Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

पहले से पता है जी, राजा चोर है जी

एक हफ्ते तक चले आईपीएल-ललित मोदी ड्रामे से जो लोग चूक गए उनके लिए अप्रत्याशित रूप से सामने आने वाला नीरा राडिया का टेप हाजिर है। यह टेप एक ऐसी पीआर पेशेवर की कथित फोन टैपिंग का मामला बताया जा रहा है जो रिलायंस व टाटा जैसी बड़ी कंपनियों के जनसंपर्क का काम देखती हैं। केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) ने साल 2000 के शुरू में फोन टैप करने की अपनी शक्ति गंवा दी थी। बाद में यह शक्ति आयकर विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थी। ऐसा तब हुआ था जब सीईआईबी अधिकारियों को अन्य अधिकारियों की फोन टैपिंग करते पाया गया था।

<p style="text-align: justify;"><strong>-</strong>एक हफ्ते तक चले आईपीएल-ललित मोदी ड्रामे से जो लोग चूक गए उनके लिए अप्रत्याशित रूप से सामने आने वाला नीरा राडिया का टेप हाजिर है। यह टेप एक ऐसी पीआर पेशेवर की कथित फोन टैपिंग का मामला बताया जा रहा है जो रिलायंस व टाटा जैसी बड़ी कंपनियों के जनसंपर्क का काम देखती हैं। केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) ने साल 2000 के शुरू में फोन टैप करने की अपनी शक्ति गंवा दी थी। बाद में यह शक्ति आयकर विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थी। ऐसा तब हुआ था जब सीईआईबी अधिकारियों को अन्य अधिकारियों की फोन टैपिंग करते पाया गया था।</p>

एक हफ्ते तक चले आईपीएल-ललित मोदी ड्रामे से जो लोग चूक गए उनके लिए अप्रत्याशित रूप से सामने आने वाला नीरा राडिया का टेप हाजिर है। यह टेप एक ऐसी पीआर पेशेवर की कथित फोन टैपिंग का मामला बताया जा रहा है जो रिलायंस व टाटा जैसी बड़ी कंपनियों के जनसंपर्क का काम देखती हैं। केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) ने साल 2000 के शुरू में फोन टैप करने की अपनी शक्ति गंवा दी थी। बाद में यह शक्ति आयकर विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थी। ऐसा तब हुआ था जब सीईआईबी अधिकारियों को अन्य अधिकारियों की फोन टैपिंग करते पाया गया था।

दूरसंचार मंत्री ए. राजा द्वारा खुली नीलामी के बिना लाइसेंस दिए जाने से हर कोई वाकिफ है, उन्होंने मनमाने आधार पर आवेदन की आखिरी (कट-ऑफ) तारीख में फेरबदल कर कुछ चुनिंदा फर्मों की मदद लाइसेंस पाने में की थी, इस प्रक्रिया में कुछ और समस्याएं भी थीं और इससे भी हर कोई वाकिफ है।

बिना टेप के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने कहा है कि लगता है पहले पहले रकम जमा करने वाली कंपनियों को मालूम था कि एप्लिकेशन विंडो कब खुलेगी…।

निश्चित तौर पर टाटा ग्रुप का बयान विचित्र है। संसद में मामला गरमाने के कुछ दिन बाद 29 अप्रैल को ग्रुप द्वारा जारी बयान का निचोड़ कुछ इस तरह है,’वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस व इसकी चेयरपर्सन नीरा राडिया के साथ टाटा ग्रुप का रिश्ता काफी पुराना व लाभदायी रहा है। इसने समूह के कम्युनिकेशंस और सार्वजनिक छवि में महत्त्वपूर्ण चीजें जोड़ी हैं।’

यह कहना कम से कम असामान्य है क्योंकि यह पीआर फर्म का काम है कि वह क्लाइंट की छवि को बेहतर बनाने में सहयोग दे। और बयान के बाकी हिस्से का आप क्या करेंगे? इसमें कहा गया है ‘टाटा ग्रुप की ओर से वैष्णवी द्वारा सरकार से की गई बातचीत उन क्षेत्रों में समान अवसर उपलब्ध कराने की मांग से संबंधित रही है, जहां निहित स्वार्थों ने नीतियों में विकृतियां पैदा की हैं। इसके बाद सरकार के साथ टाटा ग्रुप की ओर से वैष्णवी की बातचीत टाटा की वैल्यू को बनाए रखने से संबंधित थी और इसमें कभी भी भुगतान नहीं किया गया था या अनुचित सिफारिश की मांग नहीं की गई थी।’

समान अवसर? वाह! हम जिनके बारे में बात कर रहे हैं वह देश के सबसे ज्यादा शक्तिशाली उद्योगपतियों में से एक हैं, एक ऐसे उद्योगपति जो इतने शक्तिशाली हैं कि भारत में विदेशी निवेश आकर्षित करने और विदेशी निवेशकों के सामने पैदा होने वाली हर तरह की समस्याओं का समाधान करने के लिए बनाई गई कमेटी की अगुआई कर रहे हैं।

अगर टाटा के पास समान अवसर की समस्या है तो फिर बाकी उद्योगपतियों की समस्याओं के बारे में क्या कहा जाएगा। और अगर वह इस तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं तो फिर विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए यह सबसे खराब संभावित विज्ञापन है।

वास्तव में, टाटा को तब लाभ हुआ था जब उनके लैंडलाइन लाइसेंस को साल 2002 में मोबाइल फोन के लाइसेंस में तब्दील कर दिया गया था और दूसरी बार तब जब राजा ने उनकी जैसी सीडीएमए मोबाइल फोन कंपनी के लिए विशेष दोहरी तकनीक विंडो बनाई थी ताकि उनकी जैसी जीएसएम फर्म स्पेक्ट्रम पा सके।

दिसंबर 2007 में रतन टाटा ने डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि को पत्र लिखकर राजा की प्रशंसा की थी।  उन्हें विवेकशील, निष्पक्ष और कार्रवाई उन्मुख बताया था। ऐसे में दूरसंचार क्षेत्र में टाटा को किस तरह के समान अवसर की समस्या है? टाटा के स्पष्टीकरण से ग्रुप की साख को मूल टेप के मुकाबले और नुकसान पहुंचा हो सकता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार में प्रकाशित सुनील जैन के विश्लेषण के कुछ अंश

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

: घोटाले में भागीदार रहे परवेज अहमद, जयंतो भट्टाचार्या और रितु वर्मा भी प्रेस क्लब से सस्पेंड : प्रेस क्लब आफ इंडिया के महासचिव...

Advertisement