मुझे सबसे पहले अतुल अग्रवाल का लिखा पढ़ने को मिला और पढ़कर लगा कि खुशवंत सिंह ने इस उम्र में क्या लिख दिया कि अतुल इतने नाराज हो गए। मैंने हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित उनका अंग्रेजी का मूल लेख पढ़ा तो मुझे उसमें कुछ खास या नया नहीं लगा क्योंकि इस लेख में उन्होंने जो कुछ कहा है वैसा वे पहले भी कई बार कह चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा था कि ये उनके निजी विचार हैं और इससे कई लोग सहमत नहीं होंगे। मूल लेख को पढ़ने के बाद लगा कि अतुल नाहक उत्तेजित हो गए हैं। अब आपका लेख पढ़कर लगता है कि अतुल अग्रवाल की नाराजगी का कारण वह भी हो सकता है जो आप कह रहे हैं।
हो सकता है, ऐसा उन्होंने जानबूझकर नहीं किया हो और जैसे हम लोग लेख लिखने या प्रतिक्रिया व्यक्त करने का मौका लपक लेते हैं, वैसे ही अतुल ने टीआरपी बटोरने (या लेख लिखने) का यह मौका लपक लिया हो। पर खुशवंत सिंह के लिखे का जवाब तर्क और अनुभव वाला ही कोई दे तो अच्छा लगेगा। हम लोग उनके अनुभव और ज्ञान को चुनौती देने के लिहाज से बहुत छोटे हैं। ऐसे में उनके खिलाफ शब्दों के चयन में भी संयम दिखाने की जरूरत है।
-संजय कुमार सिंह
वरिष्ठ पत्रकार और ब्लागर
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