोड़ रुपये उधार दिए हुए हैं. इन्हीं पैसों से अजय अग्रवाल और सौरभ आनंद के हिस्से की रकम अदा कर उन्हें अमर उजाला से विदा किया गया. इस वक्त करीब 54 या 56 फीसदी शेयर अतुल माहेश्वरी और राजुल माहेश्वरी के पास है. मतलब, कंट्रोलिंग शेयर माहेश्वरी बंधुओं के पास है.
अशोक अग्रवाल जब अतुल माहेश्वरी के साथ खड़े होकर अजय अग्रवाल और सौरभ आनंद को अखबार से बेदखल करा रहे थे, तब अग्रवाल बंधुओं के रिश्ते बेहद तनावग्रस्त हो गए थे. परिजनों की आपस में बातचीत बंद हो गई थी. एक दूसरे के घर आना जाना भी बंद था. पर अशोक अग्रवाल अब मुश्किल में आ गए हैं तो एक बार फिर से परिजन इकट्ठा हो रहे हैं. शुरुआत बच्चों के जरिए हुई. अशोक अग्रवाल के पुत्र मनु आनंद को पिछले दिनों जब पुत्र हुआ तो सारे परिजन तल्खी भुलाकर इकट्ठा हुए. सूत्रों का कहना है कि सभी ने नया साल भी मिल-जुलकर मनाया. एक दूसरे के घर भी आना-जाना शुरू हो गया है. पिछले दिनों एक रिश्तेदार का निधन हुआ तो दुख की इस घड़ी में सभी लोग एक साथ देखे गए. मतलब, दुख और सुख, दोनों मौकों पर अग्रवाल परिवार एकजुट दिखने लगा है.
सूत्रों का कहना है कि अग्रवाल परिवार की पीड़ा यह है कि उनके पिता स्व. डोरीलाल अग्रवाल द्वारा शुरू किए गए अखबार से उनके ही परिजन एक-एक कर बेदखल किए जा रहे हैं. अजय अग्रवाल और सौरभ आनंद को जिस तरह से अखबार का फटाफट वैल्यूवेशन कराकर व औने-पौने दाम देकर अलग किया गया, वह टीस सभी के मन में है. कहीं ऐसा ही अशोक अग्रवाल के साथ न हो जाए, इससे बचने के लिए भी सब लोग अब एकजुट हो रहे हैं. अजय अग्रवाल के मामले में कंपनी ला बोर्ड का जिस तरह इस्तेमाल किया गया, सीएलबी का वैसा ही इस्तेमाल अशोक अग्रवाल के मामले में करने की प्रक्रिया शुरू हुई पर सीबीआई छापे ने पूरा खेल बिगाड़ दिया.
सूत्रों के मुताबिक अगर कंपनी ला बोर्ड द्वारा निष्पक्ष तरीके से सुनवाई कर अशोक अग्रवाल को पूरा अमर उजाला खरीदने का मौका देता है तो इस बार अग्रवाल परिवार एकजुट होकर पैसे की व्यवस्था कर सकता है और पूरे अमर उजाला के अधिग्रहण की कोशिश कर सकता है. अजय अग्रवाल के मामले में भी ऐसा ही हुआ था. तब सीएलबी ने अजय अग्रवाल से पूरा अमर उजाला लेने को कहा था. इस पर अतुल माहेश्वरी की सहमति थी. जब अजय अग्रवाल जी के सुभाष गोयल से समझौता कर 9 करोड़ रुपये लाकर पहली किश्त जमा करने में सफल हो गए तब सीएलबी में अतुल माहेश्वरी की तरफ से आपत्ति दायर की गई कि दूसरा मीडिया हाउस बहाने से अमर उजाला पर कब्जा करना चाहता है. सीएलबी में अंदरखाने काफी कुछ खेल-तमाशा हुआ और आखिरकार अजय अग्रवाल को उनके हिस्से का पैसा देकर अमर उजाला से अलग करने का फैसला सुनाया गया. बताया जाता है कि इस बार भी बासुदेवन को इसलिए रिश्वत देकर पटाने की कोशिश की जा रही थी ताकि वे कहीं अशोक अग्रवाल के पक्ष में न फैसला सुना दें. अब देखना है कि देश के एक बड़े हिंदी अखबार पर मालिकान हक की लड़ाई भविष्य में क्या मोड़ लेती है पर इतना तो कहा ही जा सकता है कि अशोक अग्रवाल ने अपने परिजनों के मन-मिजाज को समझने में काफी देर कर दी है.
Abhishek Kumar
January 26, 2010 at 12:47 pm
journalism is now a business.
amit tyagi
January 26, 2010 at 4:05 pm
anil agrawal ke nidhan ke baaad amar ujala ko meerut ke paksh mein modne ki koshishon ne anajam dikha hee diya. pahle ajay aur ab ashok ko niptane kee taiyaari, par lagta hai is baar naye vakeel chawla jee ne sara khel bigad diya, varna mamla meerut ke paksh mein hee jata. agrawal bandhuon ko shubhkamnayein.
sandeep shrivastava
January 27, 2010 at 12:58 am
ashok agarwal se agra me personnel milkar editorial join karne ki request 15 saal pahle ki thi ek patrakar ki bhavnao ko peedha pahuchane se agarwal ji bhagwan bhi pariksha lete hai. aap agr bandhu hai sai baba aap par kripa kare lekin mujh jaise patrakaro ka bhalai se aap ko naye raste mileghe.(sai ram )
Brahma Nand Pandey
January 27, 2010 at 5:08 am
besuck aisha hi hona chahiya KYoki Amar ujala ko Atul maheswari barbadi ki or lai ja rahi hai Brahma Nand Pandey Mau
gopal shukla
January 27, 2010 at 5:14 pm
der aaye durust aaye
ibrastogi
February 3, 2010 at 8:42 am
tillnow all staff was at receiving end from ashok agrwal and hic cinc chamachainchief shashishekhars but shashi dshekhar moved to maheshwaries camp now ashok ji is facing same treatments that is not a new thing those who rule by sword will die by swordsis old saying
ibrastogi
February 3, 2010 at 8:44 am
ashok ji kahate the anil ji ki bat anil ji ke sath gayi ji ha
zainazuana
February 13, 2010 at 12:14 pm
lets see! dnt knw why bt I wish ki agrawal bandhu jeete
Ranjeet Singh Rajput
February 14, 2010 at 1:43 pm
Sir ye jabaw sahi ha.
rakeshchandra misra
October 6, 2010 at 8:04 pm
amar ujalake malik ashok agrawal atul maheshwari ke beech mahabharat ko sunkar bahut dukh hua.darhasal amar ujala corporete soach kaakhbar ho gaya hai.1989 walaakhbar nahin raha.mujhe ashok ji ki pahle ki baten yaad hain jab barelly mein test dene gaya tha aur ek mahnge hotel mein ruka tha /us samay hotel me rukne ki baat maloom hone par ashok ji ne jitenra kr singh se kaha tha abhi ja kar unka saman kamren mein rakho. mein ohir jk singh ke saath ruka tha. meri ishwar se yahi vinitee hai ki ahok ji ki jeet ho.
rakesh misra patrakar
rakeshchandra misra
October 6, 2010 at 7:48 pm
yeh sunkar kharab laga ki do doston ke beton mein mahabharat ho rahi hai.darhasl ab amar ujala 1989 wala amar ujala nahi raha. ab corporete akhbar ho gaya hai.vaise ashok bhai saheb ka achha swabav yaad hai .meri isswar se prarthana hai ki unki jeet ho,
rakesh patra kar