: लीगल नोटिस भेजा : अमर उजाला, बुलंदशहर के ब्यूरो चीफ विजयशंकर पांडेय और उनकी विज्ञापन टीम इन दिनों परेशान है। अमर उजाला की बुलंदशहर टीम ने पिछले महीने एक दूरभाष पत्रिका का प्रकाशन किया है, जिसमें जिले भर से लाखों रुपये के विज्ञापन बटोरे गये, लेकिन इस पत्रिका के कंटेंट में बुलंदशहर में कई सालों से प्रकाशित हो रही रोटरी क्लब की पत्रिका “मुस्कान” की नकल कर दी गई है। मुस्कान के संपादक और बुलंदशहर के हिंदी दैनिक ‘पीड़ित मानव’ के पत्रकार सूर्यभूषण मित्तल “डब्बू” ने उनकी पत्रिका के कंटेंट की नकल करने के आरोप में अमर उजाला को आठ पन्नों का लीगल नोटिस भेजा है। अमर उजाला, बुलंदशहर ने “अमर उजाला की प्रस्तुति-Bulandshahr Helpline” नाम से जिले भर के फोन नम्बरों की एक पत्रिका का प्रकाशन किया है। ये पत्रिका 18 से 20 जुलाई के बीच अमर उजाला संस्करण के साथ जिले भर में बॉटी गई थी। इस पत्रिका में पूरे जिले के बड़े संस्थानों नेताओं के विज्ञापन पटे पड़े हैं। पत्रिका के प्रकाशन का जिम्मा बुलंदशहर में अमर उजाला के ब्यूरो चीफ विजयशंकर पाण्डेय के हाथों था, और विज्ञापन बटोरने की कमान दिनेश शर्मा “काका” के हाथ।
“मुस्कान” के संपादक पत्रकार सूर्यभूषण मित्तल “डब्बू” ने अमर उजाला के ब्यूरो चीफ, विज्ञापन प्रभारी के अलावा संपादक देवप्रिय अवस्थी और अमर उजाला की पत्रिका के स्पोन्सर और बंसल बीकानेर के मालिक अजय बंसल को भेजे नोटिस में आरोप लगाया है कि अमर उजाला ने “मुस्कान-2009” की अनुक्रमणिका, हेडलाइन के अलावा सारे नंबर अपनी पत्रिका में हूबहू नकल करके छाप दिये हैं। अमर उजाला का मुस्कान की नकल करना कुछ बातों से सिद्ध होता है, जैसे-
पिछले साल की “मुस्कान” में छपे डीआईजी और आईजी पुलिस के नंबर भी अमर उजाला ने नकल करके छाप दिये है जबकि राज्य सरकार ने अब डीआईजी के पद समाप्त कर दिये है और मंडलों के आईजी बदल गये हैं।
अमर उजाला ने “मुस्कान” की कॉपी करके उन अफसरों के नंबर भी अपनी हेल्पलाइन में छाप दिये जिनके या तो जिले से तबादले हो गये या फिऱ वे रिटायर हो चुके हैं।
कुछ ऐसे अफसरों के नंबर भी अमर उजाला ने प्रकाशित किये है जो “मुस्कान 2009” के प्रकाशन के वक्त बड़े पदों पर थे और बाद में लापरवाही के चलते उन्हें उन पदों से हटा दिया गया। उदाहरण के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक भूरी सिंह पिछले साल इस पद पर थे, लेकिन इस साल बोर्ड परीक्षाओं में घपलों के चलते हटा दिये गये। लेकिन अमर उजाला कि पत्रिका में वह आज भी डीआईओएस है। बुलंदशहर स्वास्थ्य विभाग में एसीएमओ से सीएमओ प्रमोट हुए डॉ. दिलीप सिंह भी ऐसा ही उदाहरण है।
“मुस्कान” के संपादक ने कॉपीराइट एक्ट के तहत अमर उजाला को 50 लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहा है। “मुस्कान” के संपादक ने अमर उजाला को 2 अगस्त को ये नोटिस भेजा। इस नोटिस के मिलने के बाद अमर उजाला के ब्यूरो चीफ ने “मुस्कान” के संपादक पर दबाब बनाने के लिए अपने स्थानीय़ स्ट्रिंगर्स के जरिये डब्बू को समझौता करने की सूचना भी भेजी। पर डब्बू समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। डब्बू पर दबाब बनाने के लिए अमर उजाला विज्ञापन टीम के दिनेश शर्मा “काका” ने जिलाधिकारी को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 07 अगस्त को एक आवेदन भेजा है जिसमें रोटरी क्लब की पत्रिका “मुस्कान” के प्रकाशन के अधिकार के संबध में सूचनाएं मांगी गई है। उधर, डब्बू ने मोर्चा सँभालते हुए जिलाधिकारी से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अमर उजाला के ब्यूरो चीफ विजय़शंकर पाण्डेय के पिस्टल/रिवाल्वर के उस लायसेंस के बारे में विवरण मांगा है जो जिलाधिकारी बुलंदशहर द्वारा जारी किया गया था। विजयशंकर पाण्डेय मूलतः बिहार के सासाराम जिले के रहने वाले है और बुलंदशहर में महज डेढ़ साल से तैनात हैं।
इस प्रकरण पर अगर किसी को कुछ कहना है तो अपनी राय नीचे कमेंट बाक्स के जरिए दे सकते हैं या [email protected] पर मेल कर सकते हैं.
A.k.sharma journalist bsr.
August 10, 2010 at 7:05 am
patrakaro ko liecence denae kae liye prashashan sare niyam taak par rakh deta hai ,jabki ek jarooratmand ko 20000/- se 50000/- tak dena padta hai . parshashan ko yadi liencence dena tha to amar ujala sampadak sae aagya lene tehe.vaisay to adhiktar patrakar hathiyar liecene dharak hai , yeh maamla shayad local media ke saath matbhaed ka hai .
Sanjay bhati Editor supreme news
August 9, 2010 at 6:03 am
Amar ujala k buro chif ko pistol ki kya jarurat padti hai .lagta hai inka apni kalam or apne akhbar par bharosha nahi hai. kalam bhi pistol bhi in se bachana bhai.
amit k sharma
August 9, 2010 at 7:06 am
journalism coppy right act
By Balram
August 11, 2010 at 6:13 am
अमर उजाला के पत्रकार चोरी करने एवं झूठी खबर देने के लिये माहिर है
rahul sharma
August 13, 2010 at 3:37 pm
amar ujala bulandshahar main ye koi bada mamla nahin hai, balki 1993 main jab meri wahaan crime reporter ke roop main tenati hui thi to main ye dekhkar chonk gaya tha ki vigyapti chapne ke bhi 10 rupae liye jate the. chalo ab istar kuch to upar pahuncha ki patrika ke naam par hi ugahi ki ja rahi hai na ki khabar chapne ke naam par. bulandshahar main amar ujala ke prabhari ke jahaan das dost hote hain to sekdon dushman. ye wahaan ke prabhari par nirbhar karta hai ki wo kiske saath rahe aur kise nakaar de, magar kuch mahinon main hi chand log uske najdiki ban jate hai jabki baki dushman. yadi ye kartut ujaagar hui hai to unhi dushmano ki wajah se joprabhari ke najdik nahi the warna bulandshahar main toamar ujala ya jagran kam balki wahaan ke kuch patrkaar kam dalaal saalon se kai sansthaaon ki aad main yahi kar rahe hain.