: मौर्य टीवी का महासर्वे : बिहार में किसी पार्टी या गठबंधन की कोई हवा नहीं चल रही है और न ही कोई अपने दम पर बहुमत हासिल करता नज़र आ रहा है। बिहार झारखंड के न्यूज़ चैनल मौर्य टीवी द्वारा टीम-सी वोटर से करवाए गए चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण के नतीजे यही कहते हैं। ये सर्वे 15 जून से 15 जुलाई के बीच करवाया गया था और इसमें सभी 243 विधानसभा के करीब ग्यारह हज़ार मतदाताओं की राय ली गई। इस विशाल सैंपल में ग्रामीण शहरी, अमीर-ग़रीब, सभी जातियों और धर्मों के लोगों का प्रतिनिधित्व रखा गया। मौर्य टीवी का कहना है कि बिहार में ये अब तक का सबसे बड़ा सर्वे है।
सर्वे के अनुसार लालू प्रसाद यादव का जनता दल 73 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रहा है, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल दोनों दलों जनता दल यूनाईटेड और भारतीय जनता पार्टी की सीटें कम हो रही हैं। जदयू को 69 सीटें मिलती दिख रही हैं और उसे 19 सीटों का नुकसान हो रहा है, जबकि उसके सहयोगी दल बीजेपी को 49 सीटें मिल रही हैं और उसे 6 सीटों का घाटा हो रहा है। अल्पसंख्यकों और महापिछड़ों के एक हिस्से को नीतीश रिझाने में तो कामयाब हो रहे हैं, मगर सवर्णों का छिटकना उन्हें और बीजेपी दोनों को नुकसानदेह साबित हो रहा है।
सर्वे के ये नतीजे इस लिहाज़ से चौंकाने वाले हैं कि आम तौर पर माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार तरक्की के रास्ते पर दौड़ रहा है, बिहार शाइनिंग कर रहा है और इसलिए उनका भारी बहुमत से जीतना तय है। सत्तारूढ़ गठबंधन की 25 सीटें कम होने के बावजूद बहुमत के करीब वही पहुँचता दिख रहा है। उसे 118 सीटें मिलने की संभावना जताई गई हैं, जो कि बहुमत से केवल 5 कम हैं। राजद की सीटों में बढ़ोतरी के बावजूद लालू और पासवान का गठबंधन सरकार बनाने की दौड़ में पिछड़ रहा है क्योंकि पासवान की पार्टी का प्रदर्शन पहले से भी खराब दिख रहा है, उसे केवल 7 सीटें मिलती दिख रही हैं जो कि पहले से दो कम हैं।
सर्वे से निकलकर आई एक महत्वपूर्ण बात ये है कि काँग्रेस उभार पर है और वह नौ से छब्बीस सीटों की छलाँग लगाती दिख रही है। सवर्णों का रुझान उसकी ओर बढ़ा है। वह मुस्लिम वोटों में तो सेंध लगा ही रही है उसे दलित, पिछड़ों के वोट भी मिल रहे हैं। इस लिहाज़ से वह गेम चेंजर बनती नज़र आ रही है और अगर 15 सीटें और इधर-उधर हुईं तो वह किंगमेकर की भूमिका में भी आ सकती है।
jipathakji
August 9, 2010 at 1:17 pm
It is too early to make any aasumption on the base of such a survey.The survey is surely large on scale, but the politics in india and specially in bihar get change over night.
But its fine, the survey reflects the new prospective in the arena of bihar politics.
पंकज कुमार झा.
August 9, 2010 at 4:40 pm
बिहार में किसी की भी सरकार बने वहां लोगों को यह पता है कि खुद कमाना और खाना है. अपनी उन्नति या जीवन यापन सरकार के ‘बावजूद’ करते रहना है. वहां अच्छी सरकार का मतलब यह होता है कि ऐसी सरकार जो आपका कुछ लूट ना ला जाए. सरकार कुछ देती भी है किसी को, यह लोगों को किसी अन्य राज्य में जाने पर ही पता चलता है. बहरहाल…… एक प्रवासी बिहारी होने के नाते भगवान से केवल यही प्रार्थना है कि हे भगवान कुछ भी करना मेरे प्रदेश के साथ लेकिन प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ उसको लालू से मुक्त रखना. अगर केवल बिहार अपने को ‘लालू’ नाम के मज़ाक से मुक्त रखने में सफल रहा तो अन्य लाख विसंगतियों के बावजूद दुनिया में कही ही रह कर कमा-खा लेगा ही और वो बी बिना हँ
ek patrkar
August 9, 2010 at 6:08 pm
abhi to puri siyasat baki hai,bihar me koi survey kaam nahin kar sakta,,,nitish bhi koi anuman nahin laga sakte.
maan bahalane ke liye ye bahana kafi nahin,,,