अनुरंजन झा की सीएनईबी में नियुक्ति से संबंधित समाचार में पक्ष-विपक्ष में आए ढेर सारे कमेंट्स में एक कमेंट ऐसा भी है, जिसमें एस-1 से भी स्पष्टीकरण का आग्रह किया गया है। हालांकि ऐसे किसी भी स्पष्टीकरण के लिए एस-1 बाध्य नहीं है, एक ऐसी घटना विशेष का जिक्र किया गया है जिसके मुख्य पात्र अनुरंजन झा हैं।
इसलिए उस बारे में बताना जरूरी है। अगर अब चुप रहा गया तो कुछ लोग अन्यथा सोच सकते हैं। यहां पर ये बताना भी जरूरी है कि एस-1 के प्रबंधन, अनुरंजन झा के घटिया और ब्लैकमेलिया चरित्र को उजागर करने की कोई मंशा नहीं रखता है। ये घटना जिस रूप में घटित हुई वैसी ही यहां दी जा रही है। आशा है, आप इस प्रति कथन को प्रकाशित करेंगे।
-एस1 प्रबंधन की ओर से राजीव शर्मा
सुधी पाठक/दर्शक गण, एस1 न्यूज चैनल को सीरी फोर्ट आफिस के बाद नोएडा से शुरू करने की तैयारियां चल रहीं थी। उस वक्त एचआर स्वयं सभी नियुक्तियां करता था। अनुरंजन झा को अच्छे खासे अधिकार और ओहदे के साथ एस-1 में लाया गया था। अनुरंजन झा एक दिन ऑफिस आते और चार दिन के लिए गायब हो जाते थे। इनकी रुचि बढ़ाने के लिए, तत्कालीन प्रबंधन ने इनके अधिकारों में और भी बढ़ोतरी कर दी। अब अनुरंजन झा नियुक्ति-प्रोन्नति में दखलंदाजी करने लगे थे, लेकिन वो इतने अधिकारों से भी संतुष्ट नहीं रहे।
अनुरंजन झा की महत्वाकांक्षा चैनल हेड बनने की थी। जब उन्हें सीमा में रहने के संकेत दिए गए तो उन्होंने चेयरमैन विजय दीक्षित को ब्लैकमेल कर अपना ओहदा बढ़ाने की साजिश रच डाली। इस साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उन्होंने एकंर प्रत्याशी युवती का भी इस्तेमाल किया। अनुरंजन की ये साजिश नाकाम रही। इस साजिश का भाण्डा भी अनुरंजन झा के अतिरेक से फूटा। साजिश नाकाम होने पर अनुरंजन झा ने एक सीडी बनाने की अफवाह फैलाई। अनुरंजन झा की मंशा थी कि इस अफवाह से चेयरमैन को अपने शिकंजे में कस लिया जाएगा।
अफवाह सामने आते ही चेयरमैन ने सीनियर्स की मीटिंग बुलाई और सीडी को सरे-आम दिखाए जाने का निर्देश दिया। अनुरंजन झा को ऐसी उम्मीद भी नहीं थी कि ऐसा भी हो सकता है। अनुरंजन झा के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। उन्होंने माफी मांगते हुए चैनल से चुपचाप खिसक लेने में भलाई समझी। हालांकि उस समय के सभी सीनियर्स अनुरंजन झा एवं उस युवती को पुलिस के सुपुर्द करने के पक्ष में थे लेकिन चेयरमैन ने अनुरंजन झा को बख्श जिया। हां, अनुरंजन को चैनल परिसर से तत्काल चले जाने का निर्देश जरूर दिया।
चेयरमैन चाहते तो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके देश और देश के सभी मीडिया संस्थानों को अनुरंजन झा की हरकतों से आगाह करा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा भी नहीं किया। भड़ास4 मीडिया पर अनुरंजन से जुड़ी एक खबर में किसी ने कमेंट करके एस1 से सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण न मांगा होता तो अनुरंजन के घटिया और ब्लैकमेलिया चरित्र को उजागर करने वाली इस घटना को सार्वजनिक नहीं किया जाता।
-एस1 प्रबंधन की ओर से राजीव शर्मा
rajiv
August 14, 2010 at 12:12 pm
Rajiv sharma should give proof against such bad allegation. I think this allegation is fake and flop story, it should not be published . Rajiv Sharma must be penalised.
नरेश गौड़
August 14, 2010 at 1:04 pm
[b]राजीव जी ,
क्या आपको पटना में विजय दीक्षित और आलोक तोमर की होटल पाटिलपुत्र अशोक की सीडी के बारे में पता है?
नरेश गौड़ [/b]
एडिटर, भड़ास4मीडिया
August 15, 2010 at 5:07 pm
आईपी एड्रेस 122.173.32.31 से तीन कमेंट अलग अलग नामों kaka singh, k.s. gambhir, mitu kashish से किए गए थे. ऐसे ही अलग अलग नामों से ही एक ही आईपी एड्रेस से कई कमेंट इस पोस्ट के नीचे किए गए. इन सभी को रिमूव करने के अलावा उन कमेंट्स को भी हटा दिया गया है जो नाम-पहचान के साथ सामने आए बिना लिखे जा रहे हैं. एस1 प्रबंधन द्वारा लिखित में लगाए गए आरोपों पर अगर किसी को कुछ कहना है तो वह नाम-पहचान के साथ सामने आकर जवाब दे. उनके कहे को प्रकाशित किया जाएगा. -एडिटर, भड़ास4मीडिया
आलोक तोमर
August 18, 2010 at 10:24 am
[b]नरेश गौड़… पहले तो आप कृपया अपना परिचय और इस संसार में अपनी उपस्थिति और कामकाज के बारे में बताएं तो मैं जान सकूं कि इतनी महत्वपूर्ण सूचना जिसका न मुझे पता है और न विजय दीक्षित को पता होगा, आपके पास कहां से पहुंची… अब अगर आप इतने विश्वास से और मोटे अक्षरों में लिख रहे हैं तो सोचना पड़ रहा है… सोचने से भी ज्यादा लालच हो रहा है कि सीडी में मेरे साथ और विजय दीक्षित के साथ अगर कोई देवीजी थी तो वो कौन थी… आखिर हम भी तो देखें कि एक अरबपति सेठ और एक श्रमजीवी पत्रकार किस सौन्दर्य का एक साथ साझा करते हैं… अगर सीडी है तो कृपया भड़ास को भेज दे… मुझे उम्मीद है कि भड़ास के संपादक अपने पाठकों के ज्ञान और मनोरंजन के लिए उस सीडी को सार्वजनिक करने का काम ज़रूर करेंगे… और अगर सीडी नहीं है… और यूं ही फर्जी नाम से सनसनी पैदा करने के लिए लिख दिया है तो बहुत जूते पड़ेंगे… शुरूआत में बहुत शराफत से आपका पता वगैरह इसीलिए मांगा है… आपके सामने दो विकल्प हैं… या तो सीडी सार्वजनिक करें या फिर जूते खाएं….मेरे जूते आपकी प्रतीक्षा में हैं…क्योंकि सीडी का मुझे पता है कि ऐसी कोई सीडी नहीं है… होती तो जितने तुम्हारे दोस्त नहीं होंगे उससे ज्यादा मेरे दुश्मन हैं… अब तक तो मैं ब्लू फिल्म का हीरो बन गया होता…क्या अपने दीक्षितजी इस बारे में कुछ बोलेंगे…[/b]