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रांची की जंग के योद्धा बनने चले चंदन

राजस्थान पत्रिका, जयपुर में चीफ सब एडिटर के पद पर कार्यरत चंदन शर्मा ने प्रबंधन को इस्तीफे का नोटिस पकड़ा दिया है. लगातार ट्रांसफर व प्रमोशन न होने से नाराज चल रहे चंदन पत्रिका के साथ दो साल पहले जुड़े थे. वे प्रभात खबर से आए थे. चंदन को पत्रिका ने पहले सिटी सप्लीमेंट जस्ट जयपुर का प्रभारी बनाया फिर उनका ट्रांसफर डेली न्यूज में कर दिया. डेली न्यूज में कभी सिटी डेस्क तो कभी सिटी सप्लीमेंट के प्रभारी बनाए गए.

<p align="justify">राजस्थान पत्रिका, जयपुर में चीफ सब एडिटर के पद पर कार्यरत चंदन शर्मा ने प्रबंधन को इस्तीफे का नोटिस पकड़ा दिया है. लगातार ट्रांसफर व प्रमोशन न होने से नाराज चल रहे चंदन पत्रिका के साथ दो साल पहले जुड़े थे. वे प्रभात खबर से आए थे. चंदन को पत्रिका ने पहले सिटी सप्लीमेंट जस्ट जयपुर का प्रभारी बनाया फिर उनका ट्रांसफर डेली न्यूज में कर दिया. डेली न्यूज में कभी सिटी डेस्क तो कभी सिटी सप्लीमेंट के प्रभारी बनाए गए. </p>

राजस्थान पत्रिका, जयपुर में चीफ सब एडिटर के पद पर कार्यरत चंदन शर्मा ने प्रबंधन को इस्तीफे का नोटिस पकड़ा दिया है. लगातार ट्रांसफर व प्रमोशन न होने से नाराज चल रहे चंदन पत्रिका के साथ दो साल पहले जुड़े थे. वे प्रभात खबर से आए थे. चंदन को पत्रिका ने पहले सिटी सप्लीमेंट जस्ट जयपुर का प्रभारी बनाया फिर उनका ट्रांसफर डेली न्यूज में कर दिया. डेली न्यूज में कभी सिटी डेस्क तो कभी सिटी सप्लीमेंट के प्रभारी बनाए गए.

डेली न्यूज से चंदन को एफएम रेडियो तड़का में ट्रांसफर कर दिया गया. रेडियो में उन्हें मार्निंग व इवनिंग के प्राइम टाइम शो प्रोड्यूस करने की जिम्मेदारी दी गई. इंटरनल लगातार तबादले होने व प्रमोशन न मिलने से नाराज चंदन नई नौकरी की तलाश में जुट गए व जल्द ही आफर लेटर ले आए. झारखंड के रहने वाले चंदन के बारे में चर्चा है कि वे रांची में प्रभात खबर के साथ नई पारी शुरू कर सकते हैं. चंदन जयपुर में पत्रिका के अलावा दैनिक भास्कर के साथ भी ढाई वर्षों तक काम कर चुके हैं.

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0 Comments

  1. ashok giri , dhanbad

    April 21, 2010 at 10:33 am

    grih rajya aane ke liye aapko badhai, nai pari ki suruat ke liye bhi agrim badhai,

  2. Haresh Kumar

    April 21, 2010 at 11:46 am

    एफएफ नहीं एफएम। एक बार फिर से रिपोर्ट को एडिट कर लीजिए।

  3. Vivek Chaurasia

    April 21, 2010 at 12:17 pm

    Aap Ek Achhe Journalist Ho ….. aap journalism hi kro…. aur aapka ye decision bilkul sahi hai….. Waise bhi …. ASLI HEERE KI PEHCHAAN ACHHA JAUHARI HI KAR SAKTA HAI….All da best for ur future….

  4. SUBHASHISH ROY

    April 21, 2010 at 4:22 pm

    Congrats Chandan. Now its time to proove yourself. Best wishes.
    Subhashish Roy

  5. anup narayan singh

    April 22, 2010 at 8:37 am

    koi fark nahi parta

  6. arun barnwal

    April 22, 2010 at 9:44 am

    chandanji badhai, jharkhand ke patrkarita jagat main wapsi par shubhkamna. nai pari ki suruwat dhamakedar ho yahi kamna hai.

  7. rajiv kumar

    April 22, 2010 at 11:02 am

    आप भी अपने पाठकों को भ्रमित करने में कसर नहीं छोड़ रहे। आपने चंदन शर्मा को रांची की किस जंग के लिए किस सेना का सेनापति बना दिया, यह स्पष्ट नहीं हो रहा। आपने लिखा है कि वो आफर लेटर ले आये हैं। फिर ये लिखते हैं कि वो प्रभात खबर के साथ अपनी नयी पारी शुरू कर सकते हैं। तो वो जो आफर लेटर है वो प्रभात खबर का है कि नहीं, इस पर ऐसा भ्रम क्यों।
    बाकी जो आप जिस बड़ी जंग के सेनापति के रुप में चंदन शर्मा से इतनी बड़ी उम्मीद लगा रहे हैं, वो जल्द ही ध्वस्त हो जायेगी। आपको मालूम नहीं कि ऐसी ही बड़ी जंग की उम्मीद में प्रभात खबर ने इसे रांची में रखा। लेकिन वहां वो किसी काम के साबित नहीं हुए। हरिवंश जी को महीने भर में ही गल्ती समझ में आ गयी तो रांची से धनबाद भेजकर जान छुड़ायी। वहां से जल्द ही चंदन जी ने वापस जयपुर का रास्ता पकड़ लिया। जयपुर में भी उन्होंने अपने संस्थान को क्या दिया और बदले में संस्थान ने उनके साथ क्या बर्ताव किया, इसका पता लगातार इंटरनल तबादला करते जाने और प्रमोशन नहीं देने के आपके विवरण से ही समझ में आ जाता है। दैनिक भास्कर, प्रभात खबर और राजस्थान पत्रिका तीनों जगहों पर किसी काम में टिक नहीं पाने और लंतरानी झाड़ने के कारण यह हाल हुआ कि अंततः उन्हें एफएम रेडियो में भेज दिया गया। अब आप ही बताइये कि यह कोई आफर लेटर लाकर खुद इस्तीफा देने का मामला है या प्रकारांतर से निकाले जाने का।
    दिलचस्प यह कि आपने जिस तरह इसे महिमामंडित करके जंग का सेनापति बना दिया, उसकी चमक का शिकार होकर कुछ लोग उनके स्वागत में बिछ गये हैं। धन्य हो।
    राजीव कुमार, बोकारो

  8. पागल एक्सप्रेस

    April 22, 2010 at 11:29 am

    @राजीव कुमार, बोकारो
    मैं इन बंधु से जानना चाहता हूं कि अगर चंदन जी रांची आ रहे हैं और वो अच्छी जगह काम करने जा रहे हैं, तो इन महाशय को खुजली क्यों हो रही है। कौन क्या कर सकता है, इसके बारे में प्रिडिक्शन करनेवाले हम और आप कैसे हो सकते हैं। चंदन जी एक अच्छे इंसान हैं और हमेशा संस्थान को बेहतर देने के बारे में सोचते हैं। अब किसी को इस बात पर क्यों चिढ़ हो रही है कि उन्हें अच्छे तरीके से पेश किया गया। किसी की इज्जतअफ़ज़ाई हो गयी, तो दूसरों को मिर्चा क्यों लग रहा है। ये तो वही बात हुई कि मैं अपने दुख से दुखी नहीं हूं, बल्कि दूसरों के सुख से दुखी हूं। हाइट है कुंठा की। लोग खुद कुछ कर तो पाते नहीं, दूसरों की तरक्की पर छुछुनदर टाइप भांड़ने पहुंच जाते हैं। अरे ऐसी भी कुंठा किस बात की। कोई तरक्की कर रहा है, तो उसे करने दीजिए, आप क्यों जलते हैं। अंत में एक ट्रक के पीछे लिखा हुआ स्लोगन याद दिला रहा हूं, बल्कि एक नहीं दो ठो, ये लीजिए
    1. जलो लेकिन दीपक की तरह
    2. बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला
    धन्यवाद!

  9. abhishek poddar

    April 23, 2010 at 6:10 am

    rajiv ji shyed aapko chandan ji ek bare main puri jankari nahi hai. isliye aap waisi baat kar rahe hai. aur mujhe nahi lagta ki yadi harivance ji ke baar koi galti kar dete hai to fir se koi wahi galti karnege. yah baat shayed kisi ko nahi pachegi. mujhe lagta hai aapko ya to chandan ji se khunas hai ya to prabhat khabar se.

  10. ajeet ranchi

    April 23, 2010 at 11:02 am

    chandan bhai badhai home state aane k liye aur rajeev ji aap jo v hai aapki sirf kuntah dikh rahi hai. itni energy khud pe lagate to achhe journalist nahi to insaan to ban hi jate. Jharkhand ko achhe patrkaron ki jarurat hai. chandan ji ki writing ya job profile aap jante to aisi kadapi nahi likhte.
    ajeet kumar, c.u., ranchi.

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