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कैसे-कैसे ऐसे-वैसे ये एंकर!

क्या गोरा चेहरा एंकर होने का मानक है? : कुछ बातें अब बहस में शामिल कर लेनी चाहिए। चैनल चल रहे हैं, नए चैनल खुल रहे हैं और इसी के साथ पत्रकारिता के नए तौर-तरीके सामने आ रहे हैं। मुझे तारीख याद नहीं, उस समय मैं महुआ में था, जंतर-मंतर पर भारतीय़ किसान यूनियन का धरना था। महेंद्र सिंह टिकैत का भाषण चल रहा था। एक चैनल की महिला रिपोर्टर वहां से लाइव कर रहीं थीं, बार-बार वो कह रहीं थीं, केंद्रीय कृषी मंत्री महेंद्र सिंह टिकैत–  कुछ दिन बाद उसी महिला को एंकरिंग करते देखा। अब बात रांची की। रांची में नए चैनल की शुरुआत होनी थी। एंकर्स चयन की जिम्मेदारी मुझे दी गई थी। इसी दौरान एक लड़की आई, लड़की के साथ चैनल के सीईओ भी थे।

<p style="text-align: justify;"><strong>क्या गोरा चेहरा एंकर होने का मानक है? :</strong> कुछ बातें अब बहस में शामिल कर लेनी चाहिए। चैनल चल रहे हैं, नए चैनल खुल रहे हैं और इसी के साथ पत्रकारिता के नए तौर-तरीके सामने आ रहे हैं। मुझे तारीख याद नहीं, उस समय मैं महुआ में था, जंतर-मंतर पर भारतीय़ किसान यूनियन का धरना था। महेंद्र सिंह टिकैत का भाषण चल रहा था। एक चैनल की महिला रिपोर्टर वहां से लाइव कर रहीं थीं, बार-बार वो कह रहीं थीं, केंद्रीय कृषी मंत्री महेंद्र सिंह टिकैत--  कुछ दिन बाद उसी महिला को एंकरिंग करते देखा। अब बात रांची की। रांची में नए चैनल की शुरुआत होनी थी। एंकर्स चयन की जिम्मेदारी मुझे दी गई थी। इसी दौरान एक लड़की आई, लड़की के साथ चैनल के सीईओ भी थे।</p>

क्या गोरा चेहरा एंकर होने का मानक है? : कुछ बातें अब बहस में शामिल कर लेनी चाहिए। चैनल चल रहे हैं, नए चैनल खुल रहे हैं और इसी के साथ पत्रकारिता के नए तौर-तरीके सामने आ रहे हैं। मुझे तारीख याद नहीं, उस समय मैं महुआ में था, जंतर-मंतर पर भारतीय़ किसान यूनियन का धरना था। महेंद्र सिंह टिकैत का भाषण चल रहा था। एक चैनल की महिला रिपोर्टर वहां से लाइव कर रहीं थीं, बार-बार वो कह रहीं थीं, केंद्रीय कृषी मंत्री महेंद्र सिंह टिकैत–  कुछ दिन बाद उसी महिला को एंकरिंग करते देखा। अब बात रांची की। रांची में नए चैनल की शुरुआत होनी थी। एंकर्स चयन की जिम्मेदारी मुझे दी गई थी। इसी दौरान एक लड़की आई, लड़की के साथ चैनल के सीईओ भी थे।

सीईओ का पहला आदेश था- असित जी इनको रखना है, जरा देख लीजिए। ऑडिशन में एक बात साफ थी कि एंकरिंग कर लेगी लेकिन अभी प्रयास की जरूरत थी। मैने सीईओ तक ये बात पहुंचा दी। चैनल ऑन एयर हुआ, दो चार दिन बाद उस लड़की को मौका दिया गया। सीईओ ने खुद इसके लिए कहा था। एंकर ने एक दिन कहा- झारखण्ड के प्रधानमंत्री शिबू सोरेन। सिलसिला ऐसा चला कि कभी मधु कोड़ा बिहार के सीएम कहे गए तो रांची को देश की राजधानी। खैर, अब मैं रांची के उस चैनल में नहीं हूं।

इधर तीन-चार दिन पहले सुना कि कई एंकर ठीक से सवाल नहीं पूछ पाते। ये बात जायज है। लेकिन सवाल ये है कि उनको बतौर एंकर क्यों रखा गया? क्या गोरा चेहरा एंकर होने का मानक है? क्यों नहीं उनकी पत्रकारिता का इतिहास देखा गया? क्यों नहीं उन्हें पहले रिपोर्टिंग के लिए भेजा गय़ा? खबरों को समझने-बूझने का मौका उन्हे क्यों नहीं दिया गया? डेस्क पर उनको कुछ दिनों तक रख कर क्यों नहीं समाचार के बुनियादी तत्वों को समझने का मौका दिया गया? ये कई सवाल हैं भाई और खबरिया चैनलों को इसके लिए सोचना चाहिए। होड़ सिर्फ स्तर गिराने के लिए नहीं होनी चाहिए। आपके चैनल में चाहे पांच हजार अच्छे लोग हों, बेहतर काम करने वाले हो, लेकिन बाहर एंकर ही दिखता है। कम से कम उसके चयन में अनुभव, जानकारी और समर्पण को महत्व जरूर मिलनी चाहिए.

-असित नाथ तिवारी

www.chauthinazar.blogspot.com

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0 Comments

  1. prabhat

    June 2, 2010 at 4:18 am

    असीत भाई, अगर रविश कुमार, पुण्य प्रूसन, अजय कुमार औऱ निशांत चतुर्वेदी की तरह एंकर चाहिए तो मीडिया महंतों को गोराई गोलाई औऱ गहराई के आकर्षण से बाहर आना होगा। अगर टीवी चैनल को कर्ताधर्ताओं को ये लगने लगा है कि महिला एंकरों की टीआरपी ज्यादा होती है.. तो वो गलत हैं.. क्योंकि न्यूज चैनल के दर्शक को खबर और पूरी खबर चाहिए होती है.. अगर सुंदर चेहरे तोतलाते और लड़खड़ाते हुए गलतबयानी करें तो इससे उसकी तौहीन कम और चैनल चलानेवाले दिग्गज पत्रकारों की ज्यादा होती है… आज की तारीख में जो दिग्गज महिला एंकर्स हैं.. उनकी पहचान उनकी काबिलियत से है.. न की सुंदरता से… कोई उन्हें अपने ख्वाबों की रानी नहीं समझता बल्कि संजीदा और सम्‌मानित महिला समझता है.. लेकिन सवाल ये कि आखिर क्यूं हमारे वरिष्ठगणों को इ बात नहीं समझ में आ रही। क्यूं वो रुपवतियों को बैठा देते हैं… और उ कचरा कर देती है, इससे सबसे ज्यादा आघात वैसे काबिल प्रोड्यूसरों को लगता है.. जो स्क्रीन पर आकर किसी की भी बजा देने की कूवत रखता है… लेकिन उस बेचारे में गोराई गोलाई औऱ गहराई नहीं थी.. सो मलाल करने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं रहता.. लेकिन इससे उसका काम जरुर प्रभावित होता है। जिन लोगों को ये लगता है कि हुस्न की नुमाईश के बिना न्यूज चैनल नहीं चल सकता है तो उन्हें कनाडा के नेकेड न्यूज चैनल vanessa को फोलो करना चाहिए, जिसमें एंकर नंगे बदन समाचार पढ़ती हैं… बहरहाल आपने जो मुद्दा उठाया वो मुद्दा बहस का नहीं बल्कि महाबहस का है लेकिन अफसोस की आपके द्वारा महाबहस की अपील के बाद भी उनकी कलम से कोई जवाब नहीं आया, कहीं ऐसा तो नहीं कि इस महाबहस में शामिल होने पर उऩके पसीने छूट जाएंगे… जैसे नीरा राडिया के बारे में पूछने पर शरद यादव, लालू यादव, ए राजा, प्रकाश करात, अनंत कुमार, एबी बर्धन और मुलायम सिंह यादव सहित सभी दलों के नेताओं को छूटने लगता है।

  2. ?????

    May 31, 2010 at 5:01 am

    आप एंकरों की बात करते हो.मैं धुरंधर की बात कर रहा हूँ.संसद पे जब हमला हुआ तो एक महान पत्रकार लगातार वहां बम फटने,ज़ोरदार धमाका होने,अफरातफरी मचने,फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुँचने,बम स्क्वैड पहुँचने और दूसरे किन्हीं बमों की तलाश पे बहुत देर,घंटों तक लाइव ‘धमाका’ करते रहे.इतिहास गवाह है कि संसद के भीतर या बाहर कोई बम न था,न फटा था,न मिला था और ज़ाहिर न बम की वजह से कोई अफरातफरी ही मच सकती थी…..आज वो मूर्धन्य पत्रकार देश के महान टीवी पत्रकार हैं.आजकल स्टार न्यूज़ की शोभा बढाते हैं….नाम है श्री दीपक चौरसिया!!

  3. Navin Kumar

    May 17, 2010 at 4:37 am

    असित जी मै आपके विचारो से पुरी तरह सहमत हु आज कल एंकरो की भर्ती किस तरह होती है ये आप और हम जैसे मीडिया में काम करने वाले अच्छी तरह जानते है मै ऐसे अंधिकांश एंकर को जानता हुं जिन्हें दुनिया दारी की रत्ती भर समझ नही है ख़बरो से ज्यादा समय ये मैकअप रुम मे गुजारना पसंद करते है आखिरकार ये ही किसी चैनल का आईना होता है आप कितनी भी मेहनत कर लो किसी प्रोगाम विशेष के लिए यदि सही एंकर नही मिल पाए तो सारा किया कराया गुड गोबर हो जाता है

  4. shaishwa kumar

    May 17, 2010 at 8:01 am

    sach sab jante hain par bade dino ke baad kisine bola hai! achcha hai Asit Nath Tiwariji

  5. ABC

    May 17, 2010 at 8:18 am

    I fully agree with you Asitji. An anchor should be well updated with current affairs, should have good knowledge of political scenario of the state, should be knowing about geography of the region. Other qualities like communication & pronunciation are also very important. What CEOs’ and channel heads need to understand is that, there is big difference between a newsreader and an anchor. Anyone can be a newsreader, but not everyone can be an anchor. So while recruting the above said points are to be carefully taken into consideration & salary, designation, perks accordingly decided upon.

    Thanks.

  6. अमित

    May 17, 2010 at 8:55 am

    असित भाई मैं भी आपके विचारों से सहमत हूं। आपने जो एंकर्स के बारे में बातें लिखी हैं वो सौ फीसदी सच है। जितने भी नए चैनल आ रहे हैं उनमें आधे से ज्यादा एंकर ऐसे ही होते हैं जिन्हें ख़बरों की बुनियादी जानकारी नहीं होती है,,फिर भी उन्हें एंकरिंग जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी जाती है। एक वाकया मैं भी आपको बताऊं । बिहार में एक विधायक अभय सिंह ने अपने परिवार के साथ खुदकुशी कर ली थी। इसी ख़बर को लेकर बिहार झारखंड के एक जाने माने चैनल में एक महिला एंकर ने रिपोर्ट से पूछा कि विधायक जी एक मूर्ति का अनावरण करने वाले थे अब उसका क्या होगा।

  7. Abhishek sharma

    May 17, 2010 at 12:24 pm

    jai ho devio……..bhagwan aap ka bhala kare.

  8. breaking flash

    May 17, 2010 at 12:35 pm

    असित भाई….
    आपने जो कहा ठीक कहा….लेकिन इसमें एक चीज़ गलत है….आप सभी एंकरों को एक ही तराजू में तौलने की कोशिश कर रहे हैं। और इतना तो आप भी जानते हैं कि पांचो अंगुलिया एक बराबर नही हैं। लिखना है तो नाम लिख कर बताइए…थो़ड़ी हिम्मत दिखाइए…आपने तो सभी एंकरो पर सवाल खड़ा कर दिया..।

  9. गजेन्द्र राठौड़ राजस्थान पत्रिका,बंगलोर

    May 17, 2010 at 3:26 pm

    तिवारी जी नमस्कार, एंकर की बात तो क्या कहूँ, लेकिन आज कल चैनल वालों को तो ये ही चहिये| वो तो लगे है टी आर पी के चक्कर में| खबर में क्या जा रहा है और एंकर क्या बोल रहा है, इस बात को तो वो नजर अंदाज कर रहे है| इसमे बहुत से चैनल शामिल है| मेरा मानना है कि पत्रकार चेहरे से तय नहीं होता और एंकर के लिए हो अनुभव अति आवश्यक है| आप के विचारो को पड़ कर अच्छा लगा और मै आप की बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ|

  10. vikas mishra

    May 17, 2010 at 6:23 pm

    i fully agree with you Asitji. An anchor should be well updated with current affairs, should have good knowledge of political scenario of the state, .

  11. Mitali

    May 18, 2010 at 5:16 am

    asit sir,
    aapki baatein puri tarah sahi hain…jahan par baat pehchaan ki hoti hai, wahan par ek anchor ko hi mahatwa diya jata hai…jaahir si baat hai, iske liye ek anchor ko har choti se choti or badi se badi khabaron ke piche chipe huye buniyadi gyaan ki achi samajh honi chahiye…aur baat jahan par recruitment ki aati hai to wahan par in anchors ke gyaan ki nahi, kisi bade aadmi ya officers ki sifaarish ko jyada mahatwata di jati hai…ye baatein sab jante hain, chahe wo media se jude huye aap jese log hain ya fir hum jesi aam janta…

  12. vabhavi

    May 18, 2010 at 6:38 am

    >:( ye journalism ka sab se bura pehlu hain……… aap ki har baat bilkul sahi hain……

  13. C.R.kajla,

    May 18, 2010 at 9:28 am

    Ashit ji Media ko aaina dikhana aasan nahi,,,,lekin aapne koshish ki hai….Aaj media me bhi Ang pardarshan ko pasand kiya jane laga hai….partibha ki or dhyan kam jata hai..

  14. rajeshbharti

    May 18, 2010 at 2:09 pm

    ab tak likhe gaye vichro se ye lag raha hai ki sirf fimale anchoro ki bat ho rahi hai jabki male ankar bhi kam mahan nahi, karib teen sal pahle sahara samay-up par ek lipe-pute chikane se vidwan anchor ne news padhi ki uttrakhand ke cm harish rawat……jabki rawat kabhi cm nahi rahe, ye ho sakta hai desk ne galati se aisa likha ho par anchor kuch padha-likha hota to is galati par ruk jata. mane desk par 3-4 bar phone kar galati batai par puri rat wahi buletan chala.

  15. r k yadav

    May 19, 2010 at 5:45 am

    ha h ha a a a .. asit ji lagta hain apne hamar tv nahin dekha hain.dekh lijiye samajh main aa jayega

  16. vijay

    May 19, 2010 at 7:30 am

    YE SACH HAI MAI E-TV ME THA TAB EK FEMALE ANCHOR AISAHI KUCH BOL GAI BULLETIN KHATAM HONE SE PAHALE ANCHOR KO KAHANAA THA MAGAR JAANE SE PAHALE EK NAZAR HEADLINES PER TO USNE KAHA MAR JAANE SE PAHALE EK NAZAR HEADLINES PER……………..

  17. basant

    May 19, 2010 at 2:46 pm

    sawaal sabse bada ye khada hota hai ki pahle hum ye jaan le ki anchor aur news reader kya hota hai?..aajkal iss bheed me readers tto hain lekin wo anchor nahi hain jinko muddon ki gahrai se jaankari ho ya fir patrakarita ki koi bhi jaankari nahi hoti hai..naye bache mass comm karke badi tadaad me aa rahe hain lekin quanitity badh gayi hai quality nahi ..khas taur pe economics , social science, aur politics me jaankaari hi nahi hoti na hi nayi genreaton padhna chahti aur na hi field me jaakar experience lena chahti hai..bass kisi tarah screen per chehra dikhana hi nayi generation ka sapna hota hai..lekin iske liye kahin na kahin management ko bhi apne reader ko anchor me tabdeel karne ke liye mehnat karni hi padegi

  18. kundan

    May 21, 2010 at 7:15 am

    asit ji
    lagta hai ranchi aur aptna ke channel ko bhali bhanti jante.hamari aapki mulakat toh nahi hui pur apne exprience se kah sakta hu yahan anchr banane ke liye talent nahi… chaplus hona chahiye ladka ho toh.agar ladki hain toh toh phir kuch nahi aachi surat.aur boos ka khayal rakhne wali.humlogo ko hi yahan ki mansikta ko badalna hoga. lakin aap aur hum sayad bhool gaye.yeh bihar hai bhaiya.. yahan log sirf ek hi baat jante hai ‘jiski lathi uski bhais…..

  19. kundan

    May 21, 2010 at 7:22 am

    sirf bajpai ji aur churasiya ji ko aadarsh manae wala anchor nahi ho jata.unhone kari mehnat ki is liye woh iski mahta ko samajhte hai.lakin jub kisi ko bina mehnat ke chaplusi karke anchor banne ka mauka mil jaye toh.woh iski garima kya jane?kuch log delhi ke naam par yahan dinge hakte najar aate hai. par mera sawal yeh hai delhi media hub hai.jub use wahan naukri nahi mili toh bihar jharkhand main hero batane ka kya fayda.

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