: बेनामी की टिप्पणी 3 : रनडाउन प्रोड्यूसर लाइब्रेरी में फोन लगाता है- “अरे यार वो राहुल के स्वयंवर के विसुअल्स निकलवाओ जल्दी….” उधर से आवाज आती है- “कौन सा स्वयंवर सर…” रनडाउन प्रोड्यूसर बिगड़ा- “अरे चूतिए हो क्या…वही इमेजिन वाले….” लाइब्रेरी से आवाज आई- “डेट बताइए सर….” रनडाउन प्रोड्यूसर का तनाव भड़क चुका था- “अरे यार हद कर रहे हो….डेट का क्या मतलब….इमेजिन डालो दिखा देगा…” लाइब्रेरी से- “सर नहीं दिखा रहा है…”
“अरे दिखाएगा क्यों नहीं….बेवकूफ हो क्या…”
“सर फिर खुद ही आके निकाल लीजिए…”
“दिमाग खराब है तुम्हारा…. रनडाउन से बोल रहा हूं…”
“पीएमओ से भी बोल रहें हो तो क्या सर… नहीं मिल रहा है….”
“साले सबकी नौकरी खाओगे…ब्रेकिंग है…”
रनडाउन प्रोड्यूसर दाएं घूमता है… टिकर गन पर बैठे युवक से…
“*&%^^ ब्रेकिंग क्या कल फायर करोगे….”
“सर कर तो रहा हूं…. गाली क्यों बक रहे हैं…”
“अबे हमको भी गाली पड़ रही है अंदर से…. इतनी बड़ी ख़बर है और तुम धीमे धीमे हाथ चला रहे हो… “
“सर अभी तो फ्लैश हुई है…. असाइनमेंट कन्फर्म भी नहीं कर रहा है…”
“अबे असाइनमेंट की *&^%*%, तुम ब्रेक करो….”
एक इंटर्न ग्राफिक्स बे पर खड़ा है…
“सर वो एक वर्चुअल बननी है….राहुल की….”
“हां वो बन गई है…. फायर हो जाएगी….”
“नहीं सर वो… फलाने सर कह रहे हैं कि इसमें बीच में बिजली गिरानी है….”
“अब बिजली के लिए बादल कहां से लेकर आएं…???”
स्टूडियो के अंदर का दृश्य…..
10..9..8..7..6..5..4..3..2..Rolllllllllllllll…..
नमस्कार और इस वक्त की सबसे बड़ी ख़बर आ रही है मुंबई से जहां…. एक बार फिर…. इससे पहले भी…. उनकी शिकायत है…. घर छोड़कर….
इस मुद्दे पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद है…. मनो चिकित्सक …… फिल्म अभिनेता…. प्रसिद्ध आईटम गर्ल….. सामाजिक कार्यकर्ता…. हमारे संवाददाता….
आप को क्या लगता है…. जी क्या इसके पीछे…. आपको एक बार फिर बता दें…..
ये केवल कुछ दृश्य हैं….. लेकिन कहानी इतनी ही नहीं है….
टीवी चैनल बार बार प्रोमोज़ चलाते हैं कि जनता की लड़ाई में वो सबसे आगे हैं…. और सम्पादकों का बस चले तो जनता के लिए वो अपनी जान भी दे सकते हैं पर अगस्त के आखिरी दिन चैनल जनता की नहीं बल्कि राहुल महाजन और उनकी पत्नी (जो भी नाम हो) उसमें ही व्यस्त रहे….. ऐसा लगा जैसे कि राहुल और उनकी स्वयं वरी गई बेगम में नहीं बल्कि भारत और चीन में लड़ाई हो गई हो….
रिमोट बदलते हुए ऐसा लगा कि समाचार चैनल की क्रोमा नहीं बल्कि शहर की पुरानी गलियों पर चिपके सस्ती फिल्मों के पोस्टर देख रहा हूं…. पति, पत्नी और वो…. मियां बीवी और कौन…. घर के राज़…. और न जाने क्या क्या….. सबसे तेज़ चैनल एक ही ख़बर पर टिका हुआ था और एक सी ग्रेड फिल्मों की अभिनेत्री के राहुल महाजन के बारे में उदगार सुनवा रहा था…. यही नहीं आपको आगे रखने वाला समाचार चैनल आगे राहुल के स्वयंवर की बालाओं को रख कर पीछे अजीबोगरीब गाने बजा रहा था…. डांडिया टीवी की बात क्या करूं…. हर आधे घंटे पर राहुल के बारे में एक खुलासा कर रहा था….(ये अलग बात है कि टेलीकॉम घोटाले का खुलासा करने से सब डरते रहे….) डांडिया टीवी की कभी टैगलाइन थी….”देश बदलना है तो चैनल बदलो… ” ज़ाहिर है अब दर्शक डांडिया टीवी को आते ही बदल देते हैं…..
आश्चर्य की बात ये रही कि एक दो चैनलों को छोड़ सब ये कर रहे थे… (वो एक दो बेवकूफ बधाई के पात्र हैं) कई चैनलों ने दिखावे के लिए महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को बिठा तो लिया…. पर पूरी चर्चा में उनसे बात ही नहीं की…. ये भी छोड़िए… एक बौद्धिक विचारक औऱ हिंदी सेवक पत्रकार के सम्पादकत्व वाले चैनल ने तो सबको पीछे छोड़ दिया…. दोपहर से जो पुराण शुरू हुआ तो देर रात तक पाठ चलता रहा…. कार्यक्रम न भाषासंगत… न तर्क संगत…. चैनल के अंदर के कई लोग तो मज़े लेकर इस नाम को सम्पादक के नाम से जोड़कर मज़े लेते रहे….
एक और दृश्य देखें…..
स्टूडियो में एंकर “अरे अभी तक गेस्ट नहीं आए यार….”
पीसीआऱ, “यार असाइनमेंट से कोई आया नहीं अभी तक…”
रनडाउन प्रोड्यूसर, “अरे यार इनपुट वालों…. कोई गेस्ट नहीं आय़ा….”
असाइनमेंट, “अरे आ गई हैं… एक महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं… और एक राहुल के स्वयंवर की प्रतिभागी…”
रनडाउन, “हां हां..बिठाओ जाकर बुलेटिन हिट कराना है तुरंत….”
एंकर, “नमस्कार…. हम बात कर रहे हैं राहुल की ….की…. और हमारे स्टूडियों में मौजूद हैं…. स्वयंवर की प्रतिभागी रही कुमारी…..और महिला अधिकार …..”
(दुर्भाग्य से महिला अधिकार कार्यकर्ता की उम्र ज़्यादा थी….और उनका क्लोज़ अप था….और कन्या का फुल फ्रेम….)
रनडाउन प्रोड्यूसर (टॉकबैक पर लगभग बौखलाते हुए…) ” : अरे तुम्हारी चाची हैं क्या जो इनका क्लोज़अप बना दिया है…. अक्ल नहीं है कि किसकी शक्ल दिखानी है और किसकी नहीं….”
(फिर चिल्ला कर असाइनमेंट से ….) “अरे जब लड़की को बुलाया था तो बुढ़िया को क्यों बुला लिया….सारा बुलेटिन चौपट कर दिया….”
असाइनमेंट, “तुमको ही तो महिला कार्यकर्ता चाहिए थी…”
रनडाउन, “अरे तो कोई कम उम्र की नहीं मिली…”
जैसे ही कन्या का क्लोज़अप बनता है….आउटपुड हेड चीखते से आते हैं…..
“किसने बनवाया है ये फ्रेम….सालों क्लोज़अप बनवा दिया….बेवकूफ हो बिल्कुल ज़रा अक्ल नहीं है…” (दरअसल कन्या मिनी स्कर्ट पहन कर आई थी…)
ज़ाहिर है फिर क्या हुआ होगा….
आनन फानन में फिर फ्रेम बदला गया…और महिला अधिकारों के नाम पर प्लान किया गया बुलेटिन….महिला की मिनी स्कर्ट को घूरता हुआ…न जाने कौन सा विमर्श करता रहा….
आज चाहता था कि छोटी टिप्पणी दूं पर लगा कि टिप्पणी से पहले कुछ दृश्य भी देख लिए जाएं….सो अब टिप्पणी की बारी है….तो साथियों आज की बेनामी की टिप्पणी ये है कि शरीफ वो ही है जो पकड़ा नहीं गया… या मजबूर नहीं किया गया…. सिर्फ कहने से कोई बौद्धिक नहीं होता…. जैसे शील और अश्लील में केवल मानने और न मानने का फ़र्क है…. वैसे ही ख़बरों और फिल्मों में भी…. पत्रकार अब ढूंढने पर ही मिलते हैं…. और जिनको आप ढूंढ रहे हैं वो पत्रकार नहीं…. ख़बर हर कीमत पर है…. और हर ख़बर की कीमत है…. सच और झूठ के…. कंटेंट और फ़र्ज़ीवाड़े के चक्कर मे न पड़ें…. या फिर समाचार चैनल देखना छोड़ दें….. अंत में आज का गुरूमंत्र….सब माया है…..
जय हो…
आपका
श्री श्री श्री बेनामी लाल जी महाराज 1008
Arjun singh
August 2, 2010 at 11:59 am
What is this ……..kya bakwasss hai….. i don’t understand what are you saying
manoj
August 2, 2010 at 12:00 pm
मीडिया राहुल से ज्यादा छिछोरा हो गया है। जिस तरह की भाषा और शब्दों का इस्तेमाल इलेक्ट्रोनिक मीडिया में हो रहा है, वैसा शायद ही किसी दूसरी इंडस्ट्री में होता होगा। कहने को तो हम बौद्धिक है, लेकिन कहीं से भी दिखते नहीं है।
छिछोरापन की हद भी देखिए…. हम बात तो बड़ी-बड़ी करते है, लेकिन सही माइनों में कोई भी काम की बात नहीं करते है। बौद्धिक स्तर पर हम पंगु हो गए है। एक तरह से गे की तरह सोचने लगे है। इससे बढ़िया तो वह गे है जो खुलेआम कहते तो है कि हम गे है। लेकिन मीडिया तो अपने आपको मर्द कहता है। लेकिन हरकतें देखकर कहीं से भी नहीं लगता है कि वह मर्द है। हर जगह सोच और समझ की कमी दिखाई देती है। क्या होगा भगवान मालिक है।
ravi
August 2, 2010 at 12:37 pm
kadwi haqiqat hai bhai benami……maja aa gya
Mazhar Husain
August 2, 2010 at 12:43 pm
kyabaat hai benaami lal ji bahut achcha aur kadwa sach likha hai aapne
saleem akhter siddiqui
August 2, 2010 at 1:34 pm
arjun bhai lagta hai, aap bhee usee channel se hain., jiska zikra benaami ne kiya hai. bokhlahat to yhee keh rahee hai.
vijay
August 2, 2010 at 3:01 pm
bilkul sahi baat hai mein bhi kai baar chief daant bas isliye khai hun ki meine apne voxpop ya phir package mein achchi surton wali girls ko nahi shamil kya …bhai yehi media hai kitna bhi ise kos le lekin hame aur tamam isse jude log rehenana yehi hai.
dharmendra
August 2, 2010 at 3:35 pm
ha………ha………ha…………………..
arjun bhai, jyada pade-likhon ko jaldi samajh mein nahi aati. baharhaal, samajhdar ke liye ishar kafi hota hai.
anjaan
August 2, 2010 at 6:17 pm
बेनामी भाई, अपनी बेबाक टिप्पणी से नामवरों पे भी छा रहे हो, लगे रहो.. ;D
लेकिन इस मुद्दे महिला अधिकारों की चिंता पर हलकान होरहे उन एंकरों से भी मेरी तरफ से पूछ लेना कि अगर उनकी बीवी के मोबाइल पे आधी रात को कोई मेसेज आये तो क्या वो उसे पढ़ने या जानने की चेष्टा नहीं करेंगे,और अगर उनकी अर्धांगिनी उसे दिखाने से इनकार कर दे तो उनकी प्रतिक्रिया राहुल जैसी ओछी ना सही, परन्तु कितनी प्रेम पूर्ण होगी ???
ANJAAN PRASAD
9651368465
अभिषेक
August 2, 2010 at 8:17 pm
अरे भाई शकील अख्तर सिद्दीकी और धर्मेंद्र जी, आपलोग तो और भी ज्यादा पढ़े लिखे लगते हैं… दरअसल अर्जुन जी ने इस व्यंग पर व्यंगात्मक तरीके से ही टिप्पणी की है. कंप्यूटर के की बोर्ड पर उंग्लियां चलाते वक्त दिमाग खुला भी रखा करें.
Manoj Burnwal
August 3, 2010 at 6:17 am
Dunia bhar ko hakkikat batane ka dava karne wale media ko bhi apne girebaan mai jhaank kar dekhna chahiye. Aaj ke samay mai media field jaisi gandagi kahin nahin hai. Aaj ke patrkaron ko dekh kar shram aati hai.
JASBIR CHAWLA
August 3, 2010 at 6:38 am
Benamilalji,dhanyawad.Aap ANDAR ki baat laayen hain.Kuch apwaadon ke alaawa jyadatar chenlon ke andar yahee haal hai.Bilkul bakwaas parosten hain.Naa bhasha naa vichar naa sandharbh.Sirf bak bak.
I
kaalchintan
August 3, 2010 at 9:07 am
बहुत बढ़िया और मौजूं लेख है. बस एक बड़ी त्रुटि है और लेखक महोदय से अनुरोध है कि अन्यथा लिए बगैर उसको ठीक कर लें. वो जुलाई की आख़िरी तारीख थी अगस्त की नहीं. अगस्त तो अभी शुरू ही हुआ है.
संदीप सिंह
August 3, 2010 at 10:56 am
ऐसे रनडाउन प्रोड्यूसर जैसे लोग जो मीडिया में काम कर रहे हैं और खुद को पत्रकार कहते हैं..दरअसल वो पत्रकार नहीं बल्कि…पढ़े लिखे गवारों के भीड़ के हिस्से मात्र हैं. इन्हें ग़लतफहमी हो गई है कि ये पत्रकार हैं….खैर बेनामी लाल जी बहुत खूब..आपने तो न्यूज़ रूम का सजीव चित्रण प्रस्तुत कर दिया है।
बेनामी
August 3, 2010 at 11:15 am
ऐसा नहीं है संदीप जी….ये रन डाउन के लोग भी कभी पत्रकार थे….पर बेरोज़गारी के डर और ऊपर वालो के दबाव ने इन्हें ऐसा बना दिया….स्पष्ट करना चाहूँगा कि हम सभी इसी व्यवस्था के चंगुल में फंसे हैं…ज़ाहिर है जब मैं ऐसे दृश्य लिखता हूँ तो अन्दर रहा ही होऊंगा….इसीलिए मेरा उद्देश्य कहीं से भी किसी कर्मचारी पर नहीं बल्कि उस व्यवस्था पर व्यंग्य करना है जो हमें ऐसा करने पर मजबूर करती है….मैं भी छटपटाता हूँ ….पर सच लिख देने में विशवास करता हूँ ना कि सच पढ़ कर टिपण्णी करता हूँ….ये लड़ाई जैसा ही है कि लोग पढ़ कर केवल मज़े ना लें सोचने पर मजबूर हो….असल गुनाहगार ऊपर के पदों पर बैठे लोग हैं…जो घर पर खुद कभी परिवार के साथ बैठ कर अपना ही चैनल नहीं देखते हैं….खुद केवल ४ घंटों के लिए ही दफ्तर आते हैं….और बड़े बड़े सम्मेलनों में बैठ कर भाषण देते है…..बस यूँ ही लिख देता हूँ….खुद भी पत्रकार हूँ और पत्रकारों का कष्ट समझता हूँ…वो जो भी मजबूरी में करते हैं….उस को कह नहीं पाते….मैं लिख देता हूँ….है तो भड़ास ही ना…..
Santosh Giri
August 3, 2010 at 1:29 pm
Bilkul aap ne sahi kaha.aajkal news channel news kam aisi vaisi khabre jyada chalate hai. kyoki khabar banane me mehnat lagati.lekin rahul mahajan, rakhi savant, malika seravat jaisi khabare bni banayi mil jati hai.log dekhane wale bhi mil jate hai.
suyash vajpai
August 3, 2010 at 2:02 pm
ye sab electronic media ka bekar ka kam hai. kisi ke personal metter mai nahi bolana chahiyee………..
sudhir kumar
August 3, 2010 at 4:16 pm
ये अंदर की बात है……
akshat
August 5, 2010 at 10:09 am
bahut acche benami lal ji acchi class li hai aapne channel ke andar ke logo ki….keep it up