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हलचल

पीसी में 40 की व्यवस्था, आए 93 मीडियाकर्मी

मीडिया के अंदर आज ऐसे लोग आ चुके हैं, जिनको मीडिया की एबीसी तक नहीं मालूम। लेकिन जब भी कहीं कोई प्रेस काफ्रेंस (पीसी) होती हैं, तो वहां कई ऐसे लोग होते हैं जो हाथों में कैमरे लेकर खुद को बड़े बैनर वाले पत्रकारों से बेहतर साबित करने के लिए बिना होमवर्क के बेतुके सवाल पूछने के लिए तत्पर रहते हैं। ताजा मिसाल यह है कि पिछले दिनों अमृतसर में एक बड़ी कंपनी के उदघाटन को लेकर प्रेस काफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें अमृतसर की मीडिया में से 93 संवाददाताओं व कैमरामैनों ने हिस्सा लिया। लेकिन इस प्रेस कांफ्रेंस में एक तिहाई भाग फर्जी मीडिया का था। मजे की बात यह है कि उसी प्रेस कांफ्रेंस में पुराने मीडिया से संबंधित लोग आए थे, जिनके साथ उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। ओर यह भी सत्य है कि इसी प्रेस कांफ्रेंस में शहर के जिम्मेदार मीडिया से संबंधित लोग भी मौजूद थे।

<p align="justify">मीडिया के अंदर आज ऐसे लोग आ चुके हैं, जिनको मीडिया की एबीसी तक नहीं मालूम। लेकिन जब भी कहीं कोई प्रेस काफ्रेंस (पीसी) होती हैं, तो वहां कई ऐसे लोग होते हैं जो हाथों में कैमरे लेकर खुद को बड़े बैनर वाले पत्रकारों से बेहतर साबित करने के लिए बिना होमवर्क के बेतुके सवाल पूछने के लिए तत्पर रहते हैं। ताजा मिसाल यह है कि पिछले दिनों अमृतसर में एक बड़ी कंपनी के उदघाटन को लेकर प्रेस काफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें अमृतसर की मीडिया में से 93 संवाददाताओं व कैमरामैनों ने हिस्सा लिया। लेकिन इस प्रेस कांफ्रेंस में एक तिहाई भाग फर्जी मीडिया का था। मजे की बात यह है कि उसी प्रेस कांफ्रेंस में पुराने मीडिया से संबंधित लोग आए थे, जिनके साथ उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। ओर यह भी सत्य है कि इसी प्रेस कांफ्रेंस में शहर के जिम्मेदार मीडिया से संबंधित लोग भी मौजूद थे। </p>

मीडिया के अंदर आज ऐसे लोग आ चुके हैं, जिनको मीडिया की एबीसी तक नहीं मालूम। लेकिन जब भी कहीं कोई प्रेस काफ्रेंस (पीसी) होती हैं, तो वहां कई ऐसे लोग होते हैं जो हाथों में कैमरे लेकर खुद को बड़े बैनर वाले पत्रकारों से बेहतर साबित करने के लिए बिना होमवर्क के बेतुके सवाल पूछने के लिए तत्पर रहते हैं। ताजा मिसाल यह है कि पिछले दिनों अमृतसर में एक बड़ी कंपनी के उदघाटन को लेकर प्रेस काफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें अमृतसर की मीडिया में से 93 संवाददाताओं व कैमरामैनों ने हिस्सा लिया। लेकिन इस प्रेस कांफ्रेंस में एक तिहाई भाग फर्जी मीडिया का था। मजे की बात यह है कि उसी प्रेस कांफ्रेंस में पुराने मीडिया से संबंधित लोग आए थे, जिनके साथ उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। ओर यह भी सत्य है कि इसी प्रेस कांफ्रेंस में शहर के जिम्मेदार मीडिया से संबंधित लोग भी मौजूद थे।

उस दिन का आलम यह था कि जिस कंपनी की ओर से प्रेस कांफ्रेंस आयोजित थी, उनके लोगों की मीडिया की अधिक संख्या देख हाथ पांव फूलने शुरू हो गए। उन्होंने मात्र 30 से 40 लोगों के ही खाने-पीने का प्रबंध किया था। खैर, जैसे भी उन्होंने समय की नजाकत को समझते हुए तुरंत खाने-पीने का प्रबंध बढ़वा दिया। इससे भी बढक़र शर्मिंदगी का काम तब सामने आया, जब फर्जी मीडिया के लोगों ने कंपनी की ओर से मिलने वाले गिफ्ट को दो बार लेना शुरू किया। कई तो इस योजना में कामयाब भी हो गए। असल में सच्चाई यह है कि कुछ ऐसे मीडिया संस्थान हैं जो लोकल लेवल पर मैग्जीन और न्यूज चैनल तो चलाते हैं लेकिन अपने रिपोर्टर व कैमरामैनों को वेतन नहीं देते। उपर से मालिक लोग ही इन पत्रकारों से काम करने के एवज में पैसे की मांग करते हैं। कुछ लोग उनकी मांग को पूरा भी करते हैं, जिसके एवज में वह मीडिया पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं। मेरी नजर में आज मीडिया का स्तर गिरने का एक कारण यह भी हैं।

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0 Comments

  1. rajesh sidhana

    March 11, 2010 at 10:02 am

    BAAT TO BILKUL SAHI HAI, PER ISKI ZIMMEDAARI KISKI HAI? AUR KOUN ZIMMEWAR HAI? AGAR AAP IS LAIKH KE ZAREAE [u][b]FARZI PRESS REPORTERS[/b][/u] KO BAAN KARNA CHAHTE HAI TO AAP KE PRESS ASSOCIATION KAHA GAI HAI/ KYA STEP/ KADAM UTHAI GI? KAB UTHAI GI? ( ACTION ?????)

  2. sandip thakur

    March 11, 2010 at 9:53 am

    johala chap doctor ke tarah johla chap patrakar bhi hain.pata hai why? because,patrakarita mein aane ke liey aaj bhi na to proper education ki jarurat hai aur na hi age koyi bandish hai.aap two article publish karwa lejeye,aur apne aap ko patrakar kaheye,kaun puchenewala hai.johla chap patrakaro ka number isleye barh raha hai.iske leye PR agency bhi responsible hai.
    metro editor

  3. sandeep saxena

    March 11, 2010 at 6:02 am

    aapne bilkul sahi farmaya hai. aaj bangalore jese city main bhi ese tathakathit patrkaron ki kani nahi hai jo vastav main kisi or business main the or galti se ya yon kahe ki publication ki majbori main patrkar bana diye gaye, ese hi LAPKE bankar PC main mal chat rahe hain etna hi nahi kuch mahila nayi nayi mahila patrkar to SURA PAN ki sokin bhi ho gayi hai to kuch reporter bakayda pine pilane ki demand karte hain ese logo ke sath kya kiya jaye samajh main nahi aata……..

  4. alok varshneya

    March 11, 2010 at 6:22 am

    प्रेस कांफ्रेंस में एक तिहाई भाग फर्जी मीडिया का hota hee hai. delhi mein hone wale press confrence mein dekh lijiye, kam se kam ek chauthai log farzee hote hain. kai baaar to pr firm client kee nazar mein apni reting badhane ke liye farzee patrakaron ko jan boojh kar bulati hai.

  5. devendra jaiswal

    March 11, 2010 at 5:56 am

    bilkul sahi hai

  6. raju

    March 13, 2010 at 9:57 am

    kafi kam paisa may kam karney waley media kermiyo kay baray may is terh likh kar sachai ko samney lana achi bat nahi. yadi 35 ki jagah 100 bhi jaye to kam hai kyuki press confrence may janey say ek wqut bhukeay to nahi sona padega,

  7. paviter

    March 13, 2010 at 10:08 am

    bhai yeh to kooch bhi nahi Jammu mein ek PC mein to 140 pahoonche

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