आगरा के विश्व भोजपुरी सम्मेलन में आधुनिकता व संस्कृति का संगम : महुआ चैनल के मालिक पीके तिवारी समेत कई दिग्गज सम्मानित किए गए : आगरा में आयोजित 9वें विश्व भोजपुरी सम्मेलन में आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम हुआ। ब्रज भाषा के महाकवि सूरदास की धरती पर भोजपुरी के महाकवि कबीरदास की धरती से आए कवियों, विद्वानों रंगकर्मियों एवं लोककला के महारथियों ने सतरंगी छटा बिखेरी। यह अधिवेशन सस्था के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी एवं अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष व दोपहर का सामना के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल के कुशल मार्गदर्शन में एक अविस्मरणीय आयोजन बन गया। प्रेम के अदभुत प्रतीक ताजमहल की नगरी आगरा में पूरे तीन दिन तक भोजपुरी भाषा की बयार जमकर बही।
सूरसदन सभागार में संपन्न भव्य समापन समारोह में प्रेम शुक्ल ने अपने वक्तव्य में कहा कि भोजपुरी का चारों ओर विस्तार हो रहा है, यह दुनिया को कोने-कोने में कामयाबी हासिल कर रही है। अब हर आदमी इसे बोलने में गर्व महसूस करता है। जो भोजपुरी भाषा लेखकों व कवियों तक सीमित रही उसे अब विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज व प्रोफेशनल भी बोलते नजर आते हैं। कार्यक्रम में प्रेम शुक्ल के आमंत्रण पर पधारे मनोज तिवारी ‘मृदुल’ के रंगारंग गायन, ‘कजरी क्वीन’ उर्मिला श्रीवास्तव की कजरी, मालिनी अवस्थी के गीत, रामकैलाश यादव के बिरहा, तीजनबाई की पंडवानी, भोजपुरी, अवधी व ब्रज लोकनृत्य, धोबिया व चारकुला नाच, मैयूर नृत्य, दीपक त्रिपाठी व खुशबू तिवारी के सुमधुर गीतों ने समां बांध दिया। मृदुल ने पूरे दो घंटे तक आगरावासियों को नाचने पर मजबूर कर दिया।
समारोह में खास अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय का कार्यक्रम में स्वागत पूर्वांचल सांस्कृति सेवा समिति के अध्यक्ष एड. अशोक चौबे व स्वागताध्यक्ष डी.के. सिंह ने किया। श्री उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश में भोजपुरी अकादमी के गठन पर प्रयास करने का वादा किया। उन्होंने भोजपुरी के शलाका पुरुष पांडेय कपिल को सेतु सम्मान से सम्मानित किया। ‘महुआ चैनल’ के प्रमुख पी.के तिवारी को भिखारी ठाकुर सम्मान, मालिनी अवस्थी को कलाश्री सम्मान, फिल्म निर्माता निर्देशक असलम शेख को नाजिर हुसैन सम्मान व भोजपुरी अभिनेत्री स्वीटी छाबरिया को विंध्यवासिनी देवी सम्मान इस मौके पर प्रदान किया गया। आगरा की महापौर अंजुला सिंह माहौर भी कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। समापन समारोह का संचालन सम्मेलन के संगठन सचिव अमरजीत मिश्र ने किया।
आगरा सम्मेलन का संकेत एकदम साफ रहा कि अब भोजपुरी के प्रचार-प्रसार की कमान युवा हाथों में आ गई है। कार्य समिति की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष परमहंस त्रिपाठी की जगह प्रेम शुक्ल के चयन का प्रस्ताव, भोजपुरियों के अंतर्राष्ट्रीय युवा सम्मेलन को आयोजित करने का दायित्व अमरजीत मिश्र को सौंपने तथा सम्मेलन में युवा चेहरों की भरमार से यही साबित हुआ। इससे पूर्व शनिवार को सूर सदन में डॉ. भीमराव आंबेडकर आगरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के.एन. त्रिपाठी, हिंदी व भोजपुरी की अंतर्राष्ट्रीय विद्वान सरिता बुधू, छावनी परिषद आगरा के सीईओ संजीव कुमार, दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक सरोज अवस्थी, दोपहर का सामना के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल, पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद मिश्रा की उपस्थिति में संस्था के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी ने 9वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन किया।
दीप प्रज्जवलन व ईश वंदना के बाद संस्था महासचिव अरुणेश नीरन ने कहा कि आज भोजपुरी की गंगा का ब्रज की जमुना में मिलन हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद मिश्र ने भोजपुरी की संस्कृति को तुलसी कहा। कविगण भालचंद्र त्रिपाठी, तारकेश्वर मिश्र ‘राही’, डॉ. प्रकाश उदय, कमलेश राय, अशोक द्विवेदी, हीरालाल यादव, कुबेरनाथ मिश्रा ‘बिचित्र’, अशेष, अनिल ओझा, सोम ठाकुर, शैलजा सिंह व राम नवल मिश्रा की काव्य गंगा के बाद संगीतमय नाटक मेघदूत की पूर्वांचल यात्रा का मंचन किया गया।
रविवार की सुबह भोजपुरी समुदाय ने सूरसदन से शहीद स्मारक तक पर्यावण संदेश यात्रा निकालकर आगरावासियों को पर्यावरण स्वच्छ रखने का संदेश दिया। दोपहर की बतकही में ‘भोजपुरी इलाके में पलायन के कारण व निदान’ पर गंभीर चर्चा हुई। आगरा के विश्व भोजपुरी सम्मेलन में मॉरिशस, फिजी, सिंगापुर, नेपाल, के साथ देश के विभिन्न हिस्सों से आए लगभग 500 प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
आफताब आलम की रिपोर्ट
kaptan mali
June 2, 2010 at 12:44 pm
i m proud of u Prem Sir.
Kaptan Mali
Mumbai
satya prakash "AZAD"
June 3, 2010 at 1:22 pm
apni sanskriti ko bachane ke liye bhojpuri ko badhane ki jarurat hai……..
Sanjeev Singh
June 18, 2010 at 9:18 am
Kuch Dino pahle tak bhojpuri ko log Kuch fuhad Lokgit k jariye hi jante the isi wajah se ek padha likha tabka bhojpuri ko apni mother toung bolne me sarm mahsoos karte the par ab woh trend badla hai hamen jarurat hai ise jyada se jyada apni bolchal me istemal karne ka. jab log Marathi, Gujrati, Panjabi ,Tamil, Kannada ka istemel karte nahi sarmate toh Hum apni matri bhasa k istemal me kyun sarm mahsoos karte hai specialy Litrate persons. mahilaon ko jyada sarm aata hai Yadi rauwa sabhe k aapan matri bhasa k istemal me sarm mahsoos hola eker matlab e ba ki rawa apna mai k mai bole me bahoot shaminda mahsoos karinla maaf karam sabhe hamar shabd thore karwa ba par saachai ta ehe ha na. Promote Bhojpuri………..pls pls pls……..
I proud to speak Bhojpuri even i m in Bangalore. aisa lagta hai mano Maa se bateen kar raha hoon.
pankaj kumar
June 24, 2010 at 6:36 pm
bhojpuri keval bhasa hi nahi balki ek sanskriti bhi hai. jai bhojpuri
pankaj kumar
kushabhau thakre university,raipur (c.g.)