Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-दर्द

अतुल माहेश्वरी और अंकुर चावला गए कहां!!!

एयू-सीएलबी रिश्वतकांड : कोर्ट ने सीबीआई को लगाई कड़ी फटकार : कल दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके शाली ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने पूछा- ‘सीबीआई यह क्यों नहीं पता लगा रही कि सीएलबी के मेंबर को दस लाख रुपये रिश्वत देने के लिए आए कहां से?’ न्यायमूर्ति वीके शाली ने सीबीआई से कहा- ”मैंने पूरी इनवेस्टीगेशन रिपोर्ट पर नजर मारा. पेज एक से पेज 110 तक पढ़ डाला. कहीं पर भी अंकुर चावला और अतुल माहेश्वरी के बारे में कुछ नहीं है. ऐसा क्यों? फिर दस लाख रुपये रिश्वत के आए किधर से? कैसी जांच हो रही है! रिसेप्शन वाले, होटल क्लर्क, नौकरों की जांच-पड़ताल कर रहे हो. उन सभी की इनक्वायरी कर रहे हो जिनका इस प्रकरण में सीधे कोई भूमिका नहीं दिख रही है. लेकिन उनकी नहीं कर रहे हो जो सीधे-सीधे इसमें शामिल हैं. मुझे जानना है कि दस लाख आए कहां से? वैसे, यह साफ-साफ दिख रहा है कि रिश्वत देने के सोर्स कौन हैं. सिर्फ फोन से बातचीत के तथ्य मिले हैं, वही काफी कुछ इशारा कर रहे हैं.”


<p align="justify"><strong>एयू-सीएलबी रिश्वतकांड : कोर्ट ने सीबीआई को लगाई कड़ी फटकार :</strong> कल दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके शाली ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने पूछा- 'सीबीआई यह क्यों नहीं पता लगा रही कि सीएलबी के मेंबर को दस लाख रुपये रिश्वत देने के लिए आए कहां से?' न्यायमूर्ति वीके शाली ने सीबीआई से कहा- ''मैंने पूरी इनवेस्टीगेशन रिपोर्ट पर नजर मारा. पेज एक से पेज 110 तक पढ़ डाला. कहीं पर भी अंकुर चावला और अतुल माहेश्वरी के बारे में कुछ नहीं है. ऐसा क्यों? फिर दस लाख रुपये रिश्वत के आए किधर से? कैसी जांच हो रही है! रिसेप्शन वाले, होटल क्लर्क, नौकरों की जांच-पड़ताल कर रहे हो. उन सभी की इनक्वायरी कर रहे हो जिनका इस प्रकरण में सीधे कोई भूमिका नहीं दिख रही है. लेकिन उनकी नहीं कर रहे हो जो सीधे-सीधे इसमें शामिल हैं. मुझे जानना है कि दस लाख आए कहां से? वैसे, यह साफ-साफ दिख रहा है कि रिश्वत देने के सोर्स कौन हैं. सिर्फ फोन से बातचीत के तथ्य मिले हैं, वही काफी कुछ इशारा कर रहे हैं.'' </p><hr width="100%" size="2" />

एयू-सीएलबी रिश्वतकांड : कोर्ट ने सीबीआई को लगाई कड़ी फटकार : कल दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके शाली ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने पूछा- ‘सीबीआई यह क्यों नहीं पता लगा रही कि सीएलबी के मेंबर को दस लाख रुपये रिश्वत देने के लिए आए कहां से?’ न्यायमूर्ति वीके शाली ने सीबीआई से कहा- ”मैंने पूरी इनवेस्टीगेशन रिपोर्ट पर नजर मारा. पेज एक से पेज 110 तक पढ़ डाला. कहीं पर भी अंकुर चावला और अतुल माहेश्वरी के बारे में कुछ नहीं है. ऐसा क्यों? फिर दस लाख रुपये रिश्वत के आए किधर से? कैसी जांच हो रही है! रिसेप्शन वाले, होटल क्लर्क, नौकरों की जांच-पड़ताल कर रहे हो. उन सभी की इनक्वायरी कर रहे हो जिनका इस प्रकरण में सीधे कोई भूमिका नहीं दिख रही है. लेकिन उनकी नहीं कर रहे हो जो सीधे-सीधे इसमें शामिल हैं. मुझे जानना है कि दस लाख आए कहां से? वैसे, यह साफ-साफ दिख रहा है कि रिश्वत देने के सोर्स कौन हैं. सिर्फ फोन से बातचीत के तथ्य मिले हैं, वही काफी कुछ इशारा कर रहे हैं.”


देखा भाइयों, तो ये हाल है अपने देश का। बड़े लोगों का नाम आया नहीं कि लीपापोती शुरू। धन्य है अपने देश का लोकतंत्र! धन्य है अपने देश की शासन पद्धति!! कहीं कोई गरीब किसी छोटे-मोटे जुर्म में फंस जाए तो पुलिस, सीबीआई टाइप एजेंसियां किस तरह ऐसी-तैसी करती हैं, यह सबको पता है। ऐसे में तो कभी-कभी मन करता है कि सब छोड़-छाड़कर वाकई बैरागी बन लिया जाए। चीजें दुरुस्त वहां की और कराई जाती हैं जहां गड़बड़ियां थोड़ी बहुत हों। यहां तो पूरे कुएं में भांग पड़ी है। ऐसे में तो यही कहने का मन करता है… हे ईश्वर, अब मुझे ही मौत दे दे या फिर इन बड़ी मछलियों को इस धरती से उठा ले… आज दिल से यही भड़ास निकल रही है।

समझा जा सकता है कि सीबीआई की जांच ढीली क्यों है? जांच रिपोर्ट से अंकुर चावला और अतुल माहेश्वरी का नाम गायब क्यों है? कोर्ट को कड़ी फटकार लगाने के लिए बाध्य क्यों होना पड़ा? जज साहब को सलाम करिए जनाब, जिन्होंने लीपापोती को न सिर्फ उजागर किया बल्कि इस कृत्य के लिए सीबीआई वालों को जमकर टाइट भी किया।

हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई से संबंधित खबर कल समाचार एजेंसी पीटीआई ने रिलीज की। पीटीआई की हम सराहना करते हैं कि उसने मीडिया का मामला होते हुए भी पूरी निष्पक्षता से खबर रिलीज की। पर ढेर सारे अखबारों में यह खबर छपी ही नहीं होगी। कहीं छपी होगी तो बड़े लोगों के नाम गोल होंगे। हम पीटीआई की अंग्रेजी की पूरी कापी-कथा यहां हू-ब-हू प्रकाशित कर रहे हैं ताकि मीडिया वाले जान लें कि असल खबर है क्या।

अगर किसी अखबार, न्यूज चैनल या वेब मीडिया का कोई होनहार साथी पीटीआई की इस खबर का बढ़िया हिंदी अनुवाद करके चुपके से भेज दे तो मजा आ जाए। जानते हैं क्यों? बताते हैं… देश-दुनिया का हाल बहुत बुरा है भाई… सेठों-नेताओं की चांदी है आई… गरीब के घर महंगाई की आंधी…. जमाखोर-नेता-अफसर बने हैं गांधी…. सरकार भी माल लेकर मस्त है…. दिल्ली के मौसम से हम सब त्रस्त हैं… आफिस के साथी छुट्टी पर गए…. काम सारा मेरे सिर मढ़ गए…. हर तरफ आलस और उदासी है तारी… सामने पड़ा है ढेर सारा काम भारी…. ऐसे में कैसे शुरू करें काम की पारी… सो, कोई साथी हाथ बंटा दे…. अनुवाद का यह काम निपटा दे….

यह अनुवाद आज शाम छह बजे तक हमें मिल जाए। अनुरोध करने पर अनुवादक साथी का नाम प्रकाशित नहीं किया जाएगा। तो इस पुण्य काम में देरी क्यों? मेल सीधे मुझे [email protected] ही भेजें। 

-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया


Delhi HC slams CBI over probe into graft case

New Delhi, Jan 12 (PTI) The Delhi High Court today pulled CBI over the manner in which it conducted investigations into the graft case of allegedly involving suspended Company Law Board member R Vasudevan charged with taking bribe for giving a favourable verdict to a group in a battle to control a newspaper.

During the proceedings, a single-member bench of Justice V K Shali slammed CBI for not probing the source of Rs 10 lakhs, the alleged bribe amount recovered during a raid. “I went through the entire investigation report. What is the source of the Rs 10 lakhs? Have you struck down …?” the court told CBI. “I have gone from page 1 to page 110 of the entire report. There is nothing from Ankur Chawla and Atul Maheswari on this … Then what is the source of the money?” said Justice Shali. “You are enquiring from the receptionist, hotel clerk to servants, all those people who have no role in it. This is despite the fact that the telephonic transcript shows what the source is,” the court said.

Advertisement. Scroll to continue reading.

CBI said it would file a charge-sheet in the case very soon as investigations are almost complete. The court was hearing a bail application moved by Vasudevan who was arrested by the CBI on November 23 for allegedly taking bribe. The court has reserved its order on Vasudevan’s bail plea and would pronounce it Thursday.

Earlier also, the court had raised questions about the manner CBI was proceeding in this case. During the last hearing on December 22, 2009, the court had said “there are allegations that investigations are not done in an equal and transparent manner”. CBI had lodged a case under various provisions of the IPC and the Prevention of Corruption Act against Vasudevan and company secretary Manoj Banthia after carrying out searches at several locations in Delhi, Kolkata and Chennai.

CBI has claimed before the court that it has recovered Rs 55 lakh in cash, including the alleged bribe amount, from Vasudevan’s residence here. It also claimed to have recovered various documents during the searches. PTI


Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement