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चाइल्ड राइटस रिसर्च फेलोशिप के लिए आवेदन

हर साल की तरह इस साल भी ‘‘चाइल्ड राइट्स एण्ड यू’’ (क्राई) ने बच्चों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर रिसर्च फेलोशिप देने की घोषणा की है। इसके तहत देश भर से 10 आवेदकों को चुना जाएगा और अनुदान राशि 50,000 से 1,00000 के बीच होगी। यह फेलोशिप बच्चों के अधिकारों से जुड़े नए विचारों का स्वागत करता है। क्राई की डायरेक्टर योगिता वर्मा का कहना है कि संविधान में राज्य से नागरिकों के आपसी संबधों, उनके अधिकारों और जवाबदारियों से जुड़ी परिभाषाओं को नए सिरे से समझा जा रहा है।

<p style="text-align: justify;">हर साल की तरह इस साल भी ‘‘चाइल्ड राइट्स एण्ड यू’’ (क्राई) ने बच्चों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर रिसर्च फेलोशिप देने की घोषणा की है। इसके तहत देश भर से 10 आवेदकों को चुना जाएगा और अनुदान राशि 50,000 से 1,00000 के बीच होगी। यह फेलोशिप बच्चों के अधिकारों से जुड़े नए विचारों का स्वागत करता है। क्राई की डायरेक्टर योगिता वर्मा का कहना है कि संविधान में राज्य से नागरिकों के आपसी संबधों, उनके अधिकारों और जवाबदारियों से जुड़ी परिभाषाओं को नए सिरे से समझा जा रहा है।</p>

हर साल की तरह इस साल भी ‘‘चाइल्ड राइट्स एण्ड यू’’ (क्राई) ने बच्चों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर रिसर्च फेलोशिप देने की घोषणा की है। इसके तहत देश भर से 10 आवेदकों को चुना जाएगा और अनुदान राशि 50,000 से 1,00000 के बीच होगी। यह फेलोशिप बच्चों के अधिकारों से जुड़े नए विचारों का स्वागत करता है। क्राई की डायरेक्टर योगिता वर्मा का कहना है कि संविधान में राज्य से नागरिकों के आपसी संबधों, उनके अधिकारों और जवाबदारियों से जुड़ी परिभाषाओं को नए सिरे से समझा जा रहा है।

लेकिन दूसरी तरफ, जब इन अधिकारों और जवाबदारियों की व्याख्या होती है तो बच्चों से जुड़े हितों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। बीते 6 दशकों से बच्चे राष्ट्र निर्माण में हिस्सेदार रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें विकास के रास्ते में पीछे की तरफ थकेला जा रहा है। ऐसे में बच्चे और उनकी पहचान न उभर पाने को जुड़े अध्ययनों को गहराई से समझने की जरूरत है। एक ऐसे समाज में जहां परिवार की भूमिका अहम हो और समुदाय, अर्थव्यवस्था या राज्य की प्रवृतियों में बदलाव आ रहा हो, वहां हमें यह जानना होगा कि बच्चों के अपने अनुभव कैसे रहे हैं?

संभावित विषय क्षेत्र

* बचपन के तजुर्बों और सामामजिक व्यहारों से जुड़ी रचनात्मक कहानियां और लोकगीत आदि।
* बच्चों के एक दूसरे के साथ, परिवार, समुदाय और सरकार के साथ संबंधों की पड़ताल और विवेचना।
* घर, स्कूल, कार्यस्थल, खेल की जगहों और सत्ता प्रतिष्ठानों में बच्चों की भागीदारी को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने संबंधी साक्ष्य संकलन।
* जातीयता, असमानता, संघर्ष के आपसी संबंधों से जुड़े बच्चों के तजुर्बों के साक्ष्य संकलन।

* सिद्धांत के तौर पर बच्चों के हित को सर्वोपरि रखते हुए निर्णय लेना एक मूल्य है, संवैधानिक अधिकार है, पैरवी का माध्यम है, अथवा कानून है।

यह फेलोशिप मूल विचार, गैर-पंरपरागत नजरिया और इस क्षेत्र में रचनात्मक तरीकों की खोज को प्रोत्साहित करता है। हम शोधकर्ताओं से यह उम्मीद करते हैं कि वह हमें संस्कृति की आपसी क्रियाओं, परंपराओं, कानूनों, नीतियों और योजनाओं के बारे में बेहतर ढंग से समझाएंगे।

योग्यताएं : भारतीय और कम से कम 18 साल की उम्र का हो। उन्हें वरीयता दी जाएगी जो सरकारी स्कूल के अध्ययन से जुड़े हो।

भाषा : प्रस्तावों को किसी भी भारतीय भाषा में पेश किया जा सकता है।

समय-सीमा : एक महीने से एक साल तक।

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अंतिम तारीख : 04 सितम्बर, 2010

आप अपने प्रस्ताव इस ई-मेल पर भेज सकते हैं- research@crymail-org

क्षेत्रीय भाषा के प्रस्ताव (अंग्रेजी भाषा का अनुवाद करके) डाक के जरिए क्राई के डाक्यूमेन्ट सेंटर के पते पर भेज सकते हैं:
क्राई, चाइल्ड राइट्स एण्ड यू, 189 ए, आंनद इस्टेट, सेन गुरूजी मार्ग, मुंबई- 400011.

क्राई बच्चों के लिए काम करने वाली देश की गैर सरकारी संस्था है। यह पिछले 30 सालों से एनजीओ, समुदाय, सरकार और मीडिया के साथ मिलकर बच्चों की दिक्कतों और उनके इंसानी पहलुओं को जानने की कोशिश कर रहा है। फेलोशिप के लिए चयनित शोधकर्ताओं के नामों की घोषणा अप्रेल, 2011 तक क्राई की बेवसाइड पर घोषित की जाएगी।

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0 Comments

  1. संतोष

    August 10, 2010 at 1:26 pm

    क्राई वाले ईमानदारी के प्रस्ताव पर फैलोशीप नहीं देते हैं। हिंदी में भेजे गए प्रस्ताव को तो बड़े ही हेय दृष्टि से देखते हैं। अधिकतर फैलोशीप अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वालों और अंग्रेजी में ही काम करने वालों को देते हैं। नाम कमाने के लिए हिंदी में भी प्रस्ताव आमंत्रित करते हैं। यह एजेंसी पूरी तरह से विदेशी धन पर चल रही है। यह रिसर्च के बहाने यह देखती है कि कहां पर उनका धर्मांतरण का अभियान धीरे-धीरे चलाया जा सकता है।
    संतोष

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