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12 लाख रुपये बनाम जागरण का पत्रकार, पुलिस का इंस्पेक्टर और बसपा का नेता

: नीचे दिए गए दो टेप सुनें : पत्रकारिता पर भारी खाकी की रिश्तेदारी : जागरण पत्रकार को धमकी के मामले में महज एनसीआर लिखी : पिछले दिनों बसपा के बाहुबली विधायक गुड्डू पंडित की गिरफ्तारी को लेकर बुलंदशहर सुर्खियों में रहा। दरअसल, यहां की जहांगीराबाद सीट से ब्लाक प्रमुख पद के लिए गाजियाबाद के एआरटीओ अर्जुन सिंह की पत्नी माया देवी बसपा की प्रत्याशी थीं।

: नीचे दिए गए दो टेप सुनें : पत्रकारिता पर भारी खाकी की रिश्तेदारी : जागरण पत्रकार को धमकी के मामले में महज एनसीआर लिखी : पिछले दिनों बसपा के बाहुबली विधायक गुड्डू पंडित की गिरफ्तारी को लेकर बुलंदशहर सुर्खियों में रहा। दरअसल, यहां की जहांगीराबाद सीट से ब्लाक प्रमुख पद के लिए गाजियाबाद के एआरटीओ अर्जुन सिंह की पत्नी माया देवी बसपा की प्रत्याशी थीं।

गुड्डू पंडित और करीब दर्जन भर बसपाइयों ने मायादेवी के प्रतिद्वंदी विजेन्द्र सिंह के समर्थक 26 बीडीसी सदस्यों को 21 दिसंबर की शाम छतारी से अगवा कर लिया। अपहरण के खिलाफ प्रदर्शनकारी जब जिलाधिकारी और एसएसपी की कोठियों को घेरने पर उतर आये तो सरकार को अपने ही नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी। अगले दिन गिरफ्तारियों का दौर चला। बसपा विधायक गुड्डू पंडित सहित एक दर्जन बसपाई नेता पुलिस के शिकंजे में चढ़े। इनमें से एक था अनूपशहर का ब्लाक प्रमुख और जिले का बसपा नेता विनोद राव।

पुलिस ने विनोद राव की गिरफ्तारी कोतवाली सिटी के पन्नी नगर इलाके से की। गिरफ्तारी करने वाले थे कोतवाली देहात के कथित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पैक्टर आलोक सिंह। पुलिस अभिलेखों में विनोद राव की गिरफ्तारी मौका-ए-वारदात वाले थाना छतारी से दिखाई गई। विनोद राव को तो जेल भेज दिया गया लेकिन उनके पास से बरामद करीब 12 लाख रुपये, एक लैपटॉप, 2 एटीएम कार्ड और एक स्कार्पियो गाड़ी को इंस्पैक्टर आलोक सिंह ने बजाय केस में बरामदगी दिखाने के, अपने पास ही रख लिया। विनोद राव के परिजन इस सामान को मांगने कई बार इंस्पैक्टर आलोक सिंह के पास गये, लेकिन आलोक सिंह हर बार बहानेबाजी करते रहे।

इस बात की खबर मीडिया के पास भी थी। ईटीवी और दैनिक जागरण ने इस खबर की कवरेज की और रुपया व सामान की पुष्टि के लिए विनोद राव की पत्नी गीता से इंस्पैक्टर आलोक सिंह को अपने सामने ही फोन कराया। गीता की पहली फोन कॉल में इंस्पैक्टर आलोक सिंह ने स्वीकार किया कि विनोद राव का माल उसके पास है। दूसरे कॉल में इंस्पैक्टर आलोक सिंह ने गीता के अलावा विनोद राव के चाचा से भी बात की और रुपये के बाबत जेल में चलकर विनोद राव से आमना-सामना करने को कहा। इस कॉल में इंस्पैक्टर आलोक सिंह ने ये भी स्वीकार किया कि विनोद राव समेत कई बसपा नेता, जिनमें बसपा विधायक गुड्डू पंडित शामिल है, की पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद जमकर पिटाई भी की थी।

बहरहाल, इस खबर का ईटीवी पर प्रसारण हुआ और दैनिक जागरण ने भी निर्भीकता से इस खबर का प्रकाशन किया। पहले दिन की खबर का असर हुआ और एसएसपी ने इंस्पैक्टर आलोक सिंह को कोतवाली देहात से हटाकर लाइन हाजिर कर दिया। अगले दिन जागरण के अपराध संवाददाता डीपी आर्य ने फिर से खबर लिखी और मामले की जांच एसपी देहात बाबूराम को दे दी गई। दरअसल, इंस्पैक्टर आलोक सिंह मूल रूप से बुलंदशहर के बिचौला गांव के रहने वाले हैं और उसके परिवार के बहन-भाइयों के शादी-ब्याह भी यहीं हुए हैं। इसलिए यहां उसके हिमायती रिश्तेदारों की लंबी-चौड़ी फौज है। इस फौज में बसपा एमएलए समेत पत्रकार, पुलिस अफसर और कई और पार्टियों के नेता भी शामिल हैं। जागरण की इस खबर को रोकने के लिए जिले के नेताओं, पत्रकारों और पुलिस अफसरों ने जिला ब्यूरो के अलावा मेरठ तक जोर लगाया, लेकिन जागरण के संवाददाता डीपी आर्य ने हर दिन खबर को फॉलो किया।

लगातार खबर छपने से परेशान पुलिस और इंस्पैक्टर आलोक सिंह ने जागरण संवाददाता डीपी आर्य को अपने गुर्गों से फोन पर धमकियां दिलवाने की शुरुआत की। डीपी को एक दिन में एक दर्जन से अधिक कॉल आई और परिवार समेत जान से मारने की धमकी दी गई। एसएसपी आरकेएस राठौर से पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल मिला और डीपी को धमकी के मामले में तफ्तीश के आदेश राठौर ने कर दिये। जिन नंबरों से फोन किये गये, उनमें एक नंबर बुलंदशहर जिला अदालत के एक सरकारी वकील का था। उन्होंने ये नंबर डेढ़ साल से स्याना निवासी अपने रिश्तेदार को दे रखा है और उनका ये रिश्तेदार पूर्व में इंस्पैक्टर आलोक सिंह का करीबी हुआ करता था। इसके अलावा एक नंबर जिले के एक नामी बदमाश का निकला है। जाहिर है, जो नंबर पुलिस ट्रैस कर पाई, उनके लिंक इंस्पैक्टर आलोक सिंह से जुड़ रहे हैं।

लेकिन इतना सब होते हुए भी पुलिस जागरण संवाददाता डीपी आर्य की सुरक्षा के लिए सचेत नहीं हुई। मामले को तफ्तीश का हवाला देकर लटकाया जाता रहा और जब डीपी आर्य ने कोतवाली सिटी में इस संबध में मुकदमा दर्ज कराना चाहा तो पुलिस ने इंस्पैक्टर आलोक सिंह से रिश्तेदारी निभाते हुए एफआईआर के बजाय केवल एनसीआर ही दर्ज की है। हैरत की बात ये है कि एसएसपी आरकेएस राठौर ने डीपी आर्य के शिकायती पत्र पर एफआईआर के आदेश सुस्पष्ट लिखे थे, लेकिन कोतवाली सिटी के प्रभारी डीके बालियान ने इंस्पैक्टर आलोक सिंह से क्षेत्रवाद और रिश्तेदारी निभाते हुए मामले को महज एनसीआर में बदल दिया।

बिडम्बना है कि जो पत्रकार समाज के हित में अराजक तत्वों से लड़ने के लिए हौसला बढ़ाता है, कलम की धार पैनी करने की कोशिश करता है उसे सबसे पहले अपने साथियों से लड़ना होता है जो उसकी एक्सक्लूसिव खबर से ईर्ष्या करते हैं। इसके अलावा न्यूज चैनल और अखबार का प्रबंधन उसी खबर से अपनी धाक जमने के बाद खुद को धीरे-धीरे पत्रकार की मुश्किलों से अलग कर लेता है। इस तरह की दिक्कतें छोटे शहरों और देहात में बहुत है। डीपी के साथ जो हो रहा है, जो धमकियां मिल रही हैं, वे केवल गीदड़ भभकी है या धमकी देने वाले साजिश का ताना-बाना बुन चुके हैं, ये तो वक्त बताऐगा, लेकिन जागरण के लिए टीआरपी जोड़ने वाले डीपी आर्य की ये खबर कि ‘एफआईआर के आदेश पर एनसीआर’ जागरण नहीं छापेगा, इसकी पूरी उम्मीद है।

नीचे डीपी की छपी हुई खबरों की कतरनें के अलावा वे दो रिकॉर्डिंग भी हैं, जिसमें इंस्पैक्टर आलोक सिंह ने अपनी बेईमानी की कलई खुद ही खोली है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके संबंधित खबरों को पढ़िए और नीचे दिए गए दो आडियो प्लेयरों पर क्लिक करके विनोद राव की पत्नी व चाचा की इंस्पेक्टर आलोक से बातचीत को सुनिए….

जागरण में छपी खबर 1

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जागरण में छपी खबर 2

जागरण में छपी खबर 3

जागरण में छपी खबर 4

जागरण में छपी खबर 5

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0 Comments

  1. Ravindra Chaudhary

    January 23, 2011 at 8:29 am

    Bhaiya D p Arya hatash na ho Media aapke sath hai jindgi aur mout to uper vale ke hath me hai dusro ki samasyavo ko uthane vale ke sath janta ki duvaye hoti hai aur ia patrakarita ki line me to yeh sabhi ke sath hota hai aap apni kalam ki dhar isi tarah paini rakhna

  2. akash rai bhaskar journalist

    January 19, 2011 at 9:24 am

    esa pahli baar hi nahi ho raha hai .chote sahreo mai to ye roj ki baat hai .

  3. ambikeshwar

    January 19, 2011 at 8:21 am

    dekhte hain kya hoga

  4. Anirudh Mahato

    February 21, 2011 at 11:04 pm

    patrakarita ka dushra nam hai jokhim uthana hai. samaj ko sudharne ki tammanna rahti hai. desh mein prajatantra marne ke kagar per hai. yahan kishi se kya ummid kiya ja sakta hai. desh me Neta, sarkari adhikari, police, paisewaley milkar anaitik karya kartyn hai. AAp apni surkchha sweyn karen.

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