प्रसार की टीमों ने सर्वे शुरू किया : होली तक अखबार मार्केट में आने के आसार : भास्कर समूह ने देश का नंबर एक हिंदी अखबार बनने के लिए एक बार फिर विस्तार की योजना पर काम शुरू कर दिया है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भास्कर समूह बिहार और झारखंड पर ध्यान केंद्रित कर चुका है। इन दोनों प्रदेशों में होली तक संस्करण निकालने की योजना है। पटना और रांची से भास्कर के प्रकाशन के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। प्रथम चरण के तहत प्रसार की टीमें पटना और रांची में पहुंच चुकी हैं और सर्वे के काम में जुट गई हैं। आठ लोगों की यह टीम पटना और रांची के मार्केट का अध्ययन करने के साथ-साथ स्कीम, एडवांस बुकिंग के तरीके, वर्तमान मार्केट की स्थिति आदि के बारे में जानकारियां इकट्ठी कर रही है। करीब पंद्रह दिनों तक सर्वे व स्टडी करने के बाद टीम अपनी रिपोर्ट शीर्ष प्रबंधन को भेजेगी।
इसके बाद प्रबंधन बिहार-झारखंड के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप प्रदान करेगा। भड़ास4मीडिया को मिली जानकारी के अनुसार भास्कर प्रबंधन बिहार और झारखंड में अखबार जमाने के लिए वहां मीडिया के वरिष्ठों से संपर्क साधने में कामयाबी हासिल की है। इन वरिष्ठों ने अतीत में कई अखबारों को न सिर्फ लांच किया बल्कि उन्हें जबरदस्त प्रसार दिलाकर शीर्ष स्थान पर लाने में सफल हुए। प्रबंधन अगर इन लोगों को तोड़ने में कामयाबी हासिल कर लेता है तो बिहार-झारखंड के मीडिया मार्केट में बहुत बड़े उलटफेर देखने को मिल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक देश के एक बड़े हिंदी अखबार के स्थानीय संपादक से भास्कर प्रबंधन संपर्क में है। इन स्थानीय संपादक के दिन अपने संस्थान में अच्छे नहीं चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि इनकी भास्कर के साथ कई राउंड बातचीत हो चुकी है। ये अगर भास्कर में ज्वाइन करते हैं तो इनके साथ-साथ इनकी टीम के दर्जनों पत्रकारों भी भास्कर चले आएंगे।
भास्कर प्रबंधन ने रांची में जगह भी तलाश ली है। सारा काम गुपचुप तरीके से हो रहा है। कहा जा रहा है कि भास्कर जब प्रकाशन शुरू करेगा तो बिहार-झारखंड के स्थापित अखबारों को कड़ी टक्कर देगा। भास्कर का इतिहास रहा है कि वह जहां भी जाता है, अपने आक्रामक मार्केटिंग अभियान से बहुत जल्द खुद को मार्केट का लीडर बना लेता है। कम कवर प्राइस, आकर्षक स्कीम और बेहतर कंटेंट व लेआउट के आधार पर भास्कर प्रबंधन अखबार को जमाने में कामयाबी हासिल कर ही लेता है। भास्कर के आने की भनक लगने से जमे-जमाए अखबारों का प्रबंधन चिंता में पड़ गया है। सभी अपने घर को दुरुस्त करने में जुट गए हैं। खासकर भावी तोड़फोड़ से निपटने के लिए अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी गई है।