Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

इन अखबार मालिकों व अफसरों ने भी पत्रकारों के प्लाट हड़पे

[caption id="attachment_16319" align="alignleft"]अनुराग उपाध्यायअनुराग उपाध्याय[/caption]असली और नकली पत्रकारों के बीच जमीनखोर : तुम आसमां की बुलंदी से जल्द लौट आना, मुझे जमीन के मसाइल पर बात करनी है… यह शेर यूँ ही याद नहीं आया। भोपाल में गरीब पत्रकारों को मिलने वाली जमीन हड़पने की बात आई तो तमाम सारे वे नकचढ़े लोग जमीन पर आ गए हैं जो हमेश आसमान में रहा करते थे। ज़मीन के लिए एकदम वैसे ही टूट पड़े हैं जैसे गिद्ध या चील लाश पर टूट पड़ते हैं। जब नीयत में खोट हो तो ऐसी उलटबांसी देखने को मिल जाती है। भोपाल में राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था में इस समय घमासान मचा हुआ है। यहां कुछ प्रेस मालिक, सम्पादक, सरकारी अधिकारी और कुछ बड़े पत्रकार एकदम जमीनखोर हो गए हैं। एक-एक प्लाट के लिए मारामारी मची हुई है। संस्था के अध्यक्ष रामभुवन सिंह कुशवाह ने प्लाट ले लिया। अपने पत्रकार बेटे अनिल सिंह कुशवाह को प्लॉट दिलवा दिया और अपने दूसरे बेटे विजय सिंह को प्लॉट दिलवाने के लिए उसके पिता की जगह शिवराज के डंपर कांड से प्रेरणा लेकर आर.बी.सिंह लिख दिया। आपको याद होगा डंपर कांड में शिवराज की जगह एसआर सिंह लिखा गया था। यह है जमाने को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वालों की सच्चाई। अपने ही गरीब गुरबे साथियों के हक़ पर कुछ लोग कुंडली मार के बैठ गए हैं।

अनुराग उपाध्याय

अनुराग उपाध्यायअसली और नकली पत्रकारों के बीच जमीनखोर : तुम आसमां की बुलंदी से जल्द लौट आना, मुझे जमीन के मसाइल पर बात करनी है… यह शेर यूँ ही याद नहीं आया। भोपाल में गरीब पत्रकारों को मिलने वाली जमीन हड़पने की बात आई तो तमाम सारे वे नकचढ़े लोग जमीन पर आ गए हैं जो हमेश आसमान में रहा करते थे। ज़मीन के लिए एकदम वैसे ही टूट पड़े हैं जैसे गिद्ध या चील लाश पर टूट पड़ते हैं। जब नीयत में खोट हो तो ऐसी उलटबांसी देखने को मिल जाती है। भोपाल में राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था में इस समय घमासान मचा हुआ है। यहां कुछ प्रेस मालिक, सम्पादक, सरकारी अधिकारी और कुछ बड़े पत्रकार एकदम जमीनखोर हो गए हैं। एक-एक प्लाट के लिए मारामारी मची हुई है। संस्था के अध्यक्ष रामभुवन सिंह कुशवाह ने प्लाट ले लिया। अपने पत्रकार बेटे अनिल सिंह कुशवाह को प्लॉट दिलवा दिया और अपने दूसरे बेटे विजय सिंह को प्लॉट दिलवाने के लिए उसके पिता की जगह शिवराज के डंपर कांड से प्रेरणा लेकर आर.बी.सिंह लिख दिया। आपको याद होगा डंपर कांड में शिवराज की जगह एसआर सिंह लिखा गया था। यह है जमाने को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वालों की सच्चाई। अपने ही गरीब गुरबे साथियों के हक़ पर कुछ लोग कुंडली मार के बैठ गए हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सालों से सरकारी मकानों में कब्जा जमाये पत्रकारों और गरीब श्रमजीवी पत्रकारों के लिए सस्ते में ज़मीन देने की पहल की। पहले अभिव्यक्ति गृह निर्माण सहकारी समिति में लगभग सौ पत्रकारों को जमीन दी गई। उसके बाद राजधानी पत्रकार ने काम शुरू किया। इस संस्था का शुरू में काम तो ठीक चला लेकिन बाद में इसमें जमीन माफिया ने पत्रकार के रूप में प्रवेश कर लिया। एकदम परकाया प्रवेश की तरह। राम नाम की लूट मच गई। अध्यक्ष ने अपने बेटों को प्लॉट दे दिए, कई सरकारी अफसर और उनके नातेदार पत्रकारों के भेष में नजर आने लगे। हालात इतने बिगड़ गए कि संस्था के चुनाव में घमासान मच गया। शिकायत मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव राजस्व और लोकायुक्त तक पहुँच गई। उम्मीद की जाना चाहिए कि जांच में दूध का दूध होगा और गरीब पत्रकार और ज़मीन माफिया पत्रकार के बीच की जंग निर्णायक साबित हो जाएगी।

शलभ भदौरिया, मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष हैं। वह कहते हैं पहले पत्रकार कालोनी में गड़बड़ हुई थी, तब देवेन्द्र खरे जैसे पत्रकार को जेल जाना पड़ा था। अब जो कुछ राजधानी पत्रकार सहकारी समिति में चल रहा हैं इसमें भी जो गड़बडिया हुई हैं उसके चलते यहाँ भी कई लोग जेल जायेंगे। शलभ भदौरिया कहते हैं 1996 में हमने सरकार से कहा था पत्रकारों को सरकारी मकान में रहने का शौक नहीं है, श्रमजीवी पत्रकारों को सस्ते में जमीन दी जाए। अब जमीन दी गई तो श्रमजीवी पत्रकारों की जगह अखबार मालिक, सम्पादक, कुछ जमीन चाहने वाले अधिकारी इसमें घुस गए। सारे रैकेटियर लोगो का जमावड़ा हो गया है। ज़मीन की बंदरबांट हो गई है। पूरे मसले में शलभ भदौरिया एक-एक आदमी के शपथ-पत्र की जांच करवाने की मांग कर रहे हैं ताकि गरीब श्रमजीवी पत्रकारों को उनका हक़ मिल सके।

राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समिति में मचे घमसान का सूत्रधार दैनिक छत्तीसगढ़ के ब्यूरो चीफ अतुल पुरोहित और स्वदेश के डॉ. नवीन जोशी को माना जा रहा हैं। अतुल पुरोहित कहते हैं- “यह लड़ाई बहुत आगे तक जायेगी। अध्यक्ष ने खुद प्लॉट लिया बेटो को दे दिया, भाई, भतीजे, बेटा, बेटी, पत्नी, अखबार मालिक, बिल्डर क्या इनके लिए सरकार ने जमीन दी हैं? पत्रकारों की जमीन मूल पत्रकार छोड़ सबको बाँट दी गई हैं।”

स्वदेश के डॉ. नवीन जोशी कहते हैं- “क्या गड़बड़ी नहीं हुई, असल पत्रकारों के साथ नाइंसाफी हो रही हैं। ऐसे नाम हैं जिनका पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं हैं। दीपा ज्ञानचंदानी, राजकुमारी चौटरानी, दैनिक नई दुनिया के चारो मालिको को जमीन दी जा रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार एन.के.सिंह दूसरी पत्रकार कालोनी में जमीन ले चुके हैं। उनको, उनके बेटे राहुल सिंह को जमीन दी जा रही हैं। ऐसे लोगो के शपथ पत्रों की जांच हो और असल पत्रकारों को जमीन दी जाए।

जमीन से जुड़े पत्रकार सीताराम ठाकुर कहते हैं-“वास्तविक पत्रकारों को उनका हक़ मिले और राजधानी पत्रकार में फर्जीवाडे के दोषी सामने आये। मैं कलेक्टर, मुख्य सचिव राजस्व से पूरे घोटाले की जांच की मांग कर रहा हूँ।”

राजधानी पत्रकार गृहनिर्माण सहकारी संस्था खड़ी करने वाले सेन्ट्रल प्रेस क्लब के वरिष्ठ पत्रकार विजय दास कहते हैं-“कोई संस्था सौ प्रतिशत सही काम नहीं करती। जिन गड़बडियों की बात की जा रही हैं उसे ठीक किया जाएगा। अच्छा हैं इलेक्शन हो रहे हैं, कई सोसायटियों में तो 12 सालो से चुनाव तक नहीं हुए हैं। हम तो यही चाहते हैं मनमुटाव न हो, जो पात्र हैं उन्हें ही ज़मीन दिलाई जायेगी। हमारा सेन्ट्रल प्रेस क्लब का पैनल मैदान में हैं।”

इस मामले में कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री और लोकायुक्त तक शिकायतें की गई हैं और कहा गया है कि सहकारिता कानूनों की धज्जिया कैसे उड़ी हैं, यह देखना है तो राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समित के कारनामे देख लें। इस शिकायत में कहा गया है कि माध्यम दर्जे के असल पत्रकारों को दी जाने वाली जमीन हड़पने के लिए सौ से ज्यादा लोगो ने झूठे शपथ-पत्र दिए हैं। यहाँ गरीब पत्रकारों के प्लॉट जागरण के मालिक राजीव मोहन गुप्ता, नवभारत के मालिक सुमित महेश्वरी, संध्या प्रकाश के मालिक भरत पटेल, स्वदेश के मालिक राजेंद्र शर्मा, अक्षत शर्मा, देशबंधु के मालिक पलाश सुरजन, दैनिक नई दुनिया के मालिक राजेंद्र तिवारी, सुरेन्द्र तिवारी, उनके बेटे अपूर्व तिवारी और विश्वास तिवारी के नाम हैं। ईएमएस के मालिक सतन जैन, उनके बेटे सौरभ जैन और प्रदेश टाइम्स के अजय हीरो ज्ञानचंदानी, हिंदी मेल के मालिक विजय दास को दिए जा रहे हैं। इन लोगो को श्रमजीवी पत्रकार कैसे माना जा सकता है। इन लोगो के कारोबारों और संपत्तियों की जांच की मांग मुख्यमंत्री से की गई है।

वही मुख्यमंत्री और लोकायुक्त को की गई एक अन्य शिकायत में कहा गया हैं कि मुख्यमंत्री निवास पर तैनात तीन अधिकारी भी पत्रकारों की जमीन हड़पना चाहते हैं। इन्हें दी गई सूची में कहा गया हैं कि आला दर्जे के सरकारी अफसरान कैसे राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समिति में घुस गए, इसकी जांच बेहद जरुरी है क्योंकि राजधानी पत्रकार गृह निर्माण के नाम पर कोई भू-माफिया सोची समझी साजिश के तहत पत्रकरों को उनके हक़ से महरूम कर रहा हैं। इन अधिकारियो की चल-अचल संपत्ति की जांच की मांग के साथ इनकी सूची और इनकी जमीन मकानों की जानकारी भी दी गई है। ये अधिकारी हैं- पुष्पेन्द्र शास्त्री, प्रकाश दीक्षित, डॉ कमर अली शाह, आशिक मनवानी,  उमा भार्गव, आर.एम.पी. सिंह, रोहित मेहता, शांता / प्रतिश पाठक, आस्था / लाजपत आहूजा, शोभा साकल्ले, रवि उपाध्याय, असीम / ताहिर अली, हर्षा / रामू मारोड़े, अर्चना / सुरेश गुप्ता, श्वेता / रविन्द्र पंड्या, अंजना, वनिता श्रीवास्तव IAS की पत्नी, अनिल खन्ना एसबीआई अधिकारी रिटायर्ड।

जमीन के लिए मची धामा चौकड़ी में सब अपने-अपने हित साधने में लगे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जब राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति को जमीन देने को कहा था तो यह स्पष्ट कर दिया था कि इसमें लगभग 40 कैमरामैन को प्लॉट दिए जाएं लेकिन हुआ इसका उल्टा। इनकी जगह भर लिया गया अखबार मालिकों और सरकारी अफसरों को। इसी बात को लेकर पत्रकारिता से सम्बन्ध और असंबंध लोगो के बीच भिड़ंत हो गई और राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था एक अखाड़े में तब्दील हो गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सहकारिता से जुड़े लोग कहते हैं कि अगर इस मामले ने तूल पकड़ा तो कई सरकारी अफसरों को लानत का शिकार बनना पड़ेगा और कई लोग सीखचों में भी नजर आ सकते हैं। जाहिर है, जमीन हमेशा झगड़े की जड़ बनी है तो इस बार भी…! लेकिन मामला असली और नकली पत्रकारों का है तो बात बहुत दूर तक जाएगी।


लेखक अनुराग उपाध्याय भोपाल के टीवी जर्नलिस्ट हैं.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement