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दुख-दर्द

रायपुर के पत्रकार को लात-घूंसों-डंडे से पीटा

बबलू तिवारी

छत्तीसगढ़ पुलिस का कारनामा : पीठ और सिर पर गंभीर चोटें : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की पुलिस ने पत्रकार बबलू तिवारी के साथ जो हरकत की है, उसे सुनकर एक बार किसी भी पत्रकार को सिहरन हो सकती है. लगता नहीं कि इस देश में कानून का राज है. वर्दी पहनने के बाद पुलिस वाले खुद को देश-प्रदेश का मालिक मान बैठते हैं और किसी को किसी भी बात पर पीटने का लाइसेंस हासिल कर लेते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो बबलू तिवारी बिना बात पुलिस वालों के लात-जूते-घूंसे-डंडे नहीं खाते. बबलू तिवारी को पुलिस वालों ने मकान खाली कराने के नाम पर मारा-पीटा. अफसरों ने बबलू को सिटी एसपी आफिस में बुलाकर उसे पहले तो धमकाया. मकान खाली करने के लिए दबाव डाला. जब बबलू ने अपना परिचय दिया तो फिर उनकी जमकर धुनाई की. पत्रकार ने इस मामले की डीजीपी विश्वरंजन से शिकायत की है.

बबलू तिवारी

बबलू तिवारी

छत्तीसगढ़ पुलिस का कारनामा : पीठ और सिर पर गंभीर चोटें : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की पुलिस ने पत्रकार बबलू तिवारी के साथ जो हरकत की है, उसे सुनकर एक बार किसी भी पत्रकार को सिहरन हो सकती है. लगता नहीं कि इस देश में कानून का राज है. वर्दी पहनने के बाद पुलिस वाले खुद को देश-प्रदेश का मालिक मान बैठते हैं और किसी को किसी भी बात पर पीटने का लाइसेंस हासिल कर लेते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो बबलू तिवारी बिना बात पुलिस वालों के लात-जूते-घूंसे-डंडे नहीं खाते. बबलू तिवारी को पुलिस वालों ने मकान खाली कराने के नाम पर मारा-पीटा. अफसरों ने बबलू को सिटी एसपी आफिस में बुलाकर उसे पहले तो धमकाया. मकान खाली करने के लिए दबाव डाला. जब बबलू ने अपना परिचय दिया तो फिर उनकी जमकर धुनाई की. पत्रकार ने इस मामले की डीजीपी विश्वरंजन से शिकायत की है.

पत्रकार बबलू तिवारी राजेंद्र नगर में किराए के मकान में रहते हैं. मकान मालकिन सुषमा शर्मा से दिवाली में पुताई को लेकर उनका विवाद हुआ. उन्होंने दो साल के बाद तीसरे साल का एग्रीमेंट करने से इंकार कर दिया. एग्रीमेंट का दबाव बनाने के लिए महिला ने राजेंद्रनगर थाने में इसकी शिकायत की. यह मामला सिविल कोर्ट का है. यह जानते हुए भी पुलिस ने पत्रकार को थाने तलब किया. वहां उस पर मकान खाली करने का दबाव डाला गया. उसने इस मामले में वकील से सलाह लेने की बात कही. हफ्तेभर बाद इस मामले में सिटी एसपी रजनेश सिंह ने हस्तक्षेप किया और 10 फरवरी को दोपहर 3 बजे पत्रकार पर दबाव बनाने के लिए अपने दफ्तर में बुलाया. पत्रकार बबलू उनके बुलावे पर दफ्तर पहुंचे. वहां सीएसपी केबी खत्री और राजेंद्रनगर थाना प्रभारी अशफाक अंसारी मौजूद थे.

अफसरों ने पहले तो बातों से पत्रकार को धमकाने की कोशिश की. पत्रकार बबलू ने उनका विरोध किया तो उन्होंने उनकी वहीं पिटाई शुरू कर दी. दफ्तर में मौजूद सिटी एसपी के पर्सनल स्टाफ अतुलेश राय और अमरेश शर्मा भी उस पर पिल पड़े. मकान मालकिन के सामने अफसरों ने पत्रकार की कमीज उतरवाकर उसे लात-घूंसों और डंडे से धुना. घायल-सहमे हुए पत्रकार ने इसका विरोध किया. उसने अपना परिचय पत्र दिखाकर डीजीपी, आईजी और दो एडिशनल एसपी से खुद की पहचान का भी दावा किया. बावजूद इसके अफसरों ने एक न सुनी और पीट-पीटकर उसे घायल कर दिया. पत्रकार ने आंबेडकर अस्पताल में अपना मुलाहिजा करवाया है, जहां डाक्टरों ने उसकी पीठ और सिर में गंभीर चोटें बताई हैं. शनिवार को पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने पीएचक्यू पहुंचकर इस मामले की डीजीपी विश्वरंजन से लिखित में शिकायत की है. डीजीपी ने इस मामले में जांच करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस वाले कानून के दायरे में रहकर काम करते हैं. अगर वे कानून तोड़ते हैं तो वे अपराधी कहलाएंगे. यह गंभीर मामला है और इस मामले में ठोस कार्रवाई की जाएगी.

बबलू तिवारी द्वारा डीजीपी का लिया गया इंटरव्यू

उल्लेखनीय है कि पत्रकार बबलू तिवारी प्रदेश के पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन का एक लंबा इंटरव्यू भी ले चुके हैं. इस इंटरव्यू का प्रकाशन रायपुर से प्रकाशित नेशनल लुक में किया गया था. सप्ताह का साक्षात्कार कालम में डीजीपी विश्वरंजन का इंटरव्यू दो पन्नों में छपा और डीजीपी ने पुलिस से लेकर कला-पेंटिंग-कविता तक पर बात की. जाहिर है, इतनी गहरी और विस्तृत बातचीत करने वाले बबलू तिवारी को खुद डीजीपी जानते होंगे. ऐसे में उनके मातहत पुलिस अधिकारी बबलू को उत्पीड़ित करने की हिम्मत जुटा पाते हैं, यह आश्चर्यजनक है. इस मामले में सभी दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त कर देना चाहिए. अगर किसी ठीकठाक पत्रकार का ये पुलिस वाले इस कदर उत्पीड़न कर सकते हैं तो प्रदेश में आम आदमी का हाल क्या बनाते होंगे, इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है.

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0 Comments

  1. abhishek singh

    February 15, 2010 at 3:50 am

    police wolo ke good work avoid kar unke bad work par zyada focuce karna chaiye, tabhi police walo ka dimag kaam karega, nahi to aise hi pit te raho

  2. abhishek singh

    February 15, 2010 at 4:06 am

    kisne kaha tha apne ko bhagwan shamjhne ke liye, yaar actually hum logo ki probem same hai ki hamari thodi si bhi kisi se jan pehchan ho jati hai to, hum log khud ko uska bhi baap samjhne late hai, ab kya jo ho gaya so hoa gaya kham kha ki publicity kyo le raha hai

  3. Ram Chandra

    February 15, 2010 at 6:09 am

    aise logon ki harkaton se hi log patrakaron ko makan kiraye par dene mein ghabrate hain…bhai jub agreement nahin hua tha to chhod kyon nahi diya makan…kya ek baar makan le liya to puri zindagi tumhara ho gaya..makan malkin samajhdar hogi tabhi usne tumhen khud nahin dhakka diya…ab kya chahte ho ki tumhen shaheed ka durza dekar tumhari murti lagayen…aise patrakaron ko sharm aani chahiye jo galat baat per presser banane ki koshish karte hain aur khud ko qanoon aur samaj se upar samajhte hain… mera to un police walon ko salute karne ka man ho raha hai…jinhone presser mein aaye bina tumhen tumhari raah dikha di…..

  4. एक और गांधी

    February 15, 2010 at 6:38 am

    कुछ रोज पहले ठीक ऐसा ही मामला नोएडा में मैंने देखा था। एक पत्रकार सहाब रात को ग्यारह बजे पहुंचते हैं, मकान मालिक को पहले थोड़ी देर से आने की जानकारी भी दी थी। लेकिन मकान वाला जानबुझ कर मैंन गेट पर ताला लगा , फोन बंद कर अंदर सोने की नौटंकी करने लगा। जबकी साढे़ दस बजे मकान में ही मौजूद अपनी दुकान को वो बंद करते हैं। पूरे आधे घंटे बाद अंदर से जनाब उंघते हुए आते हैं और इस तरह दरवाजा खोला मानों बोल दिया कि तु मेरे सामने सिर्फ घंटाल है जब दिल करेगा तुझे बजा दुंगा। जब उनसे इस बर्ताव का विरोध किया गया तो मकान के मालिक दो भाईयों ने सचमुच पत्रकार सहाब की बजानी शुरु कर दी। घबराए पत्रकार सहाब ने पीसीआर को फोन कर पुलिस को परेशान करने की गुस्ताखी कर दी। पुलिस एक घंटे बाद आई जब पत्रकार सहाब बज चुके थे। यकिन मानिए पुलिस ने आते ही बिना पूरी बात समझे पत्रकार सहाब की ऐसी बेईज्जती की। कहा- ( भयंकर गाली) तुझे यहां से पिटना शुरु करेंगे और थाने तक पिटते हुए ले जाएंगे । सालों बहुत छापते हो ना पुलिस की जा छापले अब। पुलिस अपने घटिया कामों की वजह से हमेंशा मीडिया के निशाने पर रहती हैं। इसलिए वो मीडिया को अपना दुश्मन मानते हैं। मौका मिलते ही पत्रकारों की बजा देते हैं। खैर पत्रकार सहाब मंदी की मार से नौकरी तो पहले ही गंवा चुके थे। अब इज्जत गंवा ,दो दिन बाद जगह खाली कर गए ।

  5. KC Sharma

    February 15, 2010 at 7:06 am

    Waakayi me chhattisgadh me me Naksali Bhi Hai… Wo bhi vardi wale naksali. Jinko patrakaro ko peetne ke liye Chhattisgadh Sarkar ne Licence de diya hai. Dhayan rahe agar isi tarah Patrakaro ko police peetati rahi to aage chal ke ye Gunda police patrakar sathiyo par jaan leva hamla bhi kar sakti hai… Bhai “Bablu tiwari” Ke saath Jo huaa wo aage bhi kisi ke saath ho sakta hai..!

  6. sanjay

    February 16, 2010 at 6:33 pm

    शर्मनाक घटना,पढ़ कर दु:ख हुआ।
    संजय :'(

  7. vijay singh

    February 20, 2010 at 9:25 am

    police walon ki aisi kartuten aksar samne ata a .. ye police waale apne badan par kaki vardi kya paan leten hain manon ye bhagavaan ban gaye … patrkaaron ko ye apna dushman manate hain tabhi to atrkaar bataane par uski aur dhulai karten hain.. jan suraxa adhiniyam laakar pahale to is sarkaar ne patrakarita kok pangu banaya kaur ab ukkse police wale patrakaron apang banaa rahen hain …. agar bablu tiwari par huye is ghatana ke doshiyon par karywahi nahi huyi to maan ke chalo ki is pradesh me patrkaron ka fir oi vajud nahi rah payega… bablu bhai hum sab apke saath hai … ……..

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