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जान बचाना ज़रूरी या फ़ुटेज?

बीबीसी उर्दू के लाहौर संवाददाता अली सलमान की एक रिपोर्ट बीबीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है. इसमें उन्होंने बताया है कि किस तरह दो जवान भाइयों को सरेआम मार दिया गया और एक न्यूज चैनल के कैमरामैन बिलाल ख़ान इस दौरान चुपचाप मौत की फिल्म बनाते रहे. यही फुटेज कांट-छांट के बाद टीवी चैनलों पर दिखाई गई और इसे अब यूट्यूब पर डाल दिया गया है. पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है कि मर रहे आदमी की फिल्म बनाना उन दोनों की मौत से ज्यादा जरूरी था? पहले वो वीडियो देखें, जिसमें पुलिस की मौजूदगी में दोनों भाइयों को पीट-पीट कर मार डाला गया.

<p style="text-align: justify;">बीबीसी उर्दू के लाहौर संवाददाता अली सलमान की एक रिपोर्ट बीबीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है. इसमें उन्होंने बताया है कि किस तरह दो जवान भाइयों को सरेआम मार दिया गया और एक न्यूज चैनल के कैमरामैन बिलाल ख़ान इस दौरान चुपचाप मौत की फिल्म बनाते रहे. यही फुटेज कांट-छांट के बाद टीवी चैनलों पर दिखाई गई और इसे अब यूट्यूब पर डाल दिया गया है. पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है कि मर रहे आदमी की फिल्म बनाना उन दोनों की मौत से ज्यादा जरूरी था? पहले वो वीडियो देखें, जिसमें पुलिस की मौजूदगी में दोनों भाइयों को पीट-पीट कर मार डाला गया.</p>

बीबीसी उर्दू के लाहौर संवाददाता अली सलमान की एक रिपोर्ट बीबीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है. इसमें उन्होंने बताया है कि किस तरह दो जवान भाइयों को सरेआम मार दिया गया और एक न्यूज चैनल के कैमरामैन बिलाल ख़ान इस दौरान चुपचाप मौत की फिल्म बनाते रहे. यही फुटेज कांट-छांट के बाद टीवी चैनलों पर दिखाई गई और इसे अब यूट्यूब पर डाल दिया गया है. पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है कि मर रहे आदमी की फिल्म बनाना उन दोनों की मौत से ज्यादा जरूरी था? पहले वो वीडियो देखें, जिसमें पुलिस की मौजूदगी में दोनों भाइयों को पीट-पीट कर मार डाला गया.

बीबीसी के लाहौर संवाददाता अली सलमान ने जो कुछ लिखा है, वो इस प्रकार है- : जान बचाना ज़रूरी या फ़ुटेज? : पाकिस्तान के स्यालकोट में दो जवान भाइयों हाफ़िज़ मोइज़ और हाफ़िज़ मुनीब की सरे आम मौत के घाट उतार दिया गया. इस दौरान टीवी न्यूज़ वन के कैमरामैन बिलाल ख़ान लगभग एक घंटे तक मर रहे दोनों भाइयों की फ़िल्म बनाते रहे और यही फुटेज थोड़ी बहुत काट छांट के बाद टीवी चैनलों पर दिखाई भी जाती रहीं और अब ये यूट्यूब पर बिनी किसी सेंसर के मौजूद है. इसको लेकर पाकिस्तान में भारी बहस छिड़ गई है.

फ़ुटेज बनाने वाले कैमरामैन बिलाल ख़ान से मैंने पूछा कि क्या किसी मर रहे आदमी की फ़िल्म बनाना उन दोनों की मौत से ज़्यादा ज़रुरी था. कैमरामैन ने जवाब दिया,” मैं कर भी क्या सकता था.” कुछ लोगों का मानना है कि पत्रकार की सोच ख़बर से आगे नहीं जा सकती और उसे मरते हुए आदमी को बचाने से ज़्यादा अपनी फुटे़ज की फ़िक्र होती है. हालांकि ये बात पूरी तरह सही नही है लेकिन बिलाल ख़ान के बारे में भी मीडिया में ये सवाल उठाए गए हैं.

मैंने भी उनसे पूछा कि उन्होंने मर रहे लड़कों को बचाने की कोशिश क्यों नहीं की. वो ख़ुद न भी रोकते कम से कम फ़ोन पर किसी को ख़बर कर उनकी जान बचा सकते थे. बिलाल का जवाब था कि वो ज्यादा से ज़्यादा सरकारी अधिकारियों को फ़ोन कर लड़कों की मदद करने के लिए बुला सकते थे लेकिन जब पुलिस खुद वहां मौजूद थी और वो उनको नहीं बचा सकी तो भला वो किसी फ़ोन कर क्यों बुलाते.

बिलाल ने कहा कि फ़िल्म बनाना भी आसान काम नहीं था, उन्हें धक्कों का सामना करना पड़ा था. पुलिस वाले भी उन्हें फ़िल्म बनाने से रोक रहे थे लेकिन वो बड़ी मुश्किल से 20-25 मिनट का फ़ुटेज बनाने में सफल हुए. बिलाल ने कहा कि वारदात की जगह पर मौजूद होने के नाते ये उनका फ़र्ज़ था कि वो इस ज़ुल्म का फ़ुटेज बनाएं. बिलाल के मुताबिक़ उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई लेकिन जिस फ़ुटेज को उन्होंने इतनी मुश्किल से बनाया था उसके प्रसारण को वो कैसे रोक सकते थे.

बिलाल ने कहा,”पुलिस वाले तो अपना काम नहीं कर रहे थे अगर मैं भी अपना फ़र्ज़ पूरा नहीं करता तो फिर ज़ुल्म की इस दास्तान को लोगों के सामने कौन लाता.” बिलाल के अलावा दुनिया टीवी के कैमरामैन और रिपोर्टर हाफ़िज़ इमरान भी वहां मौजूद थे और उन्होंने भी कुछ फ़ुटेज बनाए थे बाद में दोनों ने मिलकर उसे एडिट किया और अपने अपने चैनलों को भेज दिया.

पुलिस वाले तो अपना काम नहीं कर रहे थे अगर मैं भी अपना फ़र्ज़ पूरा नहीं करता तो फिर ज़ुल्म की इस दास्तान को लोगों के सामने कौन लाता. बिलाल ने बताया कि उनके पहुंचने तक दोनों लड़के ज़िंदा थे. उनके अनुसार छोटा लड़का हाफ़िज़ मुनीब तो तीन-चार मिनट के बाद ही मर चुका था जबकि दूसरा लड़का लगभग 45 मिनट तक ज़िंदा रहा. बिलाल ने बताया कि वो लड़का ख़ामोशी से मार बर्दाशत करता रहा और जब उसे उलटा लटकाया गया, उसके बाद ही उसने दम तोड़ा. जब पुलिस आई तो भी उसकी लाश का अपमान किया गया.

विश्लेषकों का कहना है कि सवाल ये नहीं है कि दोनों लड़के चोरी करने आए थे या क्रिकेट खेलने के दौरान झगड़ा हुआ. असल बात ये है कि गुजरानवाला पुलिस मुलज़िमों को सरे आम सज़ा देने पर विश्वास रखती है. गुजरानवाला क्षेत्र में पिछले दो ढ़ाई साल में होने वाले इस तरह की दर्जनों घटनाएं मीडिया के सामने आई हैं लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.

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मीडिया में दिखाई गई फ़ुटेज को किस हद तक काट छांट करना था ये बहस का मुद्दा ज़रुर है लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि इस फ़ुटेज के दिखाने के बाद ही हत्यारों और उनकी मदद करने वाले पुलिस वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो सकी है. विश्लेषकों का कहना है कि बिलाल ख़ान की फुटेज दिखाने के बाद लोगों में जिस तरह का ग़ुस्सा दिखा उसके बाद ही सरकार सख़्त क़दम उठाने पर मजबूर हुई.

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0 Comments

  1. Satyam

    August 25, 2010 at 12:40 pm

    aatankvadiyon ke desh me har cheez sambhav hai. media, police, public sabhi is tarah ki ghatnav ke liye habitual hain. Jyada hai tauba ki jarurat nahi hai. India me aise tatva paida na ho iski jarurat hai.

  2. bihari

    August 25, 2010 at 4:39 pm

    sir Ali salman g,,

    dusron k bare me bolna, naitikta ki duhai dena aur unch nich ka bhed samjhana shayad sabse aasan kaam hai. isme koi sandeh nahin ki aapke vichar, swaksh patrakarita ka siddhant batlati hai. lekin sir g ye sonchiye ki billal ki jagah aap hote to Kya 2no bhaiyo ko bacha lete? aap kahenge koshish karte. parantu aap khud hi sonchiye , jahan police khud maujud ho aur tamash chal raha hai. akroshit logo ki bhid janwar ki tarah war kar rahi ho. aise me koi 2no ki tarafdari ya bachane ko koshish karta tab Kya lagta hai. ye log use chhod dete.?? jab police himmat nahi kar rahi hai tab bilal kya kar leta. agar wah wahan se chupchap laut jata tab is amanwiya kritya ko na hum jante aur shayad na aap hi. aiase me bilal ne agar apne camre ke jariye gunahgaro ki taswer aur unke gunaho ko kaid kar expose kar diya to kya ye anuchit hai. wise mere hisab se aur samay ki jarurat ke hisab se shayad yah v patrakarita ka hi ek hissa hai………Bihari Bhai

  3. sunil barua

    August 25, 2010 at 5:21 pm

    isme bilal ki alochana uchit nahin hai. wah kar bhi kya sakata tha. yah usne such hi kaha hai. usne is ghatana ke jo footage liye in halat main liye hain wah bhi kum nahai hai.

  4. seema

    August 25, 2010 at 8:20 pm

    satyam ji……aapki pakistan ke liye nafrat samajhne ki koshis kar sakti hu…..per india ke bihar aur up me aise wardat ho chki hai……kahe to date bhi nikal ke bata dungi…..khabar per comment kare zahar na ugle….:-*

  5. naiyyer alam

    August 26, 2010 at 7:25 am

    laanat hai …………

  6. ashwani kumar

    August 26, 2010 at 11:33 am

    SAARI DUNIYA KA YE HAAL HAI, MUMBAI ME GOREGAON KI GHATNA HAI SIRF DO DIN PAHLE KI, BEC K SAAMNE 1 POLICE VALA DAARU PEEKAR 1 CHAI VAALE KO PEETATA RAHA AUR MEDIA BHEE BAAR BAAR UAS FOOTAGE KO DIKHATA RAHA……KYA KISI MEDI VAALE KA FARZ NAHI THA KI USKI COVERAGE NA KARKE UAS CHAI VAALE KO BACHAYA JAATA ? KYA MERE DOSTON KE PAAS HAI JAWAB IAS BAAT KA ? everything is just for businesss…. hindustan HO YA pakistan, gulf ho ya america….

  7. unknow

    August 26, 2010 at 4:22 pm

    इनकी मौत का जिम्मेवार पत्रकार तो है ही आसपास खडे नामर्द भी हैं। इन नामर्दों को हिजडे कहने में भी शर्म आती है इनकी जगह हिजडे खडे होते तो वे भी शायद इनको बचा लेते। लानत है ऐसे लोगों पर। ऐसे नामर्द और कायर लोग हिन्दुस्तान व पाकिस्तान दोनों में ही बसते हैं। खुदा इनको भी मौत दे।

  8. anurag sharma

    September 3, 2010 at 8:22 am

    jaan bachan patrakaar ka kaam nahi hai. jaan bachaane wale apna kaam karen. patrakaar ka kaam reporting karna hai aur bilaal khan aur ali ne saahsik kaam kiya hai. yah garv karne layak patrakaaritaa hai kyonki inhone bhee apni jaan kaa risk liya. julm ujagar karna patrakar ka kaam hai. jaan bachane ka thekaa janta, sarkaar aur police ke paas hai. is mauke par patrkaar in dono bhaiyon ki jaan bachane kee koshish karta to atyachaar ki yah kahaani logo ko kaun dikhata. patrakaaro ko patrakaarita karne de.duniya bhar ki thekedaari se use door rakhe.

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