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संवाद (मुखबिरी) बढ़ाओ, ज्यादा इंक्रीमेंट पाओ

दैनिक भास्कर, इंदौर में जो इंक्रीमेंट दो दिन पहले हुए हैं, उसने संपादक अवनीश जैन द्वारा अपने करीबियों को आगे बढ़ाने की बात को सही साबित कर दिया है। इन इंक्रीमेंट्स ने भास्कर, इंदौर में बगावत के हालात पैदा कर दिये हैं क्योंकि योग्यता को नजरअंदाज कर ज्यादातर फैसले निजी निष्ठा के आधार पर लिये गये। सिवाय रूमनी घोष व दीपेश शर्मा के, 2500 रुपये से ज्यादा का इंक्रीमेंट पाने वाला एक भी संपादकीय साथी ऐसा नहीं है जो अवनीश के करीबियों में न गिना जाता हो।

<p style="text-align: justify;">दैनिक भास्कर, इंदौर में जो इंक्रीमेंट दो दिन पहले हुए हैं, उसने संपादक अवनीश जैन द्वारा अपने करीबियों को आगे बढ़ाने की बात को सही साबित कर दिया है। इन इंक्रीमेंट्स ने भास्कर, इंदौर में बगावत के हालात पैदा कर दिये हैं क्योंकि योग्यता को नजरअंदाज कर ज्यादातर फैसले निजी निष्ठा के आधार पर लिये गये। सिवाय रूमनी घोष व दीपेश शर्मा के, 2500 रुपये से ज्यादा का इंक्रीमेंट पाने वाला एक भी संपादकीय साथी ऐसा नहीं है जो अवनीश के करीबियों में न गिना जाता हो।</p>

दैनिक भास्कर, इंदौर में जो इंक्रीमेंट दो दिन पहले हुए हैं, उसने संपादक अवनीश जैन द्वारा अपने करीबियों को आगे बढ़ाने की बात को सही साबित कर दिया है। इन इंक्रीमेंट्स ने भास्कर, इंदौर में बगावत के हालात पैदा कर दिये हैं क्योंकि योग्यता को नजरअंदाज कर ज्यादातर फैसले निजी निष्ठा के आधार पर लिये गये। सिवाय रूमनी घोष व दीपेश शर्मा के, 2500 रुपये से ज्यादा का इंक्रीमेंट पाने वाला एक भी संपादकीय साथी ऐसा नहीं है जो अवनीश के करीबियों में न गिना जाता हो।

रूमनी को अवनीश के साथ डीबी स्टार भोपाल के जमाने की प्रताड़ना व बुरा समय भूलकर मन लगाकर काम करने तथा शीर्ष प्रबंधन की नजरों में चढ़ा होने का फायदा मिला है। अब संपादक कम इंक्रीमेंट वाले साथियों को जल्दी ही कुछ और पैसा दिलाने तथा संवाद (मुखबिरी) बढ़ाने की बात कह रहे हैं। संस्था में सबसे ज्यादा इंक्रीमेंट पाने वालों की सूची में अनिल कर्मा, योगेश दुबे, रूमनी घोष, अमित मंडलोई, सुभाष सातालकर, दीपेश शर्मा, मुनीष शर्मा जैसे अवनीश के निष्ठावानों के अलावा नौकरी का साल भर भी पूरा न करने वाले वीरेंद्र तिवारी और नीतेश पाल भी शामिल हैं। कर्मा को अवनीश ने आदिल कुरेशी को अनदेखा कर विनोद पुरोहित के विकल्प के रूप में तैयार कर न्यूज रूम का प्रभारी बनाया है। उन्हें करीब 5000 रुपये के इंक्रीमेंट के साथ ही न्यूज एडीटर पद पर पदोन्नत किया गया है।

अभी तक चीफ रिपोर्टर की भूमिका निभा रही रूमनी घोष को भी न्यूज एडिटर बनाया गया है। रूमनी इन दिनों अवनीश की सबसे विश्वस्त सेनानी हैं। योगेश दुबे अभी तक भास्कर में कुंठित दिखा करते थे पर 5000 रुपये का इंक्रीमेंट मिलने के बाद उनका भी चेहरा खिला हुआ है। यह वही योगेश दुबे हैं जिन्हें कुछ समय पहले अवनीश ने अपने चेंबर में बुलाकर बुरी तरह प्रताड़ित किया था और जो संपादकीय साथियों के बीच अवनीश को गाली देते नहीं थकते थे। भोपाल के मॉडल एडिशन में योगेश की नियुक्ति में सबसे बड़े बाधक अवनीश ही रहे। सुभाष सातालकर को राष्ट्रसंत भय्यू महाराज के यहां अपने संपादक को लाने ले जाने का इनाम मिला है। वे इन दिनों स्पोर्टस डेस्क के अलावा इस काम को प्रमुखता से निभा रहे हैं।

मुनीष शर्मा को अवनीश संभावित सिटी चीफ के रूप में उभार रहे हैं। अमित मंडलोई को चूंकि इन दिनों सुधीर अग्रवाल पसंद कर रहे हैं इसलिए अवनीश ने उनका इंक्रीमेंट ठीक ठाक करने के साथ ही उन्हें डीएनई के पद पर पदोन्नत किया है। अमित इन दिनों देशभर के सिटी भास्कर संस्करणों के सुधार प्रोजेक्ट में लगे हैं। हालांकि सिटी भास्कर के इंदौर संस्करण को कई बार अवनीश ही सबसे घटिया बता चुके है।

अब बात बहुत कम या कम इंक्रीमेंट पाने वाले साथियों की करें। सबसे बुरा भास्कर के ग्रुप कार्टूनिस्ट इस्माइल लहरी के साथ हुआ। अपने कार्टून से देश में अलग ही पहचान रखने वाले लहरी को अवनीश ने कल्पेश याज्ञनिक का खास होने के कारण निशाने पर लिया और श्री याज्ञनिक भी उसकी मदद नहीं कर पाए। लहरी ने अपना आक्रोश शीर्ष प्रबंधन तक पहुंचा दिया है। इसी का नतीजा है कि करीब 2500 रुपये के उनके इंक्रीमेंट की जानकारी अभी तक अधिकृत तौर पर उन्हें नहीं दी गई है। एक समय अवनीश के बायें हाथ रहे विजय पाठक को 3000-3200 रुपये पर ही सीमित कर दिया गया।

आदिल कुरेशी को मात्र 1500 रुपये की बढ़ोतरी दी गई है। वे चाटुकारों की फौज में शामिल नहीं हुए और जहां संपादक गलत थे उन्हें गलत बताने से परहेज नहीं किया। शायद अपनी साफगोई का नुकसान उन्हें उठाना पड़ा। पेज टाईम पर छोडऩे के मामले में सुधीर अग्रवाल की प्रशंसा पा चुके व्यापार पृष्ठ प्रभारी शैलेश पाठक के साथ सबसे बुरा हुआ। उन्हें मात्र 1500 रुपये का इंक्रीमेंट दिया गया। पूरे भास्कर में यह चर्चा का विषय है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया। लोग इसके पीछे के कारण ढूंढने में लगे हैं। कभी सिटी भास्कर कभी स्पेशल प्रोजेक्ट्स तो कभी बजट भास्कर में दाव पर लगाए गए जनजागृति के प्रभारी देवेश वर्मा को मात्र 2800 रुपये की बढ़ोतरी दी गई है। संपादकीय पृष्ठ प्रभारी संजय मिश्रा को मात्र 2000 रुपये की बढ़ोतरी की सूचना है।

प्रशांत कालीधार, अमित जलधारी व गौरव शर्मा जैसे सायलेंट वर्कर 1200 से 2000 के इंक्रीमेंट पर सीमित कर दिये गये। ये वे रिपोर्टर हैं जिनका आउटपुट अखबार में सबसे ज्यादा रहता है पर मुखबिरी इनके खून में न होने का नतीजा इन्हें भुगतना पड़ा। ऐसे कई और साथी भी हैं। संपादक अब इनसे इंटरेक्शन (मुखबिरी) बढ़ाने और ज्यादा इंक्रीमेंट पाने की बात कह रहे हैं। मांगीलाल चौहान जिनकी कई खबरें हड़पकर या संयुक्त नाम लेकर दूसरों ने स्टार रिपोर्टर का दर्जा पाया, को मात्र 500 रुपये की बढ़ोतरी दी गई। वे संपादक की केबिन में रोज हाजरी भरने के बजाय काम से मतलब रखने वाले रिपोर्टर हैं। नीता सिसौदिया, दिनेश जोशी, राकेश चुतर्वेदी को उनकी योग्यता के मुताबिक ही इंक्रीमेंट दिया गया है। भास्कर जनजागृति के लिए काम करने वाली सलोनी भोला के मात्र 1200 रुपये बढ़े।

इंक्रीमेंट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नाम वीरेंद्र तिवारी और नीतेश पाल के हैं। ये भास्कर में अवनीश की भर्ती हैं। पाल और तिवारी को संस्थान में एक साल भी नहीं हुआ है। इन्हें 1500 और 2000 रुपये की बढ़ोतरी दे दी गई। इंक्रीमेंट के मामले में सिटी भास्कर के साथी ज्यादा भाग्यशाली रहे। रचनासिंह, मंदीपकौर भाटिया व अनिता मालवीय को 2500-2500 रुपये के इंक्रीमेंट मिले।

दैनिक भास्कर, इंदौर के एक साथी द्वारा भेजे गए मेल पर आधारित. मेल भेजने वाले ने नाम-पता गुप्त रखने का अनुरोध किया है.

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0 Comments

  1. s.arya

    May 30, 2010 at 8:50 pm

    aisa lag raha hai jinka increment nahi hua we dhudh ke dhule aor yogya hain, aisa hi hai to koi aor akhbar kyon nahi join kar lete, yahin kyon rote phir rahe hain. lagta hai patra un logon ne likha hai jinki chatukarita ab tak chal rahi thi par is bar nahi chal pai.

  2. rohi

    May 27, 2010 at 4:51 am

    News paper, samaj ki gandagi ko bahar lane or uski marammmat karne ka adhaar stambh hota hai,hamare krantikari bicharon ka shirodhaar hota hai.lekin masallah!! yahaan toh kuch alag hi kahaani hai.jab akhbaar ke daaman mein itne Daag Dhabbe jad diye gaye ho ,toh sammaj ki nakkashi ka khyaal toh bahut door hai.
    Sammaj ke thekedaar bane rehne wale yeh log ,pehle apne damaan ko paak paband kare toh jyaada behtar hai.warna logon ka wishwas uthne mein kya der lagti hai.Sahi kaha gaya hai.
    “Ek hi ullu kaafi hai barbaad gulistaan karne ko….
    yahaan daal daal per ullu hai..Anjaam-E-Gulistaan kya hoga”

    my contemporary Request to CEO of the organization to look after nourishment of this types of unethical activity and process.
    Increment makes employment perfect and boosting morale.It is not about to Demoralize the people and making perfect pocket for particular person.

  3. anand soni

    May 26, 2010 at 11:39 am

    दैनिक भास्कर की वेब कंपनी आईएमसीएल के अंग्रेजी पोर्टल इंडियाइंफो डॉट कॉम से एक और इस्तीफा हो गया है। यहां बतौर सब एडिटर कार्यरत कनिका शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है। करीब एक पखवाड़े पहले ही इस पोर्टल के संपादक ने भी इस्तीफा दे दिया था। आपको बता दें कि इंडियाइंफो में ज्वाइनिंग के मुकाबले रिजाइनिंग का ग्राफ ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। कनिका कहां जा रही हैं इसकी जानकारी फिलहाल नहीं मिल सकी है।

  4. ruby

    May 26, 2010 at 11:05 am

    are bhaiya ye kaun si nai baat hai. increment to humesha chapluso ka hi hota hai.yadi aap imandar hai sath hi chaplusi ki vdha bhi nai jante to apse bada gadha koi nai hai fir increament kyu milega.ye saab darbariyo ke liye sevaye hai.patrakaro ke liye nai.

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