मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाल कृष्ण आडवाणी के शिष्य और वामपंथी से भगवाधारी बने पत्रकार और पायनियर के संपादक चंदन मित्रा को राज्य के खाली हुई राज्यसभा की दो सीटों में से एक भी देने से इंकार कर दिया है। लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने निजी तौर पर चंदन मित्रा के लिए राज्यसभा सीट की सिफारिश की थी। आडवाणी ने शिवराज सिंह से कहा था कि सुषमा स्वराज और नरेंद्र सिंह तोमर के लोकसभा के लिए चुन लिए जाने के बाद खाली की गई सीटों में से एक चंदन मित्रा के लिए रखी जाए। माना जा रहा था कि नरेंद्र सिंह तोमर के कार्यकाल का सिर्फ एक साल बचा है और इसीलिए यह सीट चंदन मित्रा को दी जा सकती है।
मगर मध्य प्रदेश भाजपा ने आडवाणी से पूछे बगैर कप्तान सिंह सोलंकी और अनिल तवे के नाम घोषित कर दिए। श्री सोलंकी पार्टी के सबसे बड़े संगठकों में से हैं और अनिल तवे संघ परिवार से संबंध रखते हैं। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में जिन लोगों ने पार्टी को आगे बढ़ाने में जीवन लगा दिया, राजनैतिक पद उन्हें ही मिलने चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि चंदन मित्रा का कद इतना बड़ा नहीं हैं कि उनके लिए प्रदेश में राज्यसभा की कोई सीट खाली की जाए। अब इसे आप विडंबना ही कह सकते हैं कि खुद लाल कृष्ण आडवाणी दो बार राज्यसभा के सदस्य मध्य प्रदेश से रह चुके हैं। दोनों बार उन्होंने ग्वालियर की सिंधी कॉलोनी का पता दिया था। इसके पहले नरेंद्र मोदी ने भी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में लाल कृष्ण आडवाणी के सुझाए हुए कई उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया था और कई को तो गैर-गुजराती कह कर बाहर कर दिया था। गुजरात से एक मात्र बाहरी राज्यसभा सदस्य अरुण जेटली हैं जिनके नरेंद्र मोदी से बहुत अच्छे संबंध हैं।
नरेंद्र मोदी को पार्टी में आडवाणी का उत्तराधिकारी कहने से कई मुख्यमंत्री नाराज है और शिवराज सिंह चौहान उनमें से एक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कई जगहों पर आडवाणी ने चौहान के उम्मीदवारों को बदलवा दिया था। अब शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा के उम्मीदवार अपनी मर्जी से घोषित कर के श्री आडवाणी को संदेश दे दिया है कि वे भले ही अपने आपको सर्वोच्च नेता मानते रहे लेकिन मध्य प्रदेश में उनकी चलने वाली नहीं है। आडवाणी ने भी कमाल किया था। चंदन मित्रा वामपंथी रहे हैं, जनसंघ और भाजपा को सांप्रदायिक करार देने वाले और संघ परिवार को गिरोह कहने वाले उनके सैकड़ों लेख हैं। उनकी जगह राज्यसभा में पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे और लगभग आडवाणी जितने वरिष्ठ और अटल बिहारी वाजपेयी के घनिष्ठ मित्र वेद प्रकाश गोयल के बेटे पीयूष भी मध्य प्रदेश से राज्यसभा का टिकट चाहते थे मगर उनका नाम काट कर आडवाणी ने चंदन मित्रा को आगे बढ़ाया। अरुण जेटली भी उनका साथ दे रहे थे। सुषमा स्वराज अब विदिशा से लोकसभा सदस्य है और मध्य प्रदेश में अपना आधार बनाना चाहती हैं। उन्होंने भी चंदन मित्रा के नाम का विरोध किया था। उन्होंने साफ कहा था कि किसी स्थानीय नेता को ही टिकट मिलना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी चंदन मित्रा के खिलाफ थे। मगर चंदन मित्रा को अब भी उम्मीद है कि अरुण जेटली और आडवाणी की कृपा से उन्हें कहीं न कहीं जगह मिल जाएगी। साभार: डेटलाइन इंडिया