आकाशवाणी के समाचारों पर केन्द्रित एक किताब आई है ‘आकाशवाणी समाचार की दुनिया’। किताब में आकाशवाणी समाचारों का इतिहास तो है ही, समाचारों के संकलन, तैयारी, संपादन से लेकर वाचन तक की तकनीकी जानकारी भी दी गई है। आकाशवाणी पटना के समाचार संपादक संजय कुमार द्वारा संपादित इस पुस्तक में इतिहास, संस्मरण, तकनीक को समेटते हुए कुल 22 अध्याय हैं। भूमिका साहित्यकार डॉ. कुमार विमल ने लिखा है। पुस्तक में पहला एवं अन्तिम लेख स्वयं संपादक संजय कुमार का है। पहला आलेख आकाशवाणी पटना के समाचार एकांश का इतिहास बताती है, तो दूसरा रेडियो पत्रकारिता जैसे व्यापक विषय पर केन्द्रित है। रेडियो पत्रकारिता के बारे में कम से कम शब्दों में व्यापक जानकारी दी गई है।
आकाशवाणी समाचार से जुड़े रहे मणिकान्त वाजपेयी और एम जेड अहमद के लेख संस्मरण हैं, जो लोकनायक जयप्रकाश नारायण की मृत्यु के समय की गई रिपोर्टिंग पर केन्द्रित हैं। यह संस्मरण, आकाशवाणी समाचार की रिपोर्टिंग के विभिन्न पहलूओं से रू-ब-रू कराती है। रविरंजन सिन्हा का संस्मरण ‘कथा-एक नींव के पत्थर की’ प्रादेशिक समाचार एकांश पटना के खुलने और खुद के उससे जुड़ने की दास्तां है। वीरेन्द्र कुमार यादव अपने बचपन की उस याद को ताजा करते हैं जब गांव में शाम का समाचार सुनने के लिए डाकघर में लाउडस्पीकर लगा था। नीतीश चन्द्र का आलेख ‘फेकनी बनाम स्वीटी’ के तहत और इसी के उदाहरण स्वरूप आज दृश्य चैनलों द्वारा सिर्फ आकर्षक चेहरों, टीपटाप लोगों व ग्लैमर के प्रति रुझान दिखाने पर व्यंग्य करता गम्भीर पर दिलचस्प आलेख है।
तारिक फातमी ने आकाशवाणी के उर्दू समाचारों और रजनीकान्त चौधरी ने मैथिली में प्रसारित होने वाले समाचारों की अहमियत बताते हुए विस्तार से जानकारी दी है। अशोक प्रियदर्शी, कमल किशोर, सुदन सहाय, देवाशीष बोस का लेख सबसे लोकप्रिय शाम साढ़े सात बजे के समाचार की चर्चा करते हैं। सुदन सहाय अपने लेख के माध्यम से रेडियो के भरोसे का सवाल उठाते हैं। डॉ. ध्रुव कुमार बताते हैं कि कैसे रेडियो पर खबरों की तस्वीर बन जाते हैं समाचार वाचक और उसकी आवाज। समाचार पढ़ने की कला के तकनीक के बारे में उनका आलेख विस्तृत जानकारी देता है। सुकुमार झा, आईएच.खान, चन्द्रभूषण पाण्डेय का आलेख रेडियो पर प्रसारित समाचारों के विविध पहलुओं पर तकनीकी जानकारी देता है। संगीता सिंह व सुनीता त्रिपाठी का लेख ग्रामीणों एवं सामुदायिक रेडियो पर प्रकाश डालती है।
पुस्तक के आलेख संकलन में रमेश नैयर का लेख ‘आवाज की जादू का अरोह अवरोह’ चार चान्द लगाता है, जिसमें भारत में 20वीं सदी के दूसरे दशक में रेडियो की विकास यात्रा से लेकर आज अन्य मीडिया की मौजूदगी में रेडियो की चुनौतियों व सकारात्मक भूमिका तक की चर्चा है। लम्बे समय से रेडियो पत्रकारिता से जुडे़ पुस्तक के संपादक संजय कुमार ने लेखों के संपादन में प्रयास किया है कि इसमें अधिकतर लेखक रेडियो से किसी न किसी रूप से जुडे़ रहे हैं।
किताब का नाम : आकाशवाणी समाचार की दुनिया
संपादक : संजय कुमार
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन, 4/19 आसफ अली रोड, नई दिल्ली -110002
मूल्य : रु 175/-
rinkoo singh
February 17, 2010 at 12:05 pm
publisher ka naam aur price bhi batana chahiye.
विनीत कुमार
February 17, 2010 at 4:20 pm
किताब की कीमत और प्रकाशक भी बताएं,प्लीज।. दिल्ली में कहां मिल जाएगी,ये भी बता दें तो बेहतर।।.