अमर उजाला में ‘इंडिपेंडेंट प्रेसीडेंट’ नियुक्त करने के मामले में ‘फेवरेबल डिसीजन’ देने के लिए रिश्वत लेने वाले कंपनी ला बोर्ड के सदस्य आर. वासुदेवन की जमानत याचिका पर पिछले दिनों सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने जो गंभीर टिप्पणियां मामले की जांच एजेंसी सीबीआई पर की हैं, उसकी एक कापी भड़ास4मीडिया के हाथ लगी है. कोर्ट की कुछ टिप्पणियों को यहां प्रकाशित भी किया जा रहा है.
कोर्ट ने कहा है कि अंकुर चावला का नाम एफआईआर में मौजूद है और प्रथम दृष्टया उसके खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं, बावजूद इसके उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसी में आगे न्यायाधीश वीके शैली ने एक जगह कहा है कि वासुदेवन के अलावा मनोज बंथिया, अंकुर चावला और अतुल माहेश्वरी के खिलाफ एफआईआर है क्योंकि ये लोग इस पूरी साजिश में शामिल हैं और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोपी हैं. इनके खिलाफ भी उसी तरह जांच की जानी चाहिए थी जैसे वासुदेवन को लेकर किया गया. पर जांच एजेंसी ने ऐसा नहीं किया है. सीबीआई को और क्या प्रमाण चाहिए जबकि तीनों सह अभियुक्त भी प्रथम दृष्टया फंड जुटाने और साजिश करने में लिप्त दिखते हैं.
फैसले की कापी के कुछ अंश आप खुद पढ़ लें…
dhirendra MIshra
January 23, 2010 at 4:13 pm
बहुत अच्छा सर