दर्शक रिसर्च काउंसिल बनाने पर विचार : एफएम रेडियो में बढ़ सकती है एफडीआई सीमा : प्रसारण प्राधिकरण के गठन की योजना : केंद्र सरकार टीवी चैनलों के कार्यक्रमों की लोकप्रियता आंकने वाले टीआरपी तंत्र पर कुछ एजेंसियों का एकाधिकार खत्म करने के लिए ब्रॉडकास्टिंग ऑडियंस रिसर्च काउंसिल बनाने पर विचार कर रही है। सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने सोमवार को कहा कि टीआरपी बताने का मौजूदा तंत्र सरकारी नहीं है। यह कुछ शहरों तक सीमित व्यवस्था है जबकि टेलीविजन दूरदराज के गांवों में भी देखा जाता है। ऐसे में एक ऐसा प्रभावी तंत्र विकसित करने की जरूरत है जो चैनलों के बीच टीआरपी की जंग खत्म कर पाए। फिलहाल दो निजी एजेंसियां टैम और एमैप अपने-अपने तरीके से टीवी कार्यक्रमों के टीआरपी आंकड़े देती हैं।
केंद्र सरकार देशभर के गांव-देहातों तक एफएम रेडियो पहुंचाने के लिए ‘एफएम-3’ की प्रक्रिया शुरू करने से पहले इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ा सकती है। सूचना प्रसारण मंत्री ने इसके संकेत देते हुए कहा कि उनके मंत्रालय में सचिवों का समूह इस मसले पर मंथन कर रहा है। उम्मीद है कि समूह जल्द अपनी सलाह देगा। फिलहाल एफएम रेडियो के लिए एफडीआई सीमा 20 फीसदी है। उद्योग जगत ने इसे बढ़ाकर 49 फीसदी करने की मांग की है। सरकार ‘एफएम-3’ प्रक्रिया के जरिए गांव-देहातों को एफएम रेडियो की पहुंच में लाना चाहती है। इससे पहले ‘एफएम-1’ के जरिए मेट्रो शहर और ‘एफएम-2’ के जरिए ए-श्रेणी के शहर एफएम रेडियो के दायरे में आ चुके हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि प्रसारण के मामलों की देखरेख के लिए प्रसारण प्राधिकरण के गठन की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि विषयवस्तु सिर्फ मुद्दा नहीं है। यह नया प्राधिकरण मीडिया की टीआरपी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामलों को भी देखेगा। अंबिका सोनी ने बताया कि इस नई संस्था का नाम भारतीय प्रसारण प्राधिकरण रखने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक कार्य बल का गठन किया जा चुका है।
winit
May 4, 2010 at 11:11 am
जाने कब बाबा मरीहें,…….जाने कब बैल बिकैय्हें..;D;);D
TAM वाले टामियो, सरकार से बंदरबांट के लिए तैयार हो जाओ…
rahul gaziyabadi
May 4, 2010 at 6:29 pm
bhaiya, trp ke khel ki to sab ko chinta hai koi un bechare reporteron ki bhi chinta karo jo boss logon ke chote bade kaam bhi karate hain aur jab story ke billon ka bhugtaan karane ka anurodh karte hain to boss logon ko saanp sungh jata hai. halaki bahutere ese bhi reporter hain jinhe office se paisa mile na mile unko fark nahin padta lekin bahutere bechare aese bhi hain jinki daal roti aur bachchon ki padhai likhai kewal ofice se milne wale paise par hi tiki hai. kahte hain hi nahin balki ye katu satya bhi hai ki electronic media ki reedh ese hi log hain, magar inki haalat par koi to socho bhagwan se ese sabhi log tumhare liye dua karenge.
gulshan saifi
May 6, 2010 at 7:13 am
jai hindustan jai trp