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अमित आर्या ने इंडिया न्यूज को गुडबाय कहा

अमित आर्या की न्यूज चैनल ‘इंडिया न्यूज’ से दूसरी पारी भी खत्म हो गई. उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. वे पिछले कुछ हफ्तों से अवकाश पर चल रहे थे. आज उन्होंने इंडिया न्यूज में इस्तीफा देने के बाद सभी साथियों से विदाई ली. फिलहाल अमित कहीं नहीं जा रहे हैं. वे बुजुर्ग मां-पिता की देखभाल व भावनात्मक मदद के लिए कुछ महीनों तक घर पर उनके साथ रहेंगे.

<p style="text-align: justify;">अमित आर्या की न्यूज चैनल 'इंडिया न्यूज' से दूसरी पारी भी खत्म हो गई. उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. वे पिछले कुछ हफ्तों से अवकाश पर चल रहे थे. आज उन्होंने इंडिया न्यूज में इस्तीफा देने के बाद सभी साथियों से विदाई ली. फिलहाल अमित कहीं नहीं जा रहे हैं. वे बुजुर्ग मां-पिता की देखभाल व भावनात्मक मदद के लिए कुछ महीनों तक घर पर उनके साथ रहेंगे.</p>

अमित आर्या की न्यूज चैनल ‘इंडिया न्यूज’ से दूसरी पारी भी खत्म हो गई. उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. वे पिछले कुछ हफ्तों से अवकाश पर चल रहे थे. आज उन्होंने इंडिया न्यूज में इस्तीफा देने के बाद सभी साथियों से विदाई ली. फिलहाल अमित कहीं नहीं जा रहे हैं. वे बुजुर्ग मां-पिता की देखभाल व भावनात्मक मदद के लिए कुछ महीनों तक घर पर उनके साथ रहेंगे.

अमित आर्या पहले भी इंडिया न्यूज में थे. फिर वहां से पी7न्यूज चले गए थे. दुबारा इंडिया न्यूज आए तो कई पदों-जिम्मेदारियों से होते हुए इंडिया न्यूज हरियाणा के चैनल हेड के पद तक पहुंचे. उन्हीं के नेतृत्व में इस चैनल की लांचिंग कराई गई. अमित इंडिया न्यूज नेशनल में इनपुट व एसाइनमेंट हेड भी रहे. अमित इंडिया न्यूज की पहली पारी में एसाइनमेंट हेड थे. बाद में जब पर्ल ग्रुप के नए चैनल पी7न्यूज के आने की घोषणा हुई तो इसके हेड के रूप में अमित आर्या का नाम घोषित किया गया. पर अमित की पी7न्यूज में प्रबंधन से पटरी नहीं बैठ पाई और वहां से इस्तीफा देकर वापस इंडिया न्यूज आ गए थे.

इंडिया न्यूज में चलने वाली जबर्दस्त आंतरिक राजनीति को झेलते हुए अमित आर्या ने वहां अच्छा-खासा समय बिताया. पिछले कुछ महीनों से इंडिया न्यूज से कई बड़े विकेट गिर रहे हैं और अमित आर्या का जाना बताता है कि इंडिया न्यूज में आंतरिक उथल-पुथल जारी है. अमित आर्या का प्रिंट और टीवी का कुल 15 वर्षों का करियर है. उन्होंने दैनिक भास्कर, शिमला के स्टाफ रिपोर्टर और दैनिक भास्कर, चंडीगढ़ में हिमाचल पेज के प्रभारी के रूप में काम किया हुआ है. टीवी में उन्होंने लंबा समय बैग में बिताया. वे बैग के फाउंडर मेंबरों में से रहे. इंडिया टीवी में एसाइनमेंट के शिफ्ट इंचार्ज हुआ करते थे. एमएच1 न्यूज में इनपुट हेड रहे. वे एमएच1 न्यूज के भी फाउंडर मेंबरों में से एक हैं.

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0 Comments

  1. rahul gaziyabadi

    April 30, 2010 at 8:55 am

    kisi varishth ka jana to unse jude logon ke liye hamesha hi dukhad hota hai, magar varishthon ko ye bhi dhyaan rakhna chahiye ki vo kisi adhinasth ka nuksaan naa karne. maine india news main karib ek saal kaam kiya magar paisa nahin mila yadi arya sir chahte to mera wo paisa mil sakta tha. ab unse yahi anurodh hai ki ve jahan bhi jaayen adhinasthon ka dhyaan jarur rakhen bhale hi ve unke parichit na hon. insaan kisi se tab hi judta ya uske liye sammaan rakhta hai jab koi uske bure main ya fir jarurat ke waqt kaam aaye.

  2. nirbhikpatrkar

    April 30, 2010 at 11:11 am

    amit ji ko india news se nikala gaya hai na ki unhone isteefa diya hai , bhadas per pari khabar dekhne se to esa lagta hai ki khud amit ji ya unke kisi aadmi ne hi unki tareef me kashide pade hai , jissse ab kisi thik thak jagah kam mil jay

  3. Dheeraj Prasad

    April 30, 2010 at 12:24 pm

    धीरज प्रसाद — दिल्ली ( द्वारका ) आना और जाना यह एक आम बात हो गई है क्योंकि मै एक सीधी सी बात जनता हूँ| की योग्यता जिसके पास होती है वह किसी का मोहताज नहीं होता |
    पर उसके आने और चले जाने से क्या फर्क पड़ता है यह उस संस्थान का प्रबंधन जनता है | हम अपने आम जीवन में भी देखते है की, ऐसा कौन सा संसाधन ख़रीदा जाए जो कई सालो तक चलता रहे |
    अमित जी से पहले भी कई योग्यता रखने वाले महानुभाव इंडिया न्यूज़ में आए और चले गए, अभी फ़िलहाल ही में हरीश गुप्ता गए, पर उनकी योग्यता उनके ही साथ चली गई | मै जब 5 कक्षा में पढता था तो एक बार मेरे अध्यापक बोले – बेटा तुम्हारे पास ऐसी कौन सी चीज है जिसके बल पर तुम परीक्षा में पास हो जाओगे, मेरे उस समय कुछ समझ में और तो कुछ आया नहीं जो आया वह बोल दिया| मेरे पिता हर रोज एक ही बात कहा करते थे की हमारे पास अगर उचित मार्ग को तलाशने की क्षमता रहेगी तो हम उस मार्ग को अपनाकर जीवन पार कर जायेंगे | यानि की तुम्हारे पास अच्छा निरणय वह परखने की शक्ति | मैंने भी वही पापा की कथनी कह दी| उस समय मेरे अध्यापक ने मुझ से कुछ नहीं बोले और मेरे कान पर प्यार से एक हलका सा चपत मार कर चले गए| पर जब मेरी बुद्धि का विकास हुआ तो पता चला | अगर हमने अपने मार्ग के मार्ग दर्शक पत्थर जिसे हम मील का पत्थर कहते है उसे ही नकारते चले गए तो शायद कभी भी हम मंजिल तक न पहुँच पाए | और हमारा सपना केवल सपना ही बन कर रह जायेगा |

    धन्यवाद — आपका मित्र –धीरज प्रसाद

  4. atul

    April 30, 2010 at 12:42 pm

    more on the list – (1) atul dayal (2) israr sheikh

  5. Kaialash Chandra Sharma

    April 30, 2010 at 3:52 pm

    Sir, Ye sun ke bahut bura laga ki aap hame chhod kar chale gaye.. Vaise bhi India News me aapke siva hamare dard ko samjhne wala koun tha…
    Magar Fir Bhi Ham Iswar se Duaa Karte hai ki aap Yaha se acchi jagah jaye..
    Aapka Shishya
    Kailash chandra Sharma
    India News Dhar(MP)

  6. sushilkumar

    April 30, 2010 at 4:17 pm

    ab kis ki bari

  7. chetan

    May 2, 2010 at 8:33 am

    aana jana to media me laga hi rehta hai ,kabhi koi kahi aaya to kabhi koi kahi gaya…jo baat satya hai ki amit arya ji ne india news ko bye bye bola hai aur jo log comments karte samay ye kehte hai ki unhe nikala gaya hai wo khud apna naam chupate hai aur khud ko nirbhik patrakaar kehte hai ,bht hi aascharya janak baat hai ye….
    anyways I wish best of luck to amit arya sir……..

    chetan

  8. Nitin Srivastava

    May 2, 2010 at 12:35 pm

    प्रिय यशवंत जी ,
    आपका सूचना तंत्र कमजोर है. आदरणीय अमित आर्य जी को चैनल प्रबंधन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था परन्तु उन्होंने सम्मानजनक विदाई की प्रार्थना करते हुए चैनल से एक हफ्ते की मोहलत मांग ली और निकल लिए . चूँकि माननीय अमित जी का आत्म विशवास का लेवल इतना कम है की उन्हें ये पता ही नहीं होता की अगली नौकरी मिलेगी या नहीं इसलिए वो पुराने प्रबंधन की लल्लो-चप्पो जरूर करते हैं. इस बार भी वो इसी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन ये शख्स इस बार इतना एक्सपोज हो चुका है कि इस बार बाज़ार इसका इस्तेकबाल दूसरी तरह से करने कि तैय्यारी में बैठा है. माननीय अमित जी अपने चंपुओं के साथ टी वी ९ में गणित लगा रहे हैं. चलिए अमित आर्य को उनकी भावी नौकरियों के शुभकामनाएं.

  9. Jatin Goswami

    May 3, 2010 at 5:29 am

    अमित सर एक ऐसे युवा है जिन्हें संस्थान को कैसे आगे रखना है इस बात का हमेशा ख्याल रहता है ! और वो संस्थान की भलाई के लिए ही हमेशा तत्पर रहते है ! लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है जो हर संस्थान में काम का दिखावा करने आते है ! अमित सर ने चैनल में आते है ऐसे लोगो को चिन्हित किया और उन्हें काम सिखाया ! लेकिन जब ऐसे लोगो की बुरी आदते काम के आढे आई तो मजबूरन उन लोगो को हटाना पड़ा ! बस यही अमित सर का कसूर है की वो काम को तवज्जो देते है ! लेकिन अफ़सोस मीडिया में ज़्यादातर लोग कुछ छोटे संस्थानों की तरह छोटी सोच रखते है और सोचते है की काम तो चलता ही रहेगा ! वही लोग आज कह रहे है की अमित सर ने उनके पैसे नहीं दिए , अमित सर ने उन्हें काम से निकल दिया वगैरह वगैरह ! ऐसे लोगो को मेरा कहना यही है की वो गीदड़ की तरह शेर के जाने के बाद क्यूँ चिंघाड़ रहे है ! अगर उनमे ज़रा भी सच्चाई का दम है तो पहले सामने क्यूँ नहीं आये ? बहरहाल मैं अपनी कहू तो मेरे लिए अमित सर इश्वर है ! उन्होंने मेरा काम देख कर मुझे नौकरी दी थी ना की झूठा और दिखावटी अनुभव देखकर ! मेरी शुभकामनाये अमित सर के साथ है ! आपको शत शत बार नमन करता हूँ !
    Jatin Goswami

  10. dr santosh ojha

    May 3, 2010 at 8:55 am

    जो आया है वो जायेगा ….. आपभी…..

    जब भी बढ जाते है पत्थर चलाने वाले ,
    कम नहीं होते आइना दिखाने वाले !
    आइना टूटते है और बिखर जाते है ,
    फिर भी आइना बनाते है बनाने वाले !!

    एक कहानी सबने सुनी या पढ़ी है कछुआ और खरगोश की … लोमड़ी और अंगूर की भी कहानी आप को मालूम है पूरे मामले में लोमड़ी की भरमार है आखिर हम क्यों भूलते है की अपना काम निकलने के दौरान अंगूर मीठे होते है काम न होने पर खट्टे का एहसास ! जिस नाव ने आपको समुन्दर में सहारा दिया या दिखाया आज उसी नाव में छेद …कुछ तो शर्म करो दोस्त ….आँख से अंधा नाम नयन सुख – यही मुहाबरा चरितार्थ करता है निर्भीक पत्रकार जी के लिए , अच्छा तो होता कि आप डरपोक पत्रकार लिखे कम से कम लोग आपकी मदद के लिए आगे आयेगे .इतनी तो हिम्मत दिखाओ आप अपना सही नाम लिख सको !

    comment कि बात जब चल ही रही है तो किसी को पीछे नहीं रहना चाहिये ,अच्छा है आप अपना गुबार निकल कर हलके हो रहे है लेकिन आप भूल रहे है कि कमीओ का आकलन करते समय अच्छाइयो पर एक नजर डालनी ही चाहिए ,बात साफ है सिर्फ और सिर्फ किसी में अच्छाइयो नहीं होती और न ही बुराई ! एक विदेशी दार्शनिक ने लिखा है कि किसी कि प्रसिद्धि [नाम] को जानने के लिए उसके विरोधियो कि संख्या देखना चाहिए ! खैर ….

    अमित सर के लोगो कि ओर से एक शेर …..

    जिन्दगी कि असली उड़ान अभी बाकी है ,
    हमारे इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है
    अभी तो नापी है मुठ्ठी भर जमी ,है
    आगे सारा आसमान अभी बाकी !!

    – डॉ संतोष ओझा
    बनारस
    09889881111

  11. dev

    May 3, 2010 at 4:14 pm

    इंडिया न्यूज चैनल के प्रबंधक अगर वास्तव में चाहते हैं कि ये चैनल पहले कि तरह टीआरपी के गैम में आए तो इसके प्रबंधन को मंथन करना पडेगा, और कुछ काबिल लोगों को पुन लाना होगा और कुछ को हटाना होगा, इतना ही नहीं इंडिया न्यूज की हर डाल पर जो प्रेमी जोडे बैठे हैं उनपर भी नजर रखनी होगी…अमित आर्य अनूरंजन झा जैसे लोगों के लिए शादय़ ही ये चैनल हो……

  12. dev

    May 3, 2010 at 4:16 pm

    इंडिया न्यूज चैनल के प्रबंधक अगर वास्तव में चाहते हैं कि ये चैनल पहले कि तरह टीआरपी के गैम में आए तो इसके प्रबंधन को मंथन करना पडेगा, और कुछ काबिल लोगों को पुन लाना होगा और कुछ को हटाना होगा, इतना ही नहीं इंडिया न्यूज की हर डाल पर जो प्रेमी जोडे बैठे हैं उनपर भी नजर रखनी होगी…अमित आर्य अनूरंजन झा जैसे लोगों के लिए शादय़ ही ये चैनल हो

  13. rahul gaziyabadi

    May 3, 2010 at 5:33 pm

    halaki amit sir ka jana un logon ke liye to nishchit hi bura hai jin logon ko unhone nokri di hai. isme sandeh nahin ki un logon ke liye amit sir ishwar ka roop bhi hain, magar amit sir ab jo ghtka laga hai usme kuch ese hi log aham wajah hain jinhe aapne unki chatukarita aur aapke sambandhiyon ke kahne par ghela. ab bhavishya main ase logon se thoda satark rahen, kunki ese logon ke ishwar kursi aur pad khisakte hi ya ye kahe ki matlab niklte hi ya fir koi naya mai baap milte hi badal jate hain. ese hi ek shaks ko main bhi janta hun. uska naam is liye nahin likh raha kyonki uski is tarah ki chatukarita ki wajah se hi logon ne un mahanubhav ko munshi naam de rakha hai. bhagwan munshi ji ko sadbuddhi de ki wo dubara fayde ke fer main padkar apne wartmaan ishwar ko na bhul jaayen, aur wo sab bhi yaad rakha karen jo unke purane ese hi kisi chand dinon ke ishwar (matlab ke liye) ne kiya tha jis par wo aaj comment karne ki jurrat kar rahe hain.

  14. अरविंद महेन्द्र

    May 3, 2010 at 5:40 pm

    किसी के विरोध में बातें करना बहुत आसान होता है। आप किसी को पसंद करते हो तो किसी को नापसंद। सही है, सभी की अपनी राय है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप कुछ भी कह दें। अमित आर्या की जितनी सम्मानपूर्ण विदाई इँडिया न्यूज़ से हुई है शायद किसी की नहीं। अमित आर्या जी को बाकायदा उनके सहकर्मियों ने केक काटकर डिपार्चर दिया। जब आखिरी बार वो दफ्तर से निकले तो उनकी कार तक छोड़ने 35-40 आदमी साथ गए। इतना तो सरकारी नौकरी करने के बाद रिटायरमेंट लेने वाले कर्मचारी के साथ नहीं आते। ये दिखाता है कि अमित आर्या किस प्रकार के व्यक्ति हैं। लोग उन्हें प्यार करते हैं। एक अच्छे प्रोफेशनल की सभी खूबियां हैं उनमें और आगे जहां भी जाएंगे, ऐसे ही नाम कमाएंगे….। हमारी शुभकामनाएं।

  15. अमित भारद्वाज

    May 3, 2010 at 5:44 pm

    Amit Arya is a good team leader and a good person. Bhagwan unke maata-pitaa ka swasthay jaldi theek kare. Aise bete bhagwaan sabhi ko de. Jo mata pita ki sewa ke liye naukari ko bhi thokar maar deta hai

  16. ashish gupta

    May 4, 2010 at 5:08 am

    amit sir ka hi kamal tha ki log india news ko janne lage the , verna kamjor distribution vale is chanel ko chalana badi teri kheer hai , baharhal amit ji jab tak rahe unhone channel aur apne reporters ke bhale ke liy hi kam kiya

  17. Ritesh Mishra

    May 4, 2010 at 6:06 am

    यशवंत तुम इसे छापो या मत छापो लेकिन पढ़ जरूर लो
    तुम कौन…खांमखां
    कोई मालिक,
    कोई नौकर,
    भाई नौकरी किसी ने छोड़ी…
    निकाला किसी को गया…
    और मियां दर्द हो रहा है आपके पेट में…
    अरे अगर कोई अमित आर्या को बुरा भला कहकर अपनी भड़ास निकाल रहा है तो जो उनकी तारीफों के कस‌ीदे गढ़ कर चम्चागिरी क्यों कर रहे हैं। अरे काम और काम का हवाला देने वाले अगर ये लोग वाकई काम करते तो शायद इनके पास यहां कमेंट लिखने का स‌मय नहीं होता।
    दावा है कि इनमें स‌े ज्यादातर लोगों ने दफ्तर में डूयूटी पर रहते हुए ये कमेंट लिखे हैं। अरे भई इस स‌मय की तनख्वाह तो ली स‌ंस्थान स‌े और नौकरी की भड़ास की।
    भई वाह मेरे कमेरों….
    यही तुम्हारा काम है तो पता चलता है कि तुम्हारा कौनसा काम देखकर तुम्हें नौकरी दी गई।

  18. raj

    May 4, 2010 at 6:31 am

    yar jisey nikal na chahiya usha nekal tey nahi … india news jaild band hoga,, jiski jimwari vavik sat..ki ho gi .. jo output may ho kar ..purey news chal ko ganda kar raha hai..

  19. Dr. Satyendra Pandey

    May 4, 2010 at 7:17 pm

    Ritsh
    हम तो अपने ऑफिस में बैठकर भड़ास पर कमेंट कर रह् हैं। पर लगता है तुम्हें तो किसी संस्थान ने लात मारकर बाहर निकाला है। इसलिए आजकल दर-दर की ठोकरें खा रहे हो और आराम से यहां भड़ास पढ़ रहे हो। तुम अपने गुरु के पांव छूते हो या नमस्कार करते हो तो क्या चापलूसी करते हो। रितेश जी. जो लोग विरोध कर रहे हैं या तारीफ कर रहे हैँ, उनकी नीयत पहचानने वाले तुम कौन होते हो? तुम तो खुद खबरें दिखाने को लेकर पैसे लेने पर निकाले गए हो। शर्म नहीं आती ज्यादा पाक साफ बनने की। तुम जैसे लोगों ने ही मीडिया को बदनाम किया है।
    धिक्कार है तुम पर।
    छि:

  20. brajesh nigam

    May 5, 2010 at 8:19 am

    amit arya ji ke liye koi kuch bhi kahe magar wo jis channel se jude or jis sanshthan ko unhone apna mana hai usko uchahiyon tk pahuchaya hai or rahi baat galtion ki to insan galtion ka ek putla hai agar insan galti nahi karega to kya bhagwan karege
    brajesh nigam

  21. Javed

    May 6, 2010 at 6:14 am

    कुछ लोग एहसान बढ़ी जल्दी भूल जाते है ! उन्ही में एक शख्स ने अमित सर के आत्म विश्वास पर टिपण्णी की है ! मैं उस शख्स का नाम तो नहीं लूँगा ! लेकिन उसे इतना ज़रूर कहूँगा की जब तुम्हारी नौकरी खतरे में थी तो अमित सर ने ही उसे बचाया था ! जब तुम्हारा प्रमोशन नहीं हो रहा था तब अमित सर ने ही वो प्रमोशन दिलवाया था ! आज उनके जाते ही तुम गिरगिट की तरह बदल गए ! तब तो तुम ऐसे व्यवहार करते थे जैसे अमित के अलावा तुम्हारा कोई दूसरा इस दुनिया में हो ही ना ! चलो अच्छा हुआ तुम्हारा ये रंग सामने आ ही गया ! और रही बात अमित सर की तो उनके लिए काम की कमी नहीं है ! वो चाहे तो कही भी जा सकते है ! उन्हें ये सोचने की ज़रुरत ही नहीं है की उन्हें नौकरी मिलेगी या नहीं ! अमित सर India News की रीढ़ की हड्डी थे ! अमित सर के आत्म विश्वास को कमज़ोर कहने वालो पहले अपने गिरेबान में झाँक कर देखो की तुम्हारे पास तो आत्म विश्वास है ही नहीं ! वो अमित सर थे जिन्होंने तुम्हे इस काबिल बनाया की आज तुम कुछ बन सके ! मेरी हिदायत मानो जो हो उसे ही सामने से दर्शायो और पीछे से भी वैसे ही रहो ! गिरगिट की तरह रंग बदलने वालो के पास एक दिन कोई रंग नहीं बचता ओढने के लिए !

  22. piyush

    May 6, 2010 at 6:33 am

    जो लोग ये कह रहे है की ऑफिस में बैठकर कमेन्ट करने वाले क्या काम कर रहे है उसका जवाब है मेरे पास ! ये तो वो लोग है जो ऑफिस में बैठकर कमेन्ट करने लायक तो है ! तुम तो इस लायक भी नहीं रहे ! चले आते है मीडिया के ठेकेदार बनकर ! अमित आर्य जी तारीफ Deserve तो करते है तभी उनकी तारीफ हो रही है !
    तुम जब निकाले गए थे तो तुम्हारे बारे में तो किसी ने वो भी नहीं कहा था ! तभी आज अमित जी की तारीफ पर तुम बिलबिला रहे है ! खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचती है है ! भाई हमें बुरा नहीं लगा ! वो कहते है ना की हाथी चलता रहता है और कुत्ते भौंकते रहते है ! तो भौंको जितना भौंकना है ! हम तो ऑफिस में बैठकर कमेन्ट कर रहे है ! और जो अमित जी तारीफ के काबिल है उनकी तारीफ भी करेंगे !
    अमित आर्य जी एक ऐसे इंसान है जिन्होंने हमेशा अपने सबोर्दिनेट्स को आत्मविश्वास दिया ! वो हमेशा अपने संस्थान के लोगो का भला करते है ! वो खुद के बारे में बाद में सोचते है पहले दूसरो की नेसेसिटी का ध्यान रखते है ! वो जहाँ भी जायेंगे उस संस्थान में सुधार होगा !
    Good Luck Amit ji

  23. Jatin

    May 6, 2010 at 5:41 pm

    हम तो बड़ो की इज्ज़त करते है और उनको इश्वर जैसा सम्मान भी देते है जो इस काबिल होते है ! अमित सर को इश्वर जितनी इज्ज़त हमेशा देते रहेंगे ! लेकिन यहाँ पर कमेन्ट लिखने वाले कुछ लोग ऐसे है जिन्हें इज्ज़त रास नहीं आती ! तभी वो दूसरो के नाम बिगाड़ते है ! क्यूंकि सच कहने को तो उनके पास कुछ है नहीं ! ऐसे में लिखे भी तो क्या ? सो उन्होंने सोचा की चलो किसी का नाम ही बिगाड़ देते है ! भाई हमें ऐसी आदत नहीं ! हम चाहे तो नाम बिगाड़ने का जवाब नाम बिगाड़ कर भी दे सकते है ! लेकिन ओवर ऑल आप हमसे उम्र में बड़े है तो हम ऐसा जवाब नहीं देंगे ! हा एक बार फिर ये ज़रूर कहेंगे की जो लोग ये कह रहे है की अमित सर ने उनके पैसे नहीं दिलवाए तो वो ज़रा याद करे वो दिन जब उन्होंने किसी को फोन करके कहा था की उनका तीन महीने का करीब 90 हज़ार रुपया INDIA NEWS से फ़ाइनल हो गया है ! मेरे ख्याल से इतना पैसा तो किसी स्टाफर को भी नहीं मिलता होगा ! अब पता नहीं लोगो की इच्छा कितने हज़ार पाने की थी ! वो हमें नहीं पता !
    बहरहाल अमित सर ने हमेशा से लोगो का भला किया है ! लेकिन उनके सामने खुद को उनका अपना होने का दावा करने वाले कई लोग रंग दिखा रहे है ! चलो सबके रंग सामने तो आ गए !

  24. rahul gaziyabadi

    May 7, 2010 at 6:37 pm

    kahte hain ki samay ke sath insaan main kuch ahche to kuch bure badlaav aate hain. chalo achcha hai ki kuch logon main aaj bhi thodi bahut haya aur sharm baaki hai. tippni karte waqt kaash soch liya hota ki kya kar raha hun to kun wo naam yahan pdhne ko milta jo tumhare sangi-sathi hi lete aur logon ko batate firte hain.mene jo baat amit sir ke liye kahi thi usse kisi ka koi sarkaar nahin tha. mene kisi ke liye tipni nahin ki thi aur na hi kisi ko choti soch wala kaha tha. bhavishy main kabhi bhi kuch kahna pade to soch samghkar bolo. baki mughe na to paise ka lalach pahle tha na aaj hai, yadi hota to kisi bhi kimat par un saare hatkando ko apnakar wo hansil kar sakta tha jo aaj dusron par hai. mera manna hai ki jo jise milta hai wo uska nasib hota hai. chalo ek baar fir yahi dua karunga ki ishwar sadbudhdhi de. tmhe tumhare ishwaron ke prati wafadaar banne aur bane rahne ki shakti de. itna hi bahut hai ki ab kam se kam ye to dhyan aa gaya ki umr main bada hun. ishwar se ki dua ka kuch to asar hai.

  25. Zaigham Murtaza

    May 9, 2010 at 9:56 am

    What I know about Amit Arya is that he is very cooperative and a genuine person. I Know him from the days of BAG and was fortunate enough to work with him. He just behaved like a generous Big ‘B’.. Best of luck for his future endeavors…

  26. ak saraswat

    July 2, 2010 at 9:34 pm

    amit arya jaise insan aaj ke date me media me bahut kam hai hame dukh hua our aasa karte hai ki we phir dubara wapsi karenge

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