दैनिक जागरण, आगरा में इस कदर घोर अव्यवस्था? क्या कोई देखने-सुनने वाला नहीं है? चाहे जो छाप दो, किसी का घर-परिवार उजड़े, रोए, दुखी हो तो होता रहे?? लग तो ऐसा ही रहा है. यकीन न हो तो प्रियंका नामक एक महिला का भेजा गया यह पत्र और पत्र में उल्लखित दो खबरें जो जागरण, आगरा में प्रकाशित हुई हैं, पढ़ लीजिए. देश का नंबर एक अखबार कह कर खुद की पीठ थपथपाने वाले जागरण के लोग अगर अपने पास आई किन्हीं सूचनाओं-चर्चाओं को बिना पुष्ट किए प्रकाशित कर देते हैं और उससे कोई परिवार तबाही की तरफ अग्रसर हो जाता है तो भगवान इस अखबार व इसके लोगों को माफ नहीं करेगा. देर-सबेर इन्हें इसका दंड इसी धरती पर मिलेगा.
शर्मनाक है यह सब. सिर्फ इतना कहा जा सकता है- थू है दैनिक जागरण, आगरा पर. चोरी और सीनाजोरी. इतनी हेकड़ी कि पहले किसी का जीवन तबाह कर दो और उसका खंडन सार-संक्षेप में ऐसा छापो कि कोई पढ़ न सके. अगर कोई कंप्लेन करने आपके पास जाए तो आप उसे जलील करो? किधर हैं जागरण के निदेशक संजय गुप्ता, देवेश गुप्ता और तरुण गुप्ता? ये लोग भी करें क्या. नोट गिनने-गिनवाने से फुर्सत मिले तब तो कंटेंट देखें. अगर इनमें थोड़ी भी एडिटोरियल फेयरनेस है तो इन्हें इस पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों को बर्खास्त कर देना चाहिए. ताकि, ये उम्मीद कायम रहे कि अखबार जनहित के लिए है, किसी ईमानदार का घर उजाड़ने के लिए नहीं.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
Blunder in Dainik Jagran Agra
आदरणीय यशवंत जी, दैनिक जागरण, आगरा में प्रकाशित दो खबरें और उन खबरों के लिंक आपको भेज रही हूं। एक में खबर है कि … ”एचआईवी पॉजिटिव निकले रेल अधिकारी” और दूसरा उसका खंडन है …. ”एचआईवी शिक्षा संबंधी चर्चा को आए थे रेल अधिकारी”। दरअसल, पहली खबर कल छपी, जिसके बाद पूरे स्थानीय रेलवे में हड़कंप मच गया। बेहद सज्जन लेकिन मीडिया से दूर रहने वाले खबर में उल्लिखित अधिकारी न घर में हैं और न कार्यालय में। इन अधिकारी को आसानी से इसलिये पहचान लिया गया क्योंकि वही इलाहाबाद से ट्रांसफर होकर आए हैं।
किसी को एड्स होने की यदि झूठी खबर छप जाए तो उसका नतीजा क्या होता है, वह नतीजा ये अधिकारी झेल रहे हैं। सच भी यही है कि यह अधिकारी शिक्षा संबंधी चर्चा के लिए ही आए थे। उन्होंने खबर की तारीख को इस संबंध में खबर में उल्लिखित आगरा के एसएन मेडिकल कालेज में एड्स शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पत्र भी दिया है। रेलवे के दर्जनभर अधिकारी जीवनी मंडी स्थित जागरण कार्यालय गए तो उन्हें सिटी चीफ और संबंधित स्वास्थ्य रिपोर्टर ने जलील किया। आप अपने स्तर से पता कर लें। खबरों को पढ़कर ही पता चल जाएगा कि मैं सच बोल रही हूं। इस खबर से एक अधिकारी और उसकी पत्नी का सामाजिक जीवन खत्म हो गया है।
कृपया उन्हें न्याय दिलाएं और दोषी रिपोर्टर को दंड।
-प्रियंका
ये है मूल खबर…
एचआईवी पॉजिटिव निकले रेल अधिकारी
आगरा, जागरण संवाददाता: शहर में एड्स का हाई प्रोफाइल मामला प्रकाश में आया है। एक रेल अधिकारी के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। एसएन मेडिकल कालेज की माइक्रो बायोलॉजिकल लैब में बुधवार को इनका पुन: परीक्षण किया गया। इसके बाद चिकित्सकों द्वारा रेल अधिकारी की पत्नी सहित काउंसलिंग भी की गई।
रेल अधिकारी को छोटी सी चूक ने उन्हें इस मुकाम पर ला खड़ा किया है। आगरा में रह रहे ये अधिकारी अभी तक यहीं तैनात थे, पिछले दिनों इनका स्थानांतरण इलाहाबाद हुआ है। बताया जाता है कि आगरा में तैनाती के वक्त रेलवे अस्पताल में वह निरीक्षण को गए थे। वहां कुछ इस्तेमाल किए गए संक्रमित इंजेक्शन एक डिब्बे में गलत तरीके से रखे थे। यह देख इन्हें ताव आ गया और उन्होंने स्टाफ को फटकारते हुए डिब्बे को हाथ से बाहर की तरफ धकेल दिया। उस दौरान एक सीरिंज रेल अधिकारी के हाथ में लग गई।
कुछ दिन से कमजोरी रहने पर जब उन्होंने ब्लड टेस्ट कराया तो उनके होश फाख्ता हो गए। पत्नी के साथ बुधवार को वह एसएन के माइक्रो बायोलॉजी विभाग में पहुंचे। डाक्टरों को जानकारी दी, जिस पर सभी चकित रह गए। इसके बाद पुन: सभी जांचें कराई गई, जिसमें पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। कालेज सूत्रों के मुताबिक उनकी पत्नी फिलहाल नेगेटिव हैं। मगर पति में पुष्टि होने के बाद पत्नी पर भी इसका खतरा पैदा हो गया है। कालेज में दंपति की काउंसलिंग की गई और दोनों को सही तरह से एहतियात बरतने के लिए कहा गया है।
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=35&edition=2010-07-29&pageno=3
ये है खंडन….
एचआईवी शिक्षा संबंधी चर्चा को आए थे रेल अधिकारी आगरा : एसएन मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. एके गुप्ता का कहना है कि बुधवार को माइक्रोबायोलॉजी विभाग में रेल अधिकारी पत्नी के साथ एचआईवी के संबंध में शिक्षा संबंधी चर्चा करने आए थे। वह एचआईवी/एड्स पर गोष्ठी का आयोजन करना चाहते थे। इसी के चलते उनमें एचआईवी पाजीटिव होने के भ्रम को लेकर चर्चा बन गई।
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=35&edition=2010-07-30&pageno=7
(यह खंडन अखबार के ‘एक नजर’ कालम में तीसरे नंबर पर लगा है, छोटा सा)
प्रियंका जी,
मुझे पता नहीं आप कौन हैं. लेकिन दोनों खबरें पढ़ने के बाद कोई भी दुखी हो सकता है कि ये अखबारवाले क्या करने लगे हैं. रही बात न्याय दिलाने की तो न्याय तो प्राकृतिक होता है. समय का चक्र है. जो शीर्ष पर है, दर्प में चूर है, वह एक दिन नीचे आता है. वक्त लगता है. महाबलशाली रावण का भी दर्प कायम नहीं रह सका. समय ऐसा है कि जो अन्यायी हैं, न्याय का अधिकार उन्हीं के पास है. हम आप तो सिस्टम के पीड़ित हैं जो आवाज उठा रहे हैं. देखते हैं क्या होता है. मैं अपनी जिम्मेदारी निभा रहा हूं. बाकी तो मेरे हाथ में कुछ नहीं है.
आप इसी तरह गलत चीजों को आगे लाने की पहल करती रहें, ये कामना करता हूं.
यशवंत
dushyant kumar tiwari
July 30, 2010 at 9:59 am
Bhai Yashwant ji ye kuchh aur nahi bas sansanikhez khabar dene ki hod ka natija hai.iske liye reporting se leker editorial team tak sabhi zimmedar hai. bina pushti ke aisi khabar chhapane walo ko barkhast karana hi uchit hoga.
sunil kaushik kanina(Haryana)
July 30, 2010 at 11:03 am
Patrakarita ke mayne kisi kojhothabadnam karna nahi hai.aise
sathi humsub ke liye kalank hain.
yuva gunj
July 30, 2010 at 11:11 am
bhai yashwant ye patrkaro ki sarabkhori or kaam padelikh logo duara reporting jaisa profesion join karne ka natija hai..
jagran jaise akhbar main jaise daam vaisa kaam/ kaam salary per saraby or kem yogey viyaktiyo ki bharti usper bihariwaad kaa daansh is akhbaar ki lutiyaa to samjho dubi hi dubi………..
Imran Zaheer
July 30, 2010 at 12:23 pm
Dushyant ji bilkul sahi kaha hai aapne.
शशिकांत ओझा
July 30, 2010 at 5:04 pm
चलिए छोड़िए, दैनिक जागरण आगरा के हाल के बारे में क्या कहें। पेजीनेटर खबर लिखेगा तो यही सब लिखेगा। राम भरोसे छोड़िए इस अखबार को। टाइटेनिक बन जाएगा जल्द ही यह अखबार।
sunil barua
July 30, 2010 at 6:09 pm
kuchh akhbar aise hain jo adhik salary nahin dete hain. to unhen aise chavvani chhap patrakar hi to milenge. yeh anaripan ka ek udaharan hai.