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हर सौ में एक आदमी बन गया है पत्रकार

एक ने अमिताभ से पूछ लिया- आप दादाजी क्यों नहीं बन पा रहे हैं? : आगरा शहर में पहले पर्यटन उद्योग में ही ‘लपके’ हुआ करते थे. अब मीडिया में भी लपकों की घुसपैठ अच्छी-खासी हो गई है. तीन साल पहले की बात है कि एक बार एक प्रेस कांफ्रेंस में करीब 250 पत्रकारों ने गिफ्ट पाने में सफलता हासिल की. जाहिर है, आजकल प्रेस कांफ्रेंसों में फर्जी पत्रकारों की संख्या अच्छी खासी बढ़ गई है.

<p align="justify"><font color="#003366">एक ने अमिताभ से पूछ लिया- आप दादाजी क्यों नहीं बन पा रहे हैं? : </font>आगरा शहर में पहले पर्यटन उद्योग में ही 'लपके' हुआ करते थे. अब मीडिया में भी लपकों की घुसपैठ अच्छी-खासी हो गई है. तीन साल पहले की बात है कि एक बार एक प्रेस कांफ्रेंस में करीब 250 पत्रकारों ने गिफ्ट पाने में सफलता हासिल की. जाहिर है, आजकल प्रेस कांफ्रेंसों में फर्जी पत्रकारों की संख्या अच्छी खासी बढ़ गई है. </p>

एक ने अमिताभ से पूछ लिया- आप दादाजी क्यों नहीं बन पा रहे हैं? : आगरा शहर में पहले पर्यटन उद्योग में ही ‘लपके’ हुआ करते थे. अब मीडिया में भी लपकों की घुसपैठ अच्छी-खासी हो गई है. तीन साल पहले की बात है कि एक बार एक प्रेस कांफ्रेंस में करीब 250 पत्रकारों ने गिफ्ट पाने में सफलता हासिल की. जाहिर है, आजकल प्रेस कांफ्रेंसों में फर्जी पत्रकारों की संख्या अच्छी खासी बढ़ गई है.

इनका एकमात्र मकसद होता है गिफ्ट झटकना. आगरा में इन पत्रकारों को ‘लपका पत्रकार’ कहा जाता है. जो गंभीर पत्रकार हैं, उन्हें तो प्रेस काफ्रेंसों में सवाल पूछने का मौका तक नहीं मिलता है. अब तो आगरा शहर में प्रेस लिखी गाड़ियों की संख्या भी कई लाख हो गई है. हर सौ आदमी में एक आदमी पत्रकार बना मिल जाएगा. पता नहीं ये लोग कहां लिखते हैं और कहां दिखते हैं.

ये लोग प्रेस कांफ्रेंस में सवाल भी ऐसे अटपटे और मूर्खतापूर्ण पूछते हैं कि असली पत्रकार तो बस शर्म से सिर झुका लेता है. मसलन, पिछले दिनों जब अमिताभ बच्चन आगरा आए एक फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में तो एक प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार ने उनसे पूछ ही लिया- ”आप दादाजी क्यों नहीं बन पा रहे हैं?”

फ्री प्रेस तो ठीक है लेकिन फ्री फॉर आल के बारे में सोचना होगा.

बृज खंडेलवाल, आगरा

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0 Comments

  1. sanjeev verma

    March 15, 2010 at 7:45 am

    aapne badhiya likha. i m hundred pecent agree wkd u sir.
    sanjeev verma
    hindustan reporter
    ghaziabad
    mob 9953454507

  2. praween kumar

    March 15, 2010 at 8:17 am

    ye baat alag ho sakati hai ki agra mai farji patrakaro ki sankhya jyada ho lekin ab to ye har zile ki baat hoti ja rahi hai, eske liye koyi our nahi balki media sansthan hi jimmedar hai. bahut se tv news channel apane reporter ki jankari jila prashasan ko muheya hi nahi karate.jisake chalte logo me bhram ki sthati raheti hai…kul milakar media karmio ko hi paradarishta lani hogi. [praween kumar,CNEB NEWS aligarh# 9219129243].

  3. roy singh

    March 15, 2010 at 9:17 am

    sir
    bhiwani me bhi lapka reportero ki kami nahi hai
    ab to salesmen, kable wale or to or teacher bhi apne aap ko reporter kahlwana pasan karte

  4. jaatak

    March 15, 2010 at 1:54 pm

    Khandelwal ji, sawaal to us patrakaar ka jayaz hi thaa, haan thoda halke tareeke ke poochh baithha. Anil yadav ji ki kahaani parh ke humei saaf hua ke Nagar Vadhuon ke jeevan mein kuchh bhi nizi nahi hota. Aur phir ek rashtriya shaadi aur rashtriya karvaa-chaauth, jise TV pe khoob dikhaya gaya aur in logo ne bilkul bura nahi maana, ke baad log poochhenge hi ke bhai aur kitna intezaar….vo patrakaar darasal amitabh ko uski jagah bata rahaa thha, Khandelwaal ji aap chook gayee…koi nahi ji hota hai…..

    Aur jahaan tak “lapka” patrakaar hone ki baat hai……to…zanaab abhi se practice nahi karenge to “हड़प” patrakaar i mean editor aadi kaise banenge….

  5. daulat singh chauhan

    March 16, 2010 at 2:47 am

    कोई और नहीं जिम्मेदार
    जब देश में पैसे लेकर पत्रकार होने का कार्ड बेचने वाले अखबार और बिना पैसे दिए स्ट्रिंगर नियुक्त करने वाले चैनल चल रहे हैं तो ऐसे अगंभीर पत्रकारों की फौज तो खड़ी होगी ही। अफसोस तो इस बात का है कि ऐसे पत्रकारों को सबक सिखाने के लिए जब भी कोई परेशान व्यक्ति कदम उठाता है तो मीडिया के लोग ही उसे प्रेस की आजादी पर हमला घोषित कर कूद पड़ते हैं बचाव में। जिन लोगों की जगह जेल में होनी चाहिए वे अगर संवाददाता सम्मेलन में बैठ कर सवाल करने की हिम्मत जुटा लेते हैं तो इसके लिए और कोई नहीं मीडिया और उससे जुड़े लोग ही जिम्मेदार हैं। चिंता की बात तो यह है कि इस तरह के फर्जी पत्रकारों के साथ आए मारपीट आदि की घटनाओं की खबरें पढ़ने या फोटो और टीवी देखने वालों को तो अब लगने लगा है कि पत्रकार असल में बदमाश लोग होते हैं, जिनकी जब देखो पिटाई होती रहती है। वे सभी लोग या संस्थाएं जिनके खिलाफ पत्रकार लिखते हैं वे तो इन हालात से बहुत खुश हैं।

  6. Ravinder Chauhan Dainik Bhaskar Yamuna Nagar

    March 16, 2010 at 7:27 am

    PATARKAAR SABSE MAHNTI HOTA HAI.USKI DEEKAT KO AKHBAAR YA CHANNEL KOI NAHI SAMJH PATA. AAJ KE YUG ME LAPKA PATARKAR BADI TEJI KE SAATH BADH RAHA HAI. MAGAR LAGANSHIL PATARKAR KI KADAR KOI NAHI KARTA.
    Ravinder chouhan YamunaNagar Haryana
    098128-00018

  7. yatish lavania

    March 16, 2010 at 5:40 pm

    farji patrkaro kai mamlon main adhikansh police adhikariyon ke muh lage hote hain, jo ki unki mukhbari ke sath city main dhan ugahi or blackmelling karte hain, iska prabhav patrakarita se jude logo ko jhelna pad raha hai. chotha stambh kahe jane bale, nispaksh kam karne bali patrakarita par ab wahi samaj jo samman ki drasti se dekhta tha ab farebion ki nigah se dekhta hain.

  8. gulshan saifi

    March 17, 2010 at 7:09 am

    bahut khoob accha sawal pooccha hai ki aap dada ji kyon nahi ban paa rahe hai.shukar hai ki ye nahi pooccha ki hum baap kyon nahi ban pa rahe hai.
    aapka apna sathi
    gulshan saifi

  9. gulshan saifi

    March 17, 2010 at 7:22 am

    bandar kare na chakri
    azgar kare na kaam
    sabke data patarkar ram
    bhaiyya jai bolo farji patarkaro ki

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