विज्ञान की खबरों के लिए समर्पित पाक्षिक समाचारपत्र “वैज्ञानिक दृष्टिकोण” ने शुक्रवार को जयपुर में एक गरिमापूर्ण समारोह में मशहूर विज्ञान पत्रकार विनोद वार्ष्णेय को दीपक राठौड़ स्मृति राष्ट्रीय विज्ञान संचार पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्हें इस अवसर पर राजीव गाँधी स्टडी सर्कल के निदेशक डाक्टर ओपी व्यास ने ग्यारह हजार रुपये का चेक, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया। इस अवसर पर डाक्टर व्यास ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राजस्थान में पिछले एक साल में 400 स्कूलों में विज्ञान शिक्षा बंद कर दी गयी है. उन्होंने इस बात पर भी खेद जताया कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला छात्रवृत्ति को भी बंद कर दिया. उन्होंने समाचारपत्रों में विज्ञान कवरेज की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की।
विनोद वार्ष्णेय ने अपने संबोधन में कहा कि जब पत्रकारिता का मूल ध्येय मुनाफा कमाना हो जाए तो सामाजिक जरूरत की सामग्री की उपेक्षा सामान्य बात हो जाती है. ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ की ओर से बताया गया कि विनोद वार्ष्णेय ने हिंदी दैनिक पत्रकारिता में भारतीय विज्ञान की कवरेज की नयी पहल की थी। वे कठिन से कठिन वैज्ञानिक पहलुओं पर बहुत सरल ओर रोचक ढंग से लिखते थे। उससे हिंदी वैज्ञानिक पत्रकारिता में उनकी अलग पहचान बन गयी। उन्होंने हालांकि विज्ञान का औपचारिक अध्ययन केवल बीएससी तक ही किया था लेकिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक कार्यशालाओं में व्यक्तिगत रूचि लेकर निरंतर विज्ञान का अध्ययन जारी रखा। क्रॉप बायोटेक्नोलोजी में अमेरिका में कोकरण फेलोशिप के तहत विशेष अध्ययन किया। विनोद वार्ष्णेय केंद्र सरकार के साइंस और टेक्नोलॉजी विभाग की पहल पर पत्रकारिता में विज्ञान के विशेष पेपर का पाठ्यक्रम तय करने के लिए आयोजित कार्यशाला में मीडिया प्रतिनिधि के तौर पर काफी योगदान कर चुके हैं। वे राष्ट्रीय विज्ञान संचार परिषद् की ओर विज्ञान संचार की कार्यशालाओं में विज्ञान संचार के बारीक पहलुओं पर भी व्याख्यान देते रहे हैं। भारतीय विज्ञान लेखक संघ उन्हें 2000 में लोकप्रिय विज्ञान लेखन के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कर चुका है। पुरस्कार ग्रहण करने के बाद उन्होंने बताया कि वे विज्ञान पर लिखना जारी रखेंगे। विनोद हाल ही में वे हिंदुस्तान के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख के पद से कार्यमुक्त हुए हैं।