भूतपूर्व कॉमरेड चंदन मित्रा के स्वयंसेवक अवतार से भाजपा इतनी प्रसन्न है कि राज्यसभा में उन्हें दोबारा मनोनीत करने की तैयारी में है। चंदन एक जमाने में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र शाखा के नेता थे और दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति में अबके भाजपा दिग्गज अरुण जेटली और अब पत्रकार बन गए रजत शर्मा से उनकी लगातार झड़प होती थी। कई बार तो मारपीट की नौबत आई थी। मगर थापर उद्योग समूह से पायनियर अखबार हड़पने में चंदन मित्रा को तत्कालीन एनडीए सरकार की बहुत मदद मिली थी।
खास तौर पर लालकृष्ण आडवाणी ने अच्छी-खासी मदद दी थी। उस समय पायनियर की हालत यह थी कि समय पर वेतन नहीं मिलता था और छपाई के लिए कागज उधार में आता था। श्री आडवाणी की पहल पर आईसीआईसीआई बैंक की उस समय की उत्तर भारत प्रभारी चंदा कोचड़ ने पायनियर को बिना किसी खास गारंटी के भारी कर्जा दिया था और वह कर्जा आज तक चुकाया नहीं गया है। कमाल की बात तो यह है कि पायनियर की प्रेस बैंक के पास गिरवी होने के बावजूद उसे बेच दिया गया और बैंक ने कोई आपत्ति नहीं की। चंदा कोचड़ अब भारत में आईसीआईसीआई की सर्वोच्च अधिकारी हैं। चंदन मित्रा के साथ दिक्कत अब यह है कि राज्यसभा में मध्य प्रदेश से भाजपा की दो सीटे खाली हो रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा गया है कि एक सीट चंदन मित्रा के लिए रखी जाए। हालांकि इस सीट के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता वेद प्रकाश गोयल के बेटे पीयूष गोयल भी दावेदार हैं। जो दो सीटें खाली हो रही है वे सुषमा स्वराज और नरेंद्र सिंह तोमर की हैं। सुषमा स्वराज और तोमर दोनों की मध्य प्रदेश से लोकसभा चुनाव जीत गए है। सुषमा स्वराज के पास तीन साल का कार्यकाल बचा है और श्री तोमर के पास सिर्फ एक साल का। बहुत संभावना है कि चंदन मित्रा को एक साल के लिए राज्यसभा में मनोनीत किया जाए और सुषमा स्वराज वाली सीट मध्य प्रदेश भाजपा के सबसे ताकतवर नेता कप्तान सिंह सोलंकी को मिलने की संभावना है। चंदन मित्रा को बाद में संगठन में महासचिव आदि कुछ बनाया जा सकता है। उसके बाद वे उसी तथाकथित सांप्रदायिकता को प्रचारित करेंगे जिसका वे सदा से विरोध करते आए हैं। उन्हें एक जमाने में कॉमरेड संपादक कहा जाता है और संजय गांधी की दोस्त रही एक नेता को मक्खन लगा कर वे हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक बने थे।
चंदन मित्रा आज की तारीख में बहुत रईस आदमी है। उत्तराखंड में जहां भाजपा सरकार है, वहां नैनीताल के पास रामगढ़ में उन्होंने करोड़ों की जमीन खरीदी है और अब वहां रिसॉर्ट बन रहा है। दिल्ली में एक बहुत महंगी कॉलोनी में उनका एक मकान भी है। पायनियर के लेखकों और कर्मचारियों को वक्त पर वेतन नहीं मिलता और उनकी भविष्यनिधि का भी पता नहीं हैं मगर चंदन मित्रा खूब फल फूल रहे हैं। साभार : डेटलाइन इंडिया