डबल रोल के पीछे क्या है? : स्टेट हेड का मतलब पूरे स्टेट के एडिशन्स की जिम्मेदारी। पर दुर्भाग्य या संयोग, जो कह लीजिए, कुछ ऐसा बना है कि भास्कर समूह के दो स्टेट हेड आजकल रेजीडेंट एडिटर की तरह काम कर रहे हैं। भोजपुरी में कहा जाए तो कह सकते हैं कि ‘खट रहे हैं’। दोनों के सिर पर अपने-अपने स्टैट कैपिटल के एडिशन्स की जिम्मेदारी आन पड़ी है।
इन दोनों स्टेट हेडों के नाम हैं अभिलाष खांडेकर और कमलेश सिंह। अभिलाष खांडेकर मध्य प्रदेश के स्टेट हेड हैं तो कमलेश सिंह पंजाब के। भोपाल एडिशन के आरई राजेश उपाध्याय को दो दिन पूर्व पहले से तय जिम्मेदारी के लिए रवाना कर दिया गया। यह जिम्मेदारी उन्होंने कुबूल भी कर ली। सो, भोपाल की अपनी गद्दी खाली कर गए। राजेश दिल्ली में भास्कर के नेट एडिशन्स के संपादक बना दिए गए हैं। भोपाल के लिए नया स्थानीय संपादक अभी भास्कर तय नहीं कर पाया है। सो, स्टेट हेड के सिर पर आरई की जिम्मेदारी आन पड़ी है। स्टेट हेड अभिलाष खांडेकर न्यूज एडिटर मणिकांत सोनी के माध्यम से एडिशन निकलवा रहे हैं। उन्हें मुक्ति तभी मिलेगी जब कोई नया आरई आएगा।
अब पहुंचते हैं कमलेश सिंह के पास। कमलेश के पास पंजाब राज्य समेत हरियाणा और हिमाचल का भी जिम्मा है। जाहिर है, चंडीगढ़ उनके दायरे में होगा ही। भास्कर प्रबंधन प्रभात सिंह को चंडीगढ़ की जिम्मेदारी से मुक्त करने की तैयारी बहुत पहले कर चुका था। इसी बीच प्रभात ने अमर उजाला में माहौल बदला देख अमर प्रबंधन से बातचीत कर अपनी नई पारी पक्की कर ली, सो, उन्होंने भास्कर, चंडीगढ़ को बाय-बाय बोल दिया। उनके अमर उजाला, बरेली में आरई के रूप में ज्वाइन किए काफी टाइम हो गया पर दैनिक भास्कर, चंडीगढ़ में आरई का पद भरा नहीं, अब भी खाली है। प्रभात सिंह का नाम प्रिंट लाइन में दैनिक भास्कर, चंडीगढ़ में अब भी जा रहा है पर एडिशन निकाल रहे हैं कमलेश सिंह। चंडीगढ़ यूनिट वाले लंबे समय से आस लगाए हैं कि नया एडिटर आएगा, नई रोशनी के साथ नए सिद्धांत और तौर-तरीके लाएगा पर नया आरई है कि आ ही नहीं रहा। सो, मजबूरन कमलेश सिंह को चंडीगढ़ का एडिशन संभालना पड़ रहा है। उन्हें भी मुक्ति तभी मिलेगी जब कोई नया आरई आएगा।
पर सोचिए। एक शिगूफे के बारे में सोचिए, जो आजकल भाई लोगों ने छोड़ रखा है। भास्कर को क्या जरूरत पड़ी है भोपाल और चंडीगढ़ में आरई लाने की। अगर मोटी सेलरी उठा रहे अभिलाष खांडेकर और कमलेश सिंह स्टेट हेड रहते हुए ही स्टेट कैपिटल के एडिशन को निकाल ले रहे हैं तो दो आरई रखने और इन पर अच्छी खासी सेलरी खर्च करने की क्या जरूरत है? ये हम नहीं, दैनिक भास्कर में काम कर चुके कुछ पुराने रंगबाज टाइप लोगों का कहना है। हो सकता है ये लोग भास्कर पर अपनी भड़ास निकाल रहे हों पर खर्चा बचाने की बात अगर भास्कर प्रबंधन के दिमाग में है और नुस्खे की यह पुड़िया किसी ने थमा दी हो तो संभव है कि प्रबंधन ने सिर और सामने मौका आया देख आजमा दिया हो, चोरी-चोरी, चुपके-चुपके!
देखते हैं, अपने अभिलाष भाई और कमलेश जी कब तक डबल रोल में रहते हैं.
abhinav
January 19, 2010 at 2:43 am
सहारा अपडेट
स्टार न्यूज़ से सहारा जाने वाले पत्रकारों में अब सुभाष कदम का नाम करीब करीब पक्का हो चुका है. सूत्र बता रहे हैं कि सुभाष की सैलरी पर जो विवाद उठा था वो अब ख़त्म हो चुका है. इसी तरह की सैलरी का विवाद बीबीसी की एंकर रूपा झा के विषय में उठा था लेकिन सहारा प्रबंधन ने अभी तक रूपा झा के नाम पर हामी नहीं भरी है क्योंकि सुभाष कि तरह रूपा को टीवी का तजुर्बा नहीं है. सूत्र बतातें हैं की संजीव श्रीवास्तव ने अब रूपा झा को दिया गया ऑफर वापस ले लिया है क्योंकि रूपा को दूनी से ज्यादा सैलरी चाहिए. पर सोमवार के दिन संजीव ने बीबीसी के ही श्याम सुन्दर को मेट्रो ब्योरोसँभालने का ऑफर लेटर सौंप दिया है और श्याम ४५% के सैलरी रेस पर सहारा फरवरी से ज्वाइन करेंगे http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2008/04/080410_votein_nepal.श्त्म्ल
http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2007/05/070523_unmedia_awards.श्त्म्ल
इधर बीबीसी प्रबंधन ने बिजनेस प्रमुख इंदु शेखर का कार्यकाल एक साल और बढ़ाने का मन बना लिया है जिससे उन्हें सहारा ज्वाइन करने से रोका जा सके. दूसरी तरफ बीबीसी के पत्रकारों का सहारा में दिलचस्पी लेने अभी भी बना हुआ है जबकि प्रबंधन उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई कर रहा है जिनके बारे में सहारा जाने कि खबरें आ रहीं थी.
इस दौरान सनीव श्रीवास्तव ने बीबीसी लन्दन में फ्रीलांसर रहीं प्रतीक्षा घिल्डियाल को सहारा में मनोरंजन डेस्क पर एडिटर के तौर पर काम करने के लिए राज़ी कर लिया है.
anuja sanghvi
January 28, 2010 at 11:59 am
bhaskar main bo hota hai jo duniya main kahin nahin hota hai. bahan to yeh hal hai ki yadi kisi ki complent ki jaye to management uska double incriment ker deta hai jaisa DEEPAK BUDANA aur RACHANA SEXSENA ka kiya.