आज सुबह से अपने देश के ‘जिम्मेदार’ हिंदी न्यूज़ चैनल्स पर दिल्ली में बाढ़ के खतरे की खबर हेडलाइन में है. बाढ़ में दिल्ली डूबेगी या बचेगी, इस बात पर अलग-अलग चैनल के अलग अलग दावे.
एक चैनल का लगातार दावा है कि- दिल्ली डूब जाएगी. वहीं दूसरे चैनल पर दिल्ली में बाढ़ न आने की खबर. साथ ही सलाह भी की- दिल्ली में बाढ़ के दावे करने वालों के बहकावे में न आयें. पता नहीं सच क्या है. और दोनों में से कौन सा चैनेल ‘जिम्मेदार और सच्चा’ है. ज्यादा कुछ नहीं कह सकता. आखिर मैं खुद एक चैनल का स्ट्रिंगर जो हूं. दो न्यूज चैनलों पर चल रही खबरों के स्क्रीनशाट लेकर एक कोलाज बनाकर प्रेषित कर रहा हूं. आप लोग देखिए. फिर खुद तय करिए, कौन चैनल सच्चा, और कौन झूठा? या फिर दोनों हैं भरेपूरे बकवास चैनल?
एक टीवी जर्नलिस्ट
Rakesh
September 10, 2010 at 1:31 pm
दोनो ही बकवास लग रहे है।
DWARKESH BURMAN
September 10, 2010 at 4:05 pm
jiski jitni khabroon par pakad hogi vo utna hi dikha raha hoga ya ye kehna galat nhi hoga ki jitni bhuddimata hai uski utni prabhaavi khabar. sahi galat ka faisla to bhavishya k gharbh main hai just wait and watch
sanjeev kumar singh
September 10, 2010 at 5:34 pm
भैया सब पैसे की माया है / लगता है आजतक पर मुख्यमंत्री जी की कुछ मेहरबानी हो गई है/ इसलिए उनके सुर में सुर अलाप raha है /
Anurag pathak
September 10, 2010 at 6:23 pm
Nam bade or darsan chote hai bhai
neelabh
September 11, 2010 at 4:04 am
we all know its “peepli live” and today indian express has also said the same.
pankaj singh
September 11, 2010 at 4:45 am
in news chanel walon ka to bas….
sandeep pandey
September 11, 2010 at 5:55 am
kharon ko sabse pahle dene ki hod ne ye naubat layi hai
jab pramukh rashtriya channels hi aise kam karenge to baki ka bhagwan hi malik hai
banshilal choudhary
September 11, 2010 at 12:58 pm
banshi choudhary
in chanals ko dekhane se achcha hai ki koi commedi chanal dekho. jisse dimak pr jor to nahi pade. bade chanal hone ka dava karne wale dehli or bambay ki khabre hi kyon dikate hai. kya desh in do sahron me hi simit hai. kya ye jaisalmer. west bengal. jammu & kanyakumari ko desh me nahi dekhate hai. becharon itna bada manage hi nahi kar sakte hai akhir din bhar kya dikhaye iske liye bakwas karna suru kar dete hai. in chanal ko national chanal kahne walon jra socho. inse behtar to distic leval ka chanal hi behtar hota jo jile bhar ki khabron ke sath jan samsyaen uthate hai. inke pas kisi abhineta ke pechab karne nahi karne ki khabre to aa jati hai pr is desh me kitne longon ke pas pechab karne ki khud ki jamin hi nahi unko kabhi dhikhaya hai.
sanjeev
September 11, 2010 at 4:23 pm
असल में आजतक की इस ख़बर में ऐसी-तैसी कराने के पीछे, चैनल के दिल्ली ब्यूरो में काम करने वाले एक जनाब श्री कृष्ण मोहन शर्मा उर्फ के एम साहब का बड़ा योगदान है। आमतौर पर दफ्तर में क्लर्की और बॉसेज़ की चमचागिरी करके ज़िंदा रहने वाले ये जनाब, पहले टोटल टीवी में कार्यरत थे। यहां आने के बाद शैलेष कुमार के चमचे बन कर दुकान सजा ली। बीच बीच में दिल्ली सरकार में अपने संपर्कों की बदौलत दिल्ली आजतक को अपनी दुकानदारी के इस्तेमाल कर लिया करते हैं। लेकिन इस बार इंडिया टीवी को टक्कर देने के चक्कर में, आजतक ने नकी सलाह मान कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। इंडिया टीवी चिल्ला रहा था – दिल्ली डूब रही है। मजबूरी का मारा आजतक, जो हर ख़बर पर इंडिया टीवी के पीछे दौड़ता है, इस दफा भी यही कर रहा था, जब इन जनाब ने अपनी शातिरी का परिचय देते हुए आडिया दे दिया कि बाढ़-वाढ़ आने वाली है नहीं। इस लिए चैनल को दूसरी लाइन लेनी चाहिए, और दूसरों को सनसनी फैलाने वाले चैनल साबित कर के अपनी खोई इज़्ज़त वापस पा लेनी चाहिए। हिम्मत देखिए, फर्ज़ी खबर चला कर, दो ढाई साल बाद एक बार फिर चैनल पर लाइव भी खड़े हो गए (पिछली बार ये जनाब तब खड़े हुए थे, जब इन्होंने आज तक पर फर्ज़ी खबर चलवाई थी कि दिल्ली विधानसभा की कैंटीन चलाने वाला अशोक मलहोत्रा, असल में सरकार का तख्ता पलटने की तैयारी का सूत्रधार था – और उसके घर से मिली गाड़ियां, सरकार के खिलाफ़ वोट डालने वालों को तोहफे में दी जानी थीं – इस ख़बर को चलाने के बाद आज तक ने माफी तक नहीं मांगी)। तो ख़ैर जनाब, रात भर तो आज तक बापू आसाराम के स्टिंग ऑपरेशन की मस्ती में चूर रहा, लेकिन अगली सुबह जब यमुना के पानी को दिल्ली की गलियों में ठाठें मारते देखा तो सबके होश उड़ गए। दोपहर में आज तक ने किसी तरह कुछ तस्वीरें बाढञ की दिखा कर इज़्ज़त बचाई। क्या करते ? एक दिन पहले जिस चीज़ के न आने की गारंटी दे कर खुद को नेता साबित करने में लगे थे – वही चीज़ तबाही की शक्ल में सामने खड़ी थी। अब क्या नक़वी साहब, अपने दलाल रिपोर्टरों से पूछेंगे नहीं कि किस किस के कहने पर वो चैनल पर ख़बरें प्लांट करते हैं ?
Ajoy
September 12, 2010 at 8:33 am
This is just a part of what the news channels are doing to confuse mass…At the time of any such crisis positive and informative news should be encouraged…all the channels should be united to give adequate information and positive news giving solace to the victims.Responsible news should come on the TV screen.
Manjeet
September 13, 2010 at 12:34 am
हे चैनल्स के नत्थों !! आप धन्य़ हो ….. आप के इस निर्लज कार्य के लिए मेरी ओर से आपको शत शत नमन !!! मुझे इस बात कि आशा ही नही वरन पूर्ण विश्वास भी है कि भविष्य में भी जब कभी भी आपको अवसर मिला आप अपनी इस निर्लजता से हमें ओत प्रोत करते रहेंगे !!!!! पुन: एक बार फिर आपके इस पुनीत कार्य के लिए कोटि-कोटि बधाई ,,,,,,,
abhuday
September 13, 2010 at 1:03 am
वैसे आज तक चैनल ख़बरों को लेकर कितना संवेदन शील रहता है ये तो सब जानते ही है ! दरअसल नंबर वन की दौड़ में अंधे इस चैनल से उम्मीद भी क्या कर सकते है ! सम्स ताहिर की फर्जी ख़बरों और दीपक शर्मा के दाऊद के दुबई में फर्जी आँखों देखे हाल से टी आर पी नही आई तो दिल्ली की बाढ़ को ही इस रेस में बहना बना लिया गया !
ज़रुरत है उन लोगों की पहचान की जो ऐसी गलत चीज़ों को बढ़ावा देते है ! नकवी जी टेलीविजन के बहुत पुराने पत्रकार रहे है यदि चाहे तो आसानी से खोज सकते हैं !
वास्तविकता तो ये है की अब यहाँ ना तो अधिकार लेने वाले लोग ही बचे हैं और ना ही अपने कर्तव्य को समझने वाले ! और उसपर भी सर्वश्रेष्ठ का तमगा जो मिला है जो चाहे वो करें !
vinod
September 13, 2010 at 5:09 pm
टीवी के न्यूज़ चैनल, एकाएक ऐसा विषय हो गए हैं कि जिसे देखो मुंह फाड़ कर अपनी विद्वत्ता झाड़ने लगता है. सीधा बोलो तो भी बुरा, उल्टा बोलो तो भी. जिस मुल्क के दर्शकों ने इंडिया टीवी जैसे ग़ैर ज़िम्मेदार चैनल को इतना प्यार दिया कि वो सबसे तेज़ चैनल को पछाड़ कर नंबर वन बन बैठा… उस मुल्क के लोगों के क्या कहने. ये जो तमाम लोगों ने ‘कौन सच्चा, कौन झूठा’ लेख पर अपना मुंह फाड़ा है, क्या वो दूध के धुले हैं. ज़रा अपने गिरेबान में झांक कर देखिए कि क्या अपनी ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभा रहे हैं आप. क्या आप सच्चे भारतीय, सच्चे इंसान हैं. झांकिए, अपने मन के भीतर, अकेले में.
दरअसल, सलाह देना और टिप्पणी करना काफ़ी मज़ेदार फ़ील देता है, ये मानव स्वभाव है. इंटरनेट ने इसे और आसान बना दिया है, जिसे जो मन में आए लिख सकता है. ये अच्छा भी है लेकिन लिखने से पहले एक बार विषय-वस्तु पर विचार तो करना चाहिए. अगर आजतक ने ये दावा किया कि 95 फ़ीसद दिल्ली को बाढ़ से कोई ख़तरा नहीं तो भला क्या बुरा किया.
हां, मैं आजतक का प्रशंसक हूं, तो क्या. अपने दिमाग़ से सोचता हूं. भेड़ों की तरह नहीं कि किसी ने एक बात कही, बस उसी के पीछे-पीछे चल पड़ा. मेरे एक रिश्तेदार ने असम से फोन किया. चिंतित थे, सारे चैनल दिखा रहे थे कि दिल्ली डूब रही है. उनके घर में आजतक नहीं आता. रिश्तेदार के घर में कोहराम मच गया कि जाने दिल्ली में क्या हो रहा है. मैंने उन्हें निश्चिंत किया कि सही खबर देखनी है तो आजतक देखिए, आप के घर नहीं आता तो पड़ोस के घर में, पड़ोस के शहर में जाकर देखिए, सच्चाई का पता लग जाएगा.
सच्चाई यही है, बाज़ार और टीआरपी के दबाव में आजतक ने भले हीरो-हीरोइन, कॉमेडी और सास-बहू के प्रोग्राम दिखाकर भड़ुआगीरी का तमगा हासिल कर लिया हो, लेकिन जहां बात ख़बर की आती है, आजतक सच दिखाता है, सिर्फ़ सच.
आसाराम, सुधांशु महाराज, दाती महाराज जैसे गंदे बाबाओं की असलियत बेनक़ाब हुई तो हिंदुत्व के ठेकेदारों को मिर्ची लग गई. आजतक ने सच्चाई दिखाई, जो उसका काम है. लेकिन जिसने बेवकूफ़ी का चश्मा पहन रखा हो, उसे साफ़-साफ़ कैसे दिखाई देगा भला.