रोहतक में भास्‍कर ने लांच की अपनी नई यूनिट

दैनिक भास्‍कर ने अपनी नई प्रकाशन यूनिट रोहतक में लांच कर दी है. हरियाणा के मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दैनिक भास्‍कर के रोहतक यूनिट का शुभारंभ नई प्रिंटिंग मशीन का बटन दबाकर किया. इस मौके पर उन्‍होंने प्रकाशित विशेषांक का भी विमोचन किया. इसके साथ ही हरियाणा में भास्‍कर के तीसरी प्रिंटिंग यूनिट स्‍थापित हो गई है. इसके पहले पानीपत तथा हिसार में भास्‍कर की प्रिंटिंग यूनिट स्‍थापित थी.

दैनिक भास्‍कर ने रांचीवासियों से झूठ बोला था

13 अक्तूबर को दैनिक भास्कर ने अपने अखबार में पाठकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा था कि वह रांची का सबसे बड़ा अखबार है. शहर में इस आशय के होर्डिंग भी लगाये गये थे. इसके पूर्व दैनिक भास्कर ने एक परचा बंटवाया था, जिसमें रांची का नंबर वन अखबार होने का दावा किया गया था.

भास्‍कर को चाहिए वितरकों से कमाई में हिस्‍सा!

दैनिक भास्‍कर अब कमाई का कोई जरिया छोड़ना नहीं चाहता है. जैसे भी मिले पैसे आने चाहिए. अब अखबार को वितरकों द्वारा अखबार में भरे जाने वाले इंसर्ट और पम्‍पलेट से होने वाली कमाई में भी एक तिहाई हिस्‍सा चाहिए. यह पैसा कंपनी के खाते में जाएगा. जो वितरक यह हिस्‍सा नहीं देंगे उनकी सप्‍लाई बंद कर दी जाएगी.

दैनिक भास्‍कर से राजेश और लता ने इस्‍तीफा दिया

दैनिक भास्‍कर, बठिंडा से राजेश नेगी ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे भास्‍कर में स्‍टाफर थे. उन्‍होंने अपनी नई पारी अमर उजाला, बठिंडा से ही रिपोर्टर के रूप में शुरू की है. राजेश पिछले डेढ़ साल से भास्‍कर के साथ जुड़े हुए थे. इन्‍होंने अपने करियर की शुरुआत दैनिक जागरण, बठिंडा के साथ की थी. अमर उजाला को भी अपनी सेवाएं दीं. जब अमर उजाला ने पंजाब से अपना बोरिया बिस्‍तर समेट लिया तो ये दैनिक अजीत के साथ जुड़ गए.

कमाई नहीं दिखी तो बस्‍तर से लौट गए भास्‍कर और नवभारत!

यशवंत जी यह सबसे बड़ी सच्चाई है कि आज पत्रकारिता मिशन न हो कर केवल बिजनेस बन कर रह गया है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण छत्तीसगढ के बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में देखा जा सकता है, जहां साल भर पूर्व दैनिक भास्कर और नवभारत दोनों ने अपनी यूनिट डालने की पूरी तैयारी कर ली थी.

बिहार में भास्‍कर के आहट से जागरण परेशान!

जागरणबिहार में दैनिक भास्‍कर के आहट की खबर से ही यहां जमे जमाए अखबार नई रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं. दैनिक भास्‍कर जल्‍द ही बिहार से भी अपने प्रकाशन की तैयारी कर रहा है. इसकी जिम्‍मेदारी भास्‍कर प्रबंधन ने झारखंड में अखबार की लांचिंग कराने वाले डीजीएम प्रोडक्‍शन अजय छाबड़ा को सौंपी है.

भास्‍कर को बिहार में भी लांच करायेंगे अजय छाबड़ा

दैनिक भास्‍कर के डीजीएम प्रोडक्‍शन अजय छाबड़ा को प्रबंधन ने फिर एक बड़ी जिम्‍मेदारी सौंप दी है. एक मेल के जरिए सूचना मिली है कि झारखंड के रांची और जमशेदपुर में दैनिक भास्‍कर के सफल लांचिंग के बाद छाबड़ा और उनकी टीम को बिहार में भी भास्‍कर की लांचिंग का जिम्‍मा सौंपा गया है. फिलहाल उनकी टीम भास्‍कर की रोहतक यूनिट की लांचिंग की तैयारियों में लगी हुई है.

दैविक भास्कर में तब्दील होने को तैयार दैनिक भास्कर!

करीब एक हफ्ते पहले डीबी कार्प लिमिटेड की तरफ से भोपाल के लिए दैविक भास्कर टाइटल बुक कराया गया है. इसके पहले आप इसी पोर्टल पर पढ़ चुके हैं कि डीबी कार्प वालों ने यूपी व उत्तराखंड में दैनिक भास्कर की जगह दैविक भास्कर के नाम से अखबार प्रकाशित करने का इरादा बना लिया है और इसी कारण यूपी-उत्तराखंड के लिए दैविक भास्कर टाइटल बुक कराया है. सूत्रों के मुताबिक टाइटिल को लेकर खानदान में चल रहे झगड़े से हमेशा के लिए निजात पाने के उद्देश्य से रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके बेटे दैनिक भास्कर से दैविक भास्कर पर शिफ्ट करने की तैयारी कर रहे हैं. इसी कारण धीरे-धीरे वे हर उस जगह के लिए दैविक भास्कर टाइटिल बुक करा रहे हैं, जहां से उनका अखबार अभी निकल रहा है या निकलने वाला है.

पत्रकारों ने अपने ही ब्‍यूरोचीफ को पीटा

: घटना दैनिक भास्‍कर के कोडरमा ब्‍यूरो कार्यालय की : ब्‍यूरोचीफ ने की पुलिस से शिकायत : दैनिक भास्‍कर, कोडरमा के ब्‍यूरोचीफ मनोज कुमार पांडेय को उनके अखबार का ही रिपोर्टर अपने दो अन्‍य साथियों के साथ मिलकर बुरी तरह मारा-पीटा. उनके ऊपर लोहे के राड से हमला किया. उन्‍हें गंभीर चोटें आई हैं. मनोज ने इसकी शिकायत झुमरी तलैया थाने में कर दी है. तीनों आरोपी रिपोर्टर पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.

नागपुर में पाठकों को लुभाने के लिए बांटे जा रहे उपहार

आजकल अपने ‘ब्राण्ड‘ को टिकाए रखने के लिए उद्योगपति या उत्पादक किस तरह की मार्केटिंग का सहारा लेते हैं, इसे टीवी चैनलों, खबरिया चैनलों, रेडियो और समाचार पत्रों में आसानी से देखा-पढा और सुना जा सकता है. मगर प्रचार-प्रसार, विज्ञापनों और मार्केटिग के युग में अब समाचार-पत्र भी पीछे नहीं हैं. उन्हें लगता है कि अगर हम इस स्पर्धा में पिछड़ गए, तो हमारे साथ वर्षों से जुडा पाठक वर्ग कहीं हाथ से निकल न जाए.

तो ये है इनकी तरक्की का राज

भास्‍करइसे कहते हैं अखबार का सही उपयोग, ऐसे ही नहीं इस अखबार ने दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर ली। जी आप बिल्कुल ठीक समझें, यहां बात दैनिक भास्कर की हो रही है। इस अखबार पर हमेशा से ही प्रशासन से साठ-गांठ कर अपना हित साधने के आरोप लगते रहे हैं।

दैनिक जागरण, सिरसा से तीन का इस्‍तीफा

: शशिकांत ने भास्‍कर, ग्‍वालियर से ली विदाई : दैनिक जागरण, सिरसा में अंदरूनी राजनीति से परेशान तीन पत्रकारों ने संस्‍थान को बॉय बोल दिया है. तीनों सिरसा में अखबार की अंदरूनी राजनीति से परेशान बताये जा रहे थे. खबरों पर विज्ञापन के हावी होने से तीनों परेशान चल रहे थे. दबाव के चलते तीनों ने अपना इस्‍तीफा सौंप दिया.

पत्रकार को फुटपाथ पर गुजारनी पड़ी रात

: अमन को चुकानी पड़ी संस्‍थान बदलने की कीमत : मीडिया जगत में ऐसा अक्सर होता रहता है कि एक पत्रकार या डेस्क कर्मी यहां तक कि संपादक तक बढिय़ा मौके व वेतन की तलाश में एक संस्थान से दूसरे संस्थान में चले जाते हैं। लेकिन ऐसा होने के बावजूद भी मीडियाकर्मियों के मन में कोई बदलाव नहीं होता और न ही कोई मनमुटाव। सभी को पता रहता है कि हो सकता है कि आने वाले समय में वह फिर से एक दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हों, लेकिन बठिंडा में जो हुआ, वह पत्रकार जगत में चलती इस भाईचारे वाली परंपरा के उलट हुआ।

भास्कर के दो स्टेट हेड बन गए हैं आरई

डबल रोल के पीछे क्या है? : स्टेट हेड का मतलब पूरे स्टेट के एडिशन्स की जिम्मेदारी। पर दुर्भाग्य या संयोग, जो कह लीजिए, कुछ ऐसा बना है कि भास्कर समूह के दो स्टेट हेड आजकल रेजीडेंट एडिटर की तरह काम कर रहे हैं। भोजपुरी में कहा जाए तो कह सकते हैं कि ‘खट रहे हैं’। दोनों के सिर पर अपने-अपने स्टैट कैपिटल के एडिशन्स की जिम्मेदारी आन पड़ी है।

इन अखबारों पर थूकें ना तो क्या करें!

दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर जैसे मीडिया हाउसों ने इमान-धर्म बेचा : देवत्व छोड़ दैत्याकार बने : पैसे के लिए बिक गए और बेच डाला : पैसे के लिए पत्रकारीय परंपराओं की हत्या कर दी : हरियाणा विधानसभा चुनाव में दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर जैसे देश के सबसे बड़े अखबारों ने फिर अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं। जी हां, बिलकुल नंगे हो गए हैं। पत्रकारिता की आत्मा मरती हो, मरती रहे। खबरें बिकती हों, बिकती रहे। मीडिया की मैया वेश्या बन रही हो, बनती रहे। पर इन दोनों अखबारों के लालाओं उर्फ बनियों उर्फ धंधेबाजों की तिजोरी में भरपूर धन पहुंचना चाहिए। वो पहुंच रहा है। इसलिए जो कुछ हो रहा है, इनकी नजर में सब सही हो रहा है। और इस काम में तन-मन से जुटे हुए हैं पगार के लालच में पत्रकारिता कर रहे ढेर सारे बकचोदी करने वाले पुरोधा, ढेर सारे कलम के ढेर हो चुके सिपाही, संपादकीय विभाग के सैकड़ों कनिष्ठ-वरिष्ठ-गरिष्ठ संपादक।