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भ्रष्ट इंजीनियर का प्रकरण 3 हजार करोड़ से बढ़कर 15 हजार करोड़ का हुआ

: स्वयं को मुख्यमंत्री मायावती का दत्तक पुत्र कहता है : एसआईटी ने जांच क्यों बंद की? : फाइनल रिपोर्ट क्यों लगायी गयी? : आगामी चुनावों में कांग्रेस-भाजपा के हाथ लगा बड़ा मसला? : विधानसभा चुनावों को करेगा प्रभावित : अभी अभी खबर मिली है कि सीबीआईने यूपीएसआईडीसी के चीफ इंजीनियर अरूण मिश्र को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया है।  चर्चाओं के अनुसार श्री मिश्र 14 साल पहले विभाग में सहायक इंजीनियर के तौर पर आकर भर्ती हुए थे और इन वर्षों में ही उनकी हैसियत 3000 करोड़ के आसपास पहुंच गयी।

<p style="text-align: justify;">: <strong>स्वयं को मुख्यमंत्री मायावती का दत्तक पुत्र कहता है : एसआईटी ने जांच क्यों बंद की? : फाइनल रिपोर्ट क्यों लगायी गयी? : आगामी चुनावों में कांग्रेस-भाजपा के हाथ लगा बड़ा मसला? : विधानसभा चुनावों को करेगा प्रभावित</strong> : अभी अभी खबर मिली है कि सीबीआईने यूपीएसआईडीसी के चीफ इंजीनियर अरूण मिश्र को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया है।  चर्चाओं के अनुसार श्री मिश्र 14 साल पहले विभाग में सहायक इंजीनियर के तौर पर आकर भर्ती हुए थे और इन वर्षों में ही उनकी हैसियत 3000 करोड़ के आसपास पहुंच गयी।</p>

: स्वयं को मुख्यमंत्री मायावती का दत्तक पुत्र कहता है : एसआईटी ने जांच क्यों बंद की? : फाइनल रिपोर्ट क्यों लगायी गयी? : आगामी चुनावों में कांग्रेस-भाजपा के हाथ लगा बड़ा मसला? : विधानसभा चुनावों को करेगा प्रभावित : अभी अभी खबर मिली है कि सीबीआईने यूपीएसआईडीसी के चीफ इंजीनियर अरूण मिश्र को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया है।  चर्चाओं के अनुसार श्री मिश्र 14 साल पहले विभाग में सहायक इंजीनियर के तौर पर आकर भर्ती हुए थे और इन वर्षों में ही उनकी हैसियत 3000 करोड़ के आसपास पहुंच गयी।

बताया गया है कि गुरुवार की शाम को सीबीआई दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस करके इस छापे के बाबत खुलासा करेगी। इसके पूर्व यूपीएसआईडीसी के इंजीनियर के कानपुर, लखनऊ और देहरादून के आवासों और प्रतिष्ठानों पर गुरुवार को सुबह से चल रहे सीबीआई के छापे में कम से कम 15 हजार करोड़ की मनी लांडरिंग का मामला पकड़ में आने की चर्चा है। चर्चा यह भी है कि संबंधित इंजीनियर स्वयं को मुख्यमंत्री मायावती का दत्तक पुत्र कहता फिरता है। इस मामले में एक बार एसआईटी के डायरेक्टर बलविंदर सिंह संस्पेंड किये जा चुके हैं और उनके बाद आए डायरेक्टर बालाजी का दूसरे विभाग में ट्रांसफर किया गया था, वह अब रिटायर हो चुके हैं। तत्कालीन जांच टीम को भंग करके महज खानापूरी लायक टीम बना दी गयी थी।

इस मामले में देहरादून स्थित पीएनबी के विधानसभा मार्ग स्थित शाखा का एक ब्रांच मैनेजर सस्पेंड भी किया गया है, ऐसी खबरें हैं। सुना जा रहा है मनी लांडरिंग के इस खेल में एक पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश का एक इंडस्ट्री मिनिस्टर भी शामिल है। मामला एनसीआर में जमीन बिक्री से जुड़ा है। जहां आज माल व शापिंग काम्प्लेक्स बने हैं। जिस जमीन की कीमत, 2006 में जब जमीन बेची गयी 25 से तीस हजार रुपये वर्गमीटर थी उसे मात्र पांच से छह हजार रुपये वर्ग मीटर में भू और बिल्डिंग माफियाओं को बेचकर अकूत रकम कमाई गयी। इसमें सपा के एक पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा के एक सदस्य की भी भूमिका की चहुंओर चर्चा है। यह पूर्व सपाई इन दिनों सपा से निकाल बाहर है।

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई की जांच ज्यों ज्यों आगे बढ़ेगी प्याज की तरह इस मामले की परतें उतरती चली जाएंगी। इसमें बसपा और सपा के भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाहों और अफसरों की कलई एक एक कर खुलने की आस जगी है। इसके तार बनारस से भी जुड़ने की संभावना है। बनारस में विजिलेंस जांच में एक परिवहन के अधिकारी के सस्पेंड होने की भी चर्चा सुनी जा रही है जिसका सारनाथ में मकान भी है। वह भी इसमें शामिल है। आजमगढ़ से जुड़े एक रसूख वाले आईएएस के भी इस जांच की लपेट में आने की संभावना है। सुना जा रहा है यह पूरा का पूरा मामला पंद्रह हजार करोड़ के आसपास तक जा सकता है। कई लोग उस एपीओ के बारे में चर्चा करते सुने गए जिसने लिखकर दे दिया कि इस केस में दम नहीं है। वह भी कई करोड़ पाकर संतुष्ट हो गया। इस छापे का पूरे प्रदेश में काफी शोर है।

सीबीआई सूत्र इस कहानी को कुछ इस तरह बयां कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मायावती जब सत्ता में आयीं उससमय उनके चुनावी एजेंडे में विशेष अनुसंधान टीम का गठन शामिल था। उन्होंने आते ही इस टीम का गठन किया जिसके डायरेक्टर बलविंदर सिंह बनाए गए। जांच का काम आगे बढ़ा तो पता चला कि इसमें एक इंजीनियर शामिल है। उस इंजीनियर की जांच शुरु हुई तो मामला कानपुर तक गया और जांच टीम के हाथ में 24 बेनामी बैंक खाते लगे। प्रत्येक खाते में दो से चार करोड़ रुपये तक थे। मामला आगे बढ़ने पर जांच टीम के हाथ देहरादून तक पहुंचे। वहां एक कोठी का पता चला जिसे ढाई करोड़ में खरीदा गया था। इस मामले में दो बेनामी एकाउंट दिखाकर हाउस लोन लिया गया था। बाद में हाउस लोन चुकता करके टर्म लोन कन्वर्ट किया गया और जांच ज्यों ज्यों आगे बढ़ती गयी पता चला कि यह मामला तो लखनऊ के विकास खंड तक आ गया है। फिर जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि कलकत्ता से कोई तीन हजार करोड़ की मनी लांडरिंग 34 बैंक खातों के माध्यम से हुई है। सीबीआई सूत्र बता रहे हैं कि यह मामला पंद्रह हजार करोड़ से कम का नहीं है।

जांच और आगे बढ़ी तो यह ब्रांच मैनेजर सस्पेंड कर दिया गया। जांच की परते खुलने पर जांच टीम के सर्वोच्च अफसर ने रिपोर्ट सरकार को प्रेषित की और इंजीनियर को सस्पेंड करने की संस्तुति की। जैसा कि सीबीआई सूत्र बता रहे हैं यहीं से लेनदेन का खेल खेला गया। बाद में विशेष अनुसंधान टीम के एक सर्वोच्च अफसर को बुलाकर बताया गया कि क्यों इंजीनियर को परेशान किया जा रहा है। इस आधार पर अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया। दूसरे जो अफसर उनकी जगह आए उन्हें भी कुछ दिन बाद दूसरे विभाग में भेज दिया गया। इस समय विशेष अनुसंधान टीम ने इस केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। इस बाबत केंद्र की कांग्रेस सरकार को राज्य सरकार से पूछना चाहिए कि फाइनल रिपोर्ट क्यों लगाई गयी और जांच क्यों बंद की गयी? समझा जाता है कि यह मामला संसद में सपा और बसपा को घेरने में अपनी महती भूमिका निभायेगा। अगर इसे ठीक से उठाया गया तो यह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और भाजपा के लिए एक बहुत बड़ा मामला साबित हो सकता है। साभार : पूर्वांचलदीप

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