Sanjay Shekhar has left a new comment on your post “अगर नोट 1 हजार का होता तो…..“:
साथी राहुल की भावनाएं पवित्र हैं और उनकी मौलिक सोच हमेशा ज़िंदा रहे, यही कामना है। राहुल को मैं यह भी कहना चाहुंगा कि मैं आपसे इस मायने में जरूर इत्तेफाक रखता हूं कि पत्रकारिता को आज न केवल बिकाऊ बल्कि बहुत ही निम्न दर्जे का व्यवसाय समझा जाने लगा है।
लेकिन बाबजूद इसके, मैं आपके इस तर्क से सहमत नही हूं कि सौ की जगह हजार के नोट होते तो क्या होता? राहुल जी अपने पेशे में जरुरत से ज्यादा बुराई जरुर आ गई है लेकिन आज भी अच्छाइयों के साथ बहुत से लोग, उसी पवित्रता के साथ पत्रकारिता कर रहें है जिस पवित्रता की वजह से पत्रकारिता को गरिमामय काम माना जाता रहा है। मैं वाकया छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का बताना चाह रहा हूं जहां मेंरी जानकारी में एक दर्जन से अधिक युवा पत्रकारों ने भारत की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी कही जानेवाली कांग्रेस द्वारा चुनाव कवरेज के लिए दी जा रही हजारों रुपए की राशि को न केवल लेने से इंकार कर दिया बल्कि आंफर करनेवाले नेताओं को खूब खरी-खोटी भी सुनाई। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौराण कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई ने भी राजधानी के पत्रकारों को खरीदने की कोशिश की।
कांग्रेस के रणनीतिकारों द्वारा बकायदा कांग्रेस बीट कवर करनेवाले पत्रकारों के साथ ही विभिन्न समाचार चैनलों और अखबारों के ब्यूरो चीफ और राजधानी से प्रकाशित अखबार के संपादक तक की कीमतें तय की गई। प्रदेश कांग्रेस की मीडिया को चलानेवाले नेताओं ने बकायदा पत्रकारों को पैसा उपलब्ध कराया। लेकिन मैं उन तमाम साथियों को सैल्यूट करना चाहुंगा, विशेष तौर पर युवा साथियों को जिन्होंने दस हजार रुपए से लेकर बीस हजार रुपए तक की राशि को न केवल लेने से इंकार कर दिया बल्कि लिफाफा लेकर आनेवाले कांग्रेसी नेताओं को खूब खरी-खोटी सुनाकर उल्टे पांव लौटने को मजबूर कर दिया। युवा पत्रकार बह्मवीर सिंह, मोहन तिवारी, बृजेश द्विवेदी, प्रवीण पाठक सहित दर्जनों पत्रकारों ने कांग्रेस की इस सोच के लिए न केवल पार्टी की आलोचना की बल्कि इस मुद्दे को लेकर विरोध स्वरुप कांग्रेस के किसी राष्ट्रीय नेता के प्रेस कांफ्रेस को बहिष्कार करने की योजना भी बना ली थी। लेकिन हमारी इस योजना की खबर कांग्रेस को लग गई शायद इस बजह से भी आगे कांग्रेस के किसी राष्ट्रीय नेता की प्रेस कांफ्रेस रायपुर में नही रखी गई।
मैं नही जानता कि यह विरोध कितना सार्थक था और इस विरोध का प्रदेश कांग्रेस की मानसिकता पर कोई असर भी पड़ा या नही, लेकिन मैं यह जरुर समझता हुं कि इस तरह की स्थितियां हरेक स्थानों की पत्रकारिता में है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने अपनी हार की समीक्षा अभी तक नही की है मैं समझता हुं कि जब समीक्षा होगी तो कांग्रेस की मीडिया संभाल रहे कुछ मित्र जरुर इस मुद्दे का भी जिक्र करेंगे। क्योकि कांग्रेस की मीडिया संभाल रहे एक-दो साथी भी हमारे विरोध और इस सोंच से इत्तेफाक रखते थे कि दस-बीस हजार रुपए की राशि देकर पत्रकारों से अपने पक्ष में खबर छपबाने की कांग्रेस की कोशिश हमारे देश और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
संजय शेखर
9893623111
भाई साहब, इसके लिये नेताओं को गाली देने की बजाय गिरेबान में झांकना चाहिये…क्योंकि लम्पट और दलालों के बढते दखल ने पञकारिता को ऐसी स्थिति में ला खडा किया है कि नेता खैरात बांटने लगे हैं…सच ही कहा है कि एक सौ की जगह नोट हजार का होता तो क्या इतना हंगामा होता…परेशानी कम कीमत आंकने पर हो रही है…या उसूलों के साथ खिलवाड पर….खुद ही सोचें तो असलियत समझ में आ जायेगी…पहले वेल्यू बेस्ड यानीं मूल्य आधारित पञकारिता पर जोर था…अब प्राइस बेस्ड यानीं मूल्य आधारित पञकारिता पर जोर है…क्या कहें…सिवाय लम्पट लोगों की बढती जमात को टुकुर टुकुर देखने के….
sandeep has left a new comment on your post “अगर नोट 1 हजार का होता तो…..“:
keep it up Rahul, majorty aapke saath hai,aage se humein bhi western pre ki tareh in tatvon ke khilaf ‘hue and cry” ka rasta apnana padega. sadhuvaad Yashwant ji ka bhi jinhone B4M ko website se kahin zyada ek mukkammal aina bana diya hai jismein hamare patrkar samaj ki sadandh saaf mehsoos ki ja sakti hai,koi nahi aayega patrakarita ko bachane..humein khud meena uthana padega..har sathi ko rahul jaisa banna padega.Apko poora samarthan hai.
keep in touch
Sandeep Yash
9818425060
usoolon ki jid ko nibhana aajkal bewkoofi samjhi jaati hai par duniya me sachchayi aur imandari ko kaayam rakhne ki jimmedari bhi aise hi kandhon par hoti hai…apni jid ko barkarkar rakhiye…duniya apne aap hi badalti najar aayegi..kisi ne sahi hi kaha hai..’be the change you want to see in the world’..
wish u luck 4 ur future..
rahul ji, apni girehban me jhankne ka sahas sabme thore hi hota hai. yeh haal sirf noida ka nahi hai. mere darbhanga me bhi hai. par salam deepak ko jisne godda, jharkhand me 80 hazar ki rishwat na sirf thukrai balki uski baqayda recording kar e tv par dikhaya bhi. mujhe salam mat kariyega, haan thori sahanubhuti zaroor rakhiyega kyonki chote shehron me sangharsh karte hue patrakarita ki maryadaon ko maine bhi kabhi nahi tora.
vijay srivastava,
samvaddata,
etv bihar-jharkhand,
darbhanga (bihar)