भास्कर-पत्रिका जंग के चलते भोपाल में एक रोचक प्रकरण हुआ है. भोपाल में 1 अगस्त 2010 को जैन मुनि श्री तरूणसागर महाराज का भव्य प्रवचन कार्यक्रम एवं पुरस्कार समारोह का आयोजन टीटी नगर दशहरा मैदान में किया गया था। इस कार्यक्रम में भास्कर के चैयरमेन रमेश अग्रवाल को श्री तरूणसागर महाराज के हाथों सम्मानित किया जाना था। कार्यक्रम में रमेशचन्द्र अग्रवाल के अतिरिक्त मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर, विधायक जितेन्द्र डागा, प्रसिद्व मैनेजमेन्ट गुरू श्री उज्जवल पाटनी तथा पूर्व आईपीएस अफसर किरण बेदी की प्रतिनिधि एवं अनेक प्रसिद्व हस्तियों के साथ-साथ हजारों श्रद्धालु भी उपस्थित थे।
आज ही के दिन ‘पत्रिका’ अखबार द्वारा पहले पेज पर भास्कर के डीबी माल में करोड़ों की हेराफेरी के समाचार का फॉलोअप छापा गया जिसमें बताया गया कि किस तरह प्रशासन एवं शासन की मिलीभगत से करोड़ों रुपये के इस माल के वारे-न्यारे किए गए एवं गरीब झुग्गीवासियों को जमीन से निकाला गया।
जिस मैदान में यह आयोजन होना था वहां कई वीआईपी एवं हजारों की संख्या में श्रद्वालुओं के पहुंचने की सूचना सबको पहले से ही थी। कार्यक्रम का प्रारम्भ प्रातः साढे आठ बजे से होना था। पत्रिका की सेल्स टीम ने सुबह आठ बजे से ही अपनी दो हजार से अधिक प्रतियां यहां पहुंच रहे श्रद्वालुओं में बांटने का काम शुरू कर दिया। साढे आठ बजे जैन मुनि के साथ-साथ रमेशचन्द्र अग्रवाल तथा सभी आमंत्रित हस्तियां मंच पर पहुंच चुकी थीं। वहां एक ओर तो रमेशचन्द्र अग्रवाल का सम्मान हो रहा था वहीं दूसरी ओर हजारों श्रद्वालु एवं वीआईपी हस्तियां पत्रिका में प्रकाशित डीबी माल के कारनामों को मजे से पढ रहे थीं। यहां तक कि मंच पर भी यह अखबार पहुंचा दिया गया था।
रमेशचन्द्र अग्रवाल कार्यक्रम में पहुंचते ही पत्रिका की प्रतियां एवं यह दृश्य देखकर सकपका गए और असहज मुद्रा में बैठे रहे। जब रमेश अग्रवाल मंच से बोल रहे थे तो सामने बैठे कुछ लोग उनकी हूटिंग करने लगे। हड़बड़ाहट में उन्होंने भाषण खत्म कर जैन समाज को 5 लाख रुपये देने की घोषणा कर दी। पत्रकारों में चर्चा थी कि भास्कर स्टॉफ से इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई कि जिस कार्यक्रम में भास्कर के चैयरमैन रमेश जी स्वयं उपस्थित थे, वहॉ भास्कर की तो एक भी प्रति नहीं है लेकिन पत्रिका की प्रतियां वह भी भास्कर के खिलाफ प्रकाशित समाचार के साथ हजारों पाठकों के हाथ में है।
पत्रिका में प्रकाशित फालोअप स्टोरी पढ़ने के लिए क्लिक करें- दरियादिली क्यों?
pawan deolia
August 2, 2010 at 2:11 pm
bhaskar se badha chor koai nahi hai patrakarita k naam par dhandha kar rahe ramesh ab sharm karo …….pawan bhopal
RAKESH PANDEY (SAMPADAK - VITRAK AWAZ)
August 2, 2010 at 2:17 pm
GHOTALE CHAHE RAJNETA KARE YA AKHBAAR MALIK, KHULASA HONA HI CHAHIYE. PATRIKA NE JIS NIDARTA AUR SACHCHAI K SATH YAH KHABAR CHHAPNE KI HIMMAT DIKHAYI HAI VASTAV ME YAHI PATRAKARTA KA MISSION HONA CHAHIYE. [b][/b]
Rishi Naagar
August 2, 2010 at 2:45 pm
CHULLU BHAR PAANI NAHI MILA KYA INKO?
कलमवाला-गुंडा
August 2, 2010 at 5:22 pm
दैनिक भास्कर यदि गलत है तो सही पत्रिका भी नहीं है … इस खबर का प्रकाशन इसे मोके पर करके पत्रिका ने अपने प्रतिदुव्न्धी को नीचा दिखने की कोशिस की है ….. यदि पत्रिका सचमुच इंशाफ की लड़ाई लड़ रहा है तो उन तमाम गरीबो को उनका हक़ दिलाने तक इस लड़ाई को जरी रखे ताकि आवाम को लगे की कोई उनके के हक़ की लड़ाई लड़ रहा है !
suraj kumar
August 3, 2010 at 5:19 am
esme galat kya hei. agar oonka dimag nahi chala aur patrika ka dimag chala oosne yeh kr diea, yehi to malum hota hei ki competietion me kitna sajag rahna jaruri hei.lekin bade dukh ke sath bolna pdta hei ki NAGPUR BHASKAR ki lekhni aur ooski prsturi bhi bedkar ho gaye hei. agar sahi nahi kia to nagpur me bhi PATRIKA jald aayenga. aur phr ——————-
raghav
August 3, 2010 at 6:43 am
भास्कर की आड़ में किए जा रहे गोलमाल का पर्दाफाष करके अब भले ही पत्रिका भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई की प्रतिबद्धता जताना चाहे, लेकिन राजस्थान में पत्रिका की हकीकत किसी से छिपी नहीं है। भास्कर ने रियायती दरों पर तकरीबन तमाम प्रमुख षहरों में सरकारी जमीनें हथियाई हैं, तो पत्रिका ने केसरगढ हवेली से लगाकर कई प्रमुख षहरों में इस तरह की जमीनें अपने नाम करवाई है। इनमें से जहां उनके आॅफिस खुल चुके हैं, उनका काॅमर्षियल यूज किसी से छिपा नहीं है। सवाल भास्कर या पत्रिका का नहीं है, हमाम में सब नंगे हैं। जय गणतंत्र।:'(
Shronit Sharma
August 3, 2010 at 8:29 pm
janab hamam mai sab nange hote hai. kisi per kichad uchhalne se khud ka chehra saf nahi ho jata. rahi baat patrika mai khabar chhapne ki to usne bhi koi exclusive khabar nahi chhapi. ek din pahle hi navdunia mai yahi khabar chhap chuki thi. akhir chhapi-chhapai khabar chhaap kat patrika pathako ke liye akhbar chhap raha hai ya sirf avsar vishesh per bhaskar ke malik ko sarvjanik roop se neecha dikhane ke liye. patrkarit ka kam se kam yeh matlab to nahi hai.