वजह- (1) हिंदुस्तान और भास्कर में आपसी जंग अभी न छेड़ने पर बनी सहमति : (2) भास्कर समूह को विदेशी पूंजी और भारतीय शेयर मार्केट से पैसे आने का इंतजार : खबर है कि भास्कर समूह ने बिहार और झारखंड के अपने प्रोजेक्ट को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है। बिहार भेजे गए वरिष्ठ मैनेजर और डीएनए, जयपुर के प्रिंटर-पब्लिशर कमल शर्मा को भी वापस जयपुर बुला लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक भास्कर प्रबंधन ने बिहार-झारखंड में अखबार शुरू करने के लिए जो शुरुआती तेजी दिखाई थी, उसे रोक दिया गया है। सर्वे और प्रसार की टीमें पटना व रांची के मीडिया बाजार को खंगालने लगी थीं। इससे माना जा रहा था कि अगले साल होली तक एडिशन आ जाएगा। पर नए डेवलपमेंट के अनुसार प्रबंधन ने किन्हीं वजहों से अगले आदेश तक बिहार-झारखंड प्रोजेक्ट स्थगित करने की घोषणा कर दी है।
स्थगन के पीछे वजह क्या हैं, इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। पुष्ट और अपुष्ट, दोनों तरह के सूत्र दो तरह के तर्क दे रहे हैं। इनका कहना है कि भास्कर ने बिहार और झारखंड में जाने की जो अचानक घोषणा की थी, उसके पीछे एक वजह हिंदुस्तान अखबार का भास्कर के गढ़ मध्य प्रदेश और राजस्थान में घुसने की तैयारी करना था। भास्कर प्रबंधन ने अप्रत्यक्ष तरीके से हिंदुस्तान प्रबंधन तक यह संदेश पहुंचा दिया कि अगर वो लोग मध्य प्रदेश और राजस्थान में घुसेंगे तो भास्कर उनके बिहार और झारखंड के सभी प्रिंटिंग सेंटरों से अपने एडिशन लांच कर देगा। बताया जा रहा है कि दोनों अखबारों ने एक आंतरिक अनौपचारिक सहमति कर ली है कि अगले कुछ महीनों तक वे एक दूसरे के इलाके में घुसपैठ करने की नहीं सोचेंगे। सूत्रों के मुताबिक यह समझौता बहुत दिनों तक चलने वाला नहीं है क्योंकि दोनों दैत्याकार मीडिया हाउसों की महत्वाकांक्षाएं ही इन्हें एक दूसरे के घरों में घुसने पर मजबूर करेंगी। माना यह जा रहा है कि जो अखबारी युद्ध इन दोनों दिग्गजों के बीच होने वाला था, उसे कुछ दिनों या महीनों के लिए बस टाला भर गया है।
स्थगन के पीछे जो दूसरा कारण बताया जा रहा है वह ज्यादा तार्किक प्रतीत हो रहा है। कहा जा रहा है कि भास्कर समूह पहले बाजार से पैसा उगाहेगा, शेयर मार्केट के जरिए, उसके बाद नए प्रोजेक्ट शुरू करेगा। साल भर से ज्यादा समय से आर्थिक मंदी के कारण शेयर मार्केट में भास्कर की सक्रियता थम-सी गई थी। अब इसे फिर से री-एक्टिवेट करने की तैयारी है। इधर बीच विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाने की अनुमति मिलने के बाद भास्कर समूह और भी ज्यादा उत्साहित हो गया है। सूत्रों के मुताबिक समूह की योजना है कि नए प्रोजेक्ट पर पैसे खुद का न लगाया जाए। नए प्रोजेक्टों को विदेशी पूंजी और शेयर मार्केट से आए पैसों से शुरू व संचालित किया जाए। इस प्रक्रिया में थोड़ा वक्त लग सकता है इसलिए समूह ने बिहार-झारखंड के प्रोजेक्ट को कुछ समय के लिए स्थगित किया है।
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