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शुक्रिया दोस्तों !!

Yashwant Singhथैंक्स दोस्तों! शुक्रिया साथियों!! धन्यवाद आपका!!! भड़ास4मीडिया को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाने के लिए। इस साल 22 जून से शुरू हुए इस पोर्टल की उम्र पांच माह होने में अभी पांच रोज बाकी है लेकिन इसने एक रिकार्ड कायम कर लिया है। यह रिकार्ड है पांच महीनों में 12 लाख पेज हिट्स पाने का। औसत के लिहाज से बात करें तो इस पोर्टल के हिस्से में हर माह लगभग सवा दो लाख पेज हिट्स आते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इतने कम समय में, बिना किसी ब्रांडिंग, मार्केटिंग व अन्य तकनीकी बाजागरी के, इस रिकार्ड को हासिल करने का श्रेय हिंदी पोर्टलों में केवल भड़ास4मीडिया को जाता है।

Yashwant Singh

Yashwant Singhथैंक्स दोस्तों! शुक्रिया साथियों!! धन्यवाद आपका!!! भड़ास4मीडिया को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाने के लिए। इस साल 22 जून से शुरू हुए इस पोर्टल की उम्र पांच माह होने में अभी पांच रोज बाकी है लेकिन इसने एक रिकार्ड कायम कर लिया है। यह रिकार्ड है पांच महीनों में 12 लाख पेज हिट्स पाने का। औसत के लिहाज से बात करें तो इस पोर्टल के हिस्से में हर माह लगभग सवा दो लाख पेज हिट्स आते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इतने कम समय में, बिना किसी ब्रांडिंग, मार्केटिंग व अन्य तकनीकी बाजागरी के, इस रिकार्ड को हासिल करने का श्रेय हिंदी पोर्टलों में केवल भड़ास4मीडिया को जाता है।

यह सच है कि इस पोर्टल के प्रमोशन के लिए कोई अतिरिक्त कवायद नहीं की गई है, सिवाय लगातार उम्दा कंटेंट देते रहने के। न तो इसे सर्च इंजनों के जरिए प्रमोट कराया गया, और न ही किसी अन्य आनलाइन वेब प्रमोशन के हथकंडे का इस्तेमाल किया गया। ये जो हिट्स हैं, वो रीयल हैं, असल हैं, खांटी हैं, ओरीजनल हैं।

तकनीकी से इतर बात करें तो मीडिया की दुनिया में भड़ास4मीडिया एक क्रांति की तरह अवतरित हुआ है। अब जबकि ज्यादातर मीडिया हाउस रीयल जर्नलिज्म से मुंह मोड़कर मीडिया को मुनाफे का धंधा बनाने के लिए हर तरह के करतब दिखाने-सुनाने-पढ़ाने को बेताब हैं और मीडिया में काम करने वाले अधिकतर लोग नौकरी करने की मजबूरी में सब जानने के बावजूद चुप हैं, ऐसे में भड़ास4मीडिया सच्चे पत्रकारों के लिए और चौथे खंभे की खराब होती सेहत से चिंतित प्रबुद्ध जनों के लिए उम्मीद की किरण बनकर रोशन हुआ।

हमने मीडिया के अंदर की बजबजाहट को दुनिया के सामने लाने का दुस्साहस किया। जी,  इसे दुस्साहस ही कहेंगे क्योंकि बाजार के इस दौर में करियर की खातिर अधिकतर लोग कंप्रोमाइज और आंख बंद कर फालो करने को मूल मंत्र बनाए हुए है,  तब हमने बिना नफे-नुकसान की चिंता किए वो कड़वी लेकिन सच्ची खबरें दीं जिससे बाहर तो बाहर, मीडिया के अंदर के ही ढेर सारे लोग अनजान थे। हमने परेशान मीडियाकर्मियों की पीड़ा को समझा। उसे मुखर स्वर दिया। इसके नतीजे भी आए। इसके एक नहीं, दर्जन भर उदाहरण हम दे सकते हैं। एक मीडिया हाउस के कई साथियों को उनके पीएफ का पैसा नहीं दिया जा रहा था।  भड़ास4मीडिया पर खबर आने के कुछ दिनों बाद उन्हें उनके पैसे दे दिए गए। इन साथियों ने भड़ास4मीडिया को दिल से दुआ भेजा, थैंक्स कहा लेकिन हमने खबर छापकर या खबर का असर बताकर श्रेय लेने से परहेज किया। स्ट्रिंगरों के दर्द को बयां किया,  कइयों को उनकी कई महीने की बकाया सेलरी भी दिलवाने में मदद की। हमने मीडियाकर्मियों के निजी सुख-दुख को सबके सामने प्रकट किया और जरूरत पड़ने पर पीड़ित पत्रकार साथियों के साथ हर तरह से खड़े हुए। पत्रकारिता को धंधा बनाने पर आमादा कुछ न्यूज चैनलों की कारस्तानियां का लगातार खुलासा किया। हमने पत्रकारों को नौकरी से इकट्ठे निकाले जाने जैसी भयावह घटनाओं को सामने लाने और ऐसा करने वाले मीडिया हाउसों की आलोचना करन में संकोच नहीं किया।  

हां, हमें धमकियां मिलीं, नाराजगी में कई अनाम लोगों के फोन भी आए। पर हम डरे नहीं, और न ही झुके। जो असली पत्रकार होता है, वो न तो डरता है और न झुकता है। भड़ास4मीडिया टीम में ऐसे ही खांटी व देसी लोग हैं जो चुनौतियां न होने को अपना दुर्भाग्य और मुश्किल आने को तोहफे के रूप में कुबूल करते हैं। हो सकता है कल को हम लोग जेल भिजवा दिए जाएं या झूठे आरोप लगाकर बदनाम किए जाएं लेकिन इन सबसे यह कारवां रुकेगा नहीं, जो निकल पड़ा है झूम के।

यहां मैं साफ कर देना चाहता हूं कि भड़ास4मीडिया विद्रोह का पर्याय नहीं है। यह तख्तापलट या क्रांति का भी मंच नहीं है। यह ट्रेड यूनियन या पत्रकारों का संगठन भी नहीं है। यह विनाश और आतंक का भी हथियार नहीं है। यह मीडिया के खिलाफ नकारात्मक भड़ास भी नहीं है, जैसा कि पोर्टल के नाम को व्याख्यायित किया जाता है। यह कुंठित लोगों का जमावड़ा भी नहीं है, जैसा कि कुछ लोग प्रचारित करते हैं। यह भड़ास है सृजन के लिए। हम निर्माण चाहते हैं और हम निर्माण कर रहे हैं। निर्माण के लिए कई बार कूड़े-कचरे की शिनाख्त करनी पड़ती है और उसे ठिकाने लगाना पड़ता है, तो हम ये भी करते हैं और आगे भी करेंगे। लेकिन अंततः हमारा मकसद सकारात्मक है। निर्माण है। हम मीडिया हाउसों की मजबूती चाहते हैं। हम हिंदी वालों का भला चाहते हैं। हम हिंदी भाषा का उत्थान चाहते हैं। हम हिंदी के लोगों को स्थापित और सम्मानित करना चाहते हैं। हम पत्रकारिता को उसके मूल स्वभाव में वापस लाना चाहते हैं। यह मूल स्वभाव आम जन की संवेदना से एकाकार होना ही है।

हमारा विजन स्पष्ट है। हिंदी भाषा और हिंदी में काम करने वाले व्यक्तियों की इस देश में जिस तरह उपेक्षा की गई है, उन्हें दोयम माना गया, उन्हें मुख्यधारा से अलग रखा गया, उसे हम हर हाल में खत्म होते देखना चाहते हैं। इसके लिए सकारात्मक प्रयास करने होंगे। इसके लिए हिंदी वालों को पूरे सम्मान के साथ दुनिया के सामने लाना होगा। इसी अभियान की एक छोटी कड़ी है भड़ास4मीडिया। हम हिंदी मीडिया के छोटे से छोटे मीडियाकर्मी की सूचना को भी इस पोर्टल पर जगह देते हैं और आगे भी देना चाहेंगे क्योंकि हिंदी मीडिया में सक्रिय हर शख्स को रिकागनाइज किए जाने की जरूरत है। इन्हीं जूनियर लोगों में से कई लोग कल सीनियर कहे जाएंगे। 

भड़ास4मीडिया हिंदी मीडिया की सूचनाओं, गतिविधियों, क्रिया-कलापों का एक ऐसा मंच है जिसका रुख संपूर्णता में सकारात्मक है। हम भड़ास4मीडिया को एक सकारात्मक ब्रांड के रूप में डेवलप करना चाहते हैं,  यह आप लोगों के सहयोग के चलते काफी कुछ हो चुका है। पर अभी बहुत कुछ करना बाकी है। हम अपनी टीम को बड़ी करना चाहते हैं। हम अपना एक आधुनिक और सुसज्जित आफिस बनाना चाहते हैं। इसके लिए हमें पूंजी चाहिए। पैसा चाहिए। इसीलिए हमारी ताजी प्राथमिकता में भड़ास4मीडिया को आर्थिक रूप से संपन्न बनाना है ताकि इन सपनों को पूरा किया जा सके। इस पोर्टल की शुरुआत किसी बड़ी पूंजी से नहीं की गई है। एक आइडिया, कम पूंजी और प्रचुर उत्साह के संगम का मूर्त रूप है भड़ास4मीडिया।

मैं यहां दिल से उन साथियों का धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने भड़ास4मीडिया को अपने इंस्टीट्यूट, कंपनी और हाउस की ब्रांडिंग के लिए माध्यम माना। इससे जुड़ने के लिए सहर्ष तैयार हुए। इन लोगों के प्रयासों के चलते भड़ास4मीडिया को आर्थिक ताकत मिली। कुछ साथियों ने अपने प्रयासों के जरिए सरकारी या गैर-सरकारी विज्ञापन पोर्टल को दिलाए। इन्हें मैं थैंक्स इसलिए बोलना चाहूंगा क्योंकि इन्होंने हम लोगों की जरूरत को न सिर्फ स्वतःस्फूर्त तरीके से समझा बल्कि मदद के लिए खुद सक्रिय भी हुए। कई साथियों ने भरोसा दिया हुआ है कि वे भड़ास4मीडिया को आगे बढ़ाने के लिए इसकी आर्थिक मजबूती के प्रयासों में सहयोगी बनेंगे।  हम इन सभी के दिल से आभारी हैं। 

आप सभी जाने-अनजाने दोस्तों, शुभचिंतकों और पाठकों से आग्रह करता हूं कि अगर वे भड़ास4मीडिया को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए कोई आइडिया रखते हैं तो मुझे जरूर बताएं, फोन करके या मेल करके। मैं हिंदी मीडिया के संपादकों से अपील करता हूं कि वे अपने मीडिया हाउसों को भड़ास4मीडिया से जोड़ने के बारे में सोचें। अपने संपर्कों-संबंधों के जरिए भड़ास4मीडिया को विज्ञापन दिलाने के लिए पहल करें। तभी हम सब मिलकर एक साझी मुहिम पर आगे चल सकेंगे। बड़े उद्देश्य को हासिल कर सकेंगे।

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यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम मदद चाहते हैं लेकिन किसी शर्त पर नहीं। भड़ास4मीडिया विज्ञापन के लिए कभी अपने उद्देश्यों से समझौता नहीं करेगा। हां, हम यह जरूर चाहते हैं कि इस पोर्टल का रुख सकारात्मक रहे क्योंकि हमें पता है कि बाजार के इस दौर में नकारात्मक सोच के साथ कोई चीज लंबे समय तक सरवाइव नहीं कर सकती, स्थाई नहीं बन सकती। इसलिए हम इस पोर्टल को भविष्य में और भी ज्यादा सकारात्मक व सीरियस बनाने के लिए प्रयास करेंगे। अफवाहों और गलत सूचनाओं से बचने की हमारी टीम भरसक कोशिश करती है लेकिन कई बार अनजाने में गलती हो जाती है। इसके लिए हम क्षमा चाहते हैं। 

कुछ संपादकों को लगता है कि भड़ास4मीडिया उनके खिलाफ जान-बूझकर अभियान चलाता है। हम उनसे कहना चाहेंगे कि हमारी मंशा कतई ऐसी नहीं है। हमने सूचनाओं को सामने लाने की कोशिश की है। कई बार अतिरेक और उत्साह में कुछ गलत सूचनाएं आ जाती हैं लेकिन क्रासचेक करने के लिए जब इन संपादकों को फोन किया जाता है तो ये फोन नहीं उठाते। ताली दोनों हाथों से बजती है बॉस, इसलिए चाहूंगा कि प्लीज, फोन उठाया करें। सूचनाओं को सुनकर उसकी सत्यता या असत्यता के बारे में बताया करें। बात और संवाद से बड़ी से बड़ी समस्याएं हल हो जाया करती हैं।

भड़ास4मीडिया की छोटी टीम को बड़ा करने का वक्त आ गया है। मैं मार्केटिंग और कंटेंट से जुड़े ऐसे सिपाही चाहता हूं जो भड़ास4मीडिया में अपना भविष्य तलाशें और इसके सपने के साथ खुद को एकाकार कर नए कीर्तिमान स्थापित करें।

हम लोगों के सामने ढेरों समस्याएं हैं। तकनीकी समस्याएं हैं। टीम छोटी है। पूंजी की कमी है। संसाधनों की कमी है। आधारभूत ढांचे की कमी है। पर एक चीज हमारे पास है- वो है सपने देखते रहने की जिद और सपनों को सच में तब्दील करने की अदम्य लालसा। वरना दिल्ली में डेढ़ साल पहले आया मेरे जैसा देहाती और खांटी हिंदी भाषी व्यक्ति आज दिल्ली समेत पूरे देश की मीडिया के लिए चर्चा का विषय नहीं बन पाता। ये आत्मश्लाघा नहीं है। यह आत्ममुग्धता है जिसे जीना हम हिंदी वालों को कम ही आता है क्योंकि हम खुद को बेचारा मानते रहने के आदी हैं। मैं आप से भी कहना चाहूंगा कि आप खुद को प्यार करो, खुद के काम को सराहो, खुद पर आत्ममुग्ध होओ, जो ठीक लगे वही करो, जो खराब लगे उसे खराब कहो, साहस के साथ आगे बढ़ो। देखना, एक दिन तुम्हारी बुराइयां भी तुम्हारे लिए अच्छाइयां बन जाएंगी। तुम कुछ नया कर सकोगे।  

एक बार फिर आप को थैंक्स, भड़ास4मीडिया को वाकई नंबर वन हिंदी मीडिया न्यूज पोर्टल बनाने के लिए।

एक बार फिर आप से अपील- भड़ास4मीडिया को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए आगे आएं।

एक बार फिर आप से अनुरोध, भड़ास4मीडिया को दुश्मन नहीं, दोस्त मानें।

एक बार फिर सलाह- खुद पर इतराओ, सपने देखते जाओ, मुश्किलों के दौर में खुले दिमाग से रास्ते तलाशना जारी रखो, मंजिल तो मिलेगी ही।   

जाने-अनजाने में हुई गल्तियों के लिए भड़ास4मीडिया टीम की तरफ से मैं खुद को दोषी मानते हुए क्षमा मांगता हूं। यह एक नई शुरुआत है जिसमें छोटी-बड़ी गल्तियों की गुंजाइश बनी रहती है। पता चलते ही हम अपनी गलती सुधारेंगे, ये वादा है। आपके विचारों और सुझावों का इंतजार रहेगा।

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आपका

यशवंत सिंह

एडीटर

भड़ास4मीडिया : नंबर वन हिंदी मीडिया न्यूज पोर्टल

मेलः [email protected]  :  मोबाइलः 09999330099 

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