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साहित्य

‘हंस’ के कार्यक्रम में शामिल न होंगी अरुंधति!

‘हंस’ के सालाना आयोजन की जो रूप-रेखा प्रचारित की गई है, उसमें सबको यह आभास दिया गया कि इस बार पुलिस अधिकारी विश्वरंजन और अरुंधति राय को एक ही मंच पर लायेंगे. कई लोगों में इस पर बड़ा आक्रोश था. खासकर वाम खेमे के लोग तमाशा खड़ा करने के राजेंद्र यादव के मंसूबे से बेहद क्षुब्ध दिखे. कुछ लोगों ने अरुंधति राय को खबर कर इस संभावित तमाशे की ओर ध्यान खींचा.

<p style="text-align: justify;">'हंस' के सालाना आयोजन की जो रूप-रेखा प्रचारित की गई है, उसमें सबको यह आभास दिया गया कि इस बार पुलिस अधिकारी विश्वरंजन और अरुंधति राय को एक ही मंच पर लायेंगे. कई लोगों में इस पर बड़ा आक्रोश था. खासकर वाम खेमे के लोग तमाशा खड़ा करने के राजेंद्र यादव के मंसूबे से बेहद क्षुब्ध दिखे. कुछ लोगों ने अरुंधति राय को खबर कर इस संभावित तमाशे की ओर ध्यान खींचा.</p>

‘हंस’ के सालाना आयोजन की जो रूप-रेखा प्रचारित की गई है, उसमें सबको यह आभास दिया गया कि इस बार पुलिस अधिकारी विश्वरंजन और अरुंधति राय को एक ही मंच पर लायेंगे. कई लोगों में इस पर बड़ा आक्रोश था. खासकर वाम खेमे के लोग तमाशा खड़ा करने के राजेंद्र यादव के मंसूबे से बेहद क्षुब्ध दिखे. कुछ लोगों ने अरुंधति राय को खबर कर इस संभावित तमाशे की ओर ध्यान खींचा.

अब खबर है कि ‘हंस’ के सालाना जलसे में अरुंधति राय और विश्वरंजन को आमने-सामने लाकर तमाशा खड़े करने की मंशा पाले राजेंद्र यादव को झटका लग सकता है. संभव है, अरुंधति राय इस आयोजन में हिस्सा ही न लें. ऐसा उन्होंने मेल के जरिए नीलाभ को लिखे जवाबी पत्र में कहा है. अरुंधति को जब यह पता चला कि छत्तीसगढ़ के डीजीपी विश्वरंजन को इस आयोजन में बुलाया जा रहा है तो उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में पुनर्विचार करने को कह दिया है. अरुंधति राय ने नीलाभ को जो पत्र लिखा है, वो इस प्रकार है-

Dear Neelabh

Thanks for alerting me about a meeting I had no idea about! Rajendra Yadav did call a few weeks ago and ask whether I could come to a Hans event in July. I was travelling at the time and said I’d speak to him later. And now you tell me that without my ever having agreed, it’s being billed as a debate between me and the notorious policeman Mr Vishwaranjan! I had no idea about all this.

I have no intention of being there. Not after my recent experience with PTI and the rubbish that is being put out by the Chhattisgarh police and headlined in the Indian Express. You say a bunch of youngsters are putting together a petition asking me not to go…please tell them that I don’t need a petition to persuade me! I never agreed to go in the first place. And now it’s beginning to look like a set up.

You can circulate this  to anyone who is worried that I might walk into this trap. (translate it if it will help?) I think there are better ways of having debates in which co-opted media people controlled by the police cannot misquote you.

All the best

Arundhati

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0 Comments

  1. धीरज

    July 18, 2010 at 7:50 pm

    पता नहीं राजेंद्र यादव जैसे महान साहित्यकार भी अरुंधति जैसे छोटे नामों के चक्कर में क्यों पड़ जाते हैं. सवाल यह उठता है कि क्या हंस को अरुंधति के नाम की जरूरत है? यवाल यह भी है कि क्या राजेंद्र यादव ने जब अरुंधति को फोन पर न्यौता दिया था तो उसने सचमुच यही बात (बाद में बात करने की) कही थी जो उन्होंने मेल में लिखी थी. और क्या कोई इस पर यकीन कर पाएगा कि अरुंधति की इसी ‘सहमति’ पर उसके आने की चर्चा शुरु हो गई? अरुंधति एक सोशलाइट (कुछ ना कर के भी खबरों में बने रहने वाले चंदाखोरों का उपनाम) है और इस बार भी उसने अपना नाम प्रचारित करने के लिए इस मेल की कॉपी मीडीया तक पहुंचवाई है. यशवंत जी, वह आपका इस्तेमाल कर फिर चर्चा में आ गई. इस तरह प्रयोग मे आने से बचें.

  2. हरि प्रकाश गर्ग

    March 4, 2011 at 7:21 am

    राजेंद्र यादव महान साहित्यकार या महान छिछोरा ?

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