हिंदुस्तान, कानपुर के हिस्से बने ऋषि और देवेंद्र : पिछले दिनों लखनऊ से लांच हुई ‘बाई-लाइन’ नामक मैग्जीन के प्रधान संपादक रतनमणि लाल के बारे में सूचना आ रही है कि उन्होंने इस मैग्जीन को गुडबाय कहने की तैयारी कर ली है. सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल कई दिनों से आफिस नहीं आ रहे हैं. उन्होंने प्रबंधन को अभी औपचारिक तौर पर इस्तीफा तो नहीं भेजा है लेकिन कयास यही लगाया जा रहा है कि मैनेजमेंट से खटपट की वजह से उन्होंने इस्तीफा देने का इरादा बना लिया है. सूत्रों के मुताबिक ‘बाई-लाइन’ के लांच होने के बाद अंदर ही अंदर वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई थी जो अब अपने मुकाम पर पहुंच गई है. प्रधान संपादक रतनमणि लाल के बाद नंबर दो की हैसियत में प्रभात रंजन दीन के आने के बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि भविष्य में कई उलटफेर हो सकते हैं.
नेशनल एडिटर पद पर ‘बाई-लाइन’ में आए प्रभात रंजन दीन साधना न्यूज में कुछ महीने तक दिल्ली में रहे. उससे पहले वे लखनऊ में डीएनए में प्रधान संपादक के पद पर कार्यरत थे. डीएनए से प्रभात रंजन दीन ने अचानक इस्तीफा दे दिया था. ‘बाई-लाइन’ मैग्जीन की परिकल्पना और उसे मूर्त रूप देने में रतनमणि लाल ने महती भूमिका निभाई. वे इससे पहले दैनिक भास्कर छत्तीसगढ़ के स्टेट हेड के रूप में कार्यरत थे.
सूत्रों का कहना है कि रतनमणि लाल की जगह एक वरिष्ठ पत्रकार को संपादक बनाने की तैयारी कर ली गई है जो पहले भी लखनऊ में एक अखबार के स्थानीय संपादक रह चुके हैं और इन दिनों दिल्ली में एक मैग्जीन के प्रधान संपादक हैं. हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि रतनमणि लाल की जगह प्रभात रंजन दीन को ही प्रधान संपादक बना दिया गया है. नेशनल एडिटर के रूप में किसी वरिष्ठ पत्रकार को लाने की तैयारी की गई है.
रतनमणि लाल के अचानक इस मैग्जीन से अलग हो जाने की चर्चाओं को इस मैग्जीन के मालिक राजीव चतुर्वेदी की गिरफ्तारी से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. राजीव चतुर्वेदी जमानत पर रिहा तो हो गए लेकिन जिस तरह उन्हें थाने बुलाकर गिरफ्तार किया गया और कई दिनों तक उन्हें पुलिस संरक्षण में अस्पताल में रहते हुए जेल जाने से बचना पड़ा उससे ‘बाई-लाइन’ के संपादकों की विशेष किरकिरी हुई. इस पूरे ‘खेल’ में कुछ वरिष्ठ लोगों ने प्रबंधन को रतनमणि लाल के खिलाफ उकसा दिया और इस तरह से रतनमणि लाल को दरकिनार करने की तैयारी कर ली गई.
जिस मामले में राजीव चतुर्वेदी जेल गए, वह मैग्जीन या पत्रकारिता से जुड़ा कोई मामला नहीं था बल्कि उनकी अन्य कंपनियों के लेन-देन से जुड़ा प्रकरण था. ज्ञात हो कि पिछले दिनों लखनऊ पुलिस ने राजीव को उनकी कंपनी के एक पुराने मामले में कोर्ट में हाजिर न होने के चलते थाने बुलाकर बिठा लिया था. नौकरशाही के कुछ वरिष्ठ लोगों द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बाद उन्हें जेल की बजाय कई दिनों तक पुलिस संरक्षण में अस्पताल में रखा गया. बाद में उन्हें कानपुर ले जाया गया जहां की अदालत ने उन्हें जमानत दे दी.
हिंदुस्तान, कानपुर में दो लोगों के ज्वाइन करने की खबर है. ये हैं अमर उजाला, लखनऊ में जनरल डेस्क पर कार्यरत ऋषि शुक्ला और फोटोग्राफर देवेंद्र त्रिपाठी. इन दोनों ने इस्तीफा देकर हिंदुस्तान, कानपुर के साथ नई पारी की शुरुआत कर दी है.
shashi nath
March 12, 2010 at 12:55 am
ratan mani lal ki media me uplabdhi ko bhunate hue rajeev chaturvedi ne unka fayda udhaya,,,,unke sidhepan ke chalte rajiv byline me apne SWAPDOSH bhi chapwata raha haii….prabha jee ke aane ke baad bhi uska SKHALIT LEKH chapte rahe to wo din door nahi jab BYLINE nam se log magazine padhna to duur, is naam ki magazine kholna bhi pasand bhi nahi karenge….
salim ahmad
March 12, 2010 at 12:59 am
byline ki launching ke saath hi rajeev ki dadagiri iskadar badh gayi thi ki 3 mahine me hi 11 logon ne magazine se istifaa de diya…iske bawjood ratan mani lal ki wajah se hi magazine kuch behtar kar paa rahi thi..unke magazine chodne ke baad ….rajeev aur magazine ke bvure din nazdeek aa gaye hain…
abhay shukla
March 12, 2010 at 12:50 am
patra kari ke Bhishm Pitamah kahe jane wale ratan mani lal ne media ke Dushashan ka saath chodne ka faisla le kar misaal kayam ki hai…. media ke ese dushkarmi ka unhone kyun saath diya samaj nahi aata hai,,,, dekhana hai prbhat ranjan kab tak Karna ki bhumika nibhate hain…
rabindra mishra
March 12, 2010 at 12:47 am
ye rajiv chturvedi kaaun hai….wohi kya jo abhi jail gaya tha….media ki durgati dur nahi jab aise mafia kism ke log patrakarita karne lagenge…ranat mani ne istifa nahi diya to unhe bhool sudhar kar jaldi hi se kaam karna chahiye…halaaki ratan mani ka istifa iss magazine ke liye uski anteshthi hi hogi….
student
March 11, 2010 at 2:31 pm
tube light lekar dhudo to bhi ratan mani lal jase ratan nahi milta par afsos hai hame rajeev ji ke liye ki unhone ye kimti ratn kho diya.
nam se bade vyaktitve vale insan hai ratan mani lal ji
i am very soory to say you mr. rajeev ji – ki heere ki parak johri hi kar sakta hai par ap ek ache johre sabit nahi hue.
DK Singh Barabanki IBN7
March 11, 2010 at 6:49 am
रतन मणि लाल जी वास्तव में मीडिया के रतन हैं,बाई लाइन से उनका जाना, बाई लाइन के लिए बड़ा नुकसान है |
happy singh
March 10, 2010 at 10:53 pm
I THINKDAINIK BHASKAR LAUNCH JAMMU EDITTION,,
UMESH
March 10, 2010 at 12:51 am
रतममणि लाल एक अच्छे पत्रकार है और उनका मैग्जीन से जाना मैग्जीन के लिए झटका है.
sanjeev kumar
March 9, 2010 at 11:56 pm
ye to hona hi tha. ratan mani lal jaise sampadak kab tak rajiv jaise logon ko bardast karte. ratan mani lal patrakarita me ek bada naam hai, isse wo badnam nahi hone denge, issi karan unhone aisa nirnaya liya hai