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टीवी

मुझे मेरे डेस्क इंचार्ज से बचाओ!

: वरना जान दे दूंगा : ईटीवी के पत्रकार की दास्तान : ईटीवी, हैदराबाद में कार्यरत एक कापी राइटर इन दिनों बेहद परेशान है. उसे शिकायत अपने डेस्क इंचार्ज से है. डेस्क इंचार्ज उसे आफिस का काम कम, उनके घर का काम ज्यादा करने के लिए कहते हैं. ऐसा न करने पर प्रमोशन रोकने व नौकरी से हटा देने की धमकी देते हैं. पीड़ित पत्रकार ने इस बात की शिकायत जब मैनेजमेंट से की तो बजाय डेस्क इंचार्ज पर कोई एक्शन लेने के, पीड़ित पत्रकार को ही आफिस न आने के लिए कह दिया गया. अब यह पत्रकार न्याय के लिए विभिन्न संस्थाओं के पास जाकर गुहार लगा रहा है.

<p style="text-align: justify;">: <strong>वरना जान दे दूंगा : ईटीवी के पत्रकार की दास्तान </strong>: ईटीवी, हैदराबाद में कार्यरत एक कापी राइटर इन दिनों बेहद परेशान है. उसे शिकायत अपने डेस्क इंचार्ज से है. डेस्क इंचार्ज उसे आफिस का काम कम, उनके घर का काम ज्यादा करने के लिए कहते हैं. ऐसा न करने पर प्रमोशन रोकने व नौकरी से हटा देने की धमकी देते हैं. पीड़ित पत्रकार ने इस बात की शिकायत जब मैनेजमेंट से की तो बजाय डेस्क इंचार्ज पर कोई एक्शन लेने के, पीड़ित पत्रकार को ही आफिस न आने के लिए कह दिया गया. अब यह पत्रकार न्याय के लिए विभिन्न संस्थाओं के पास जाकर गुहार लगा रहा है.</p>

: वरना जान दे दूंगा : ईटीवी के पत्रकार की दास्तान : ईटीवी, हैदराबाद में कार्यरत एक कापी राइटर इन दिनों बेहद परेशान है. उसे शिकायत अपने डेस्क इंचार्ज से है. डेस्क इंचार्ज उसे आफिस का काम कम, उनके घर का काम ज्यादा करने के लिए कहते हैं. ऐसा न करने पर प्रमोशन रोकने व नौकरी से हटा देने की धमकी देते हैं. पीड़ित पत्रकार ने इस बात की शिकायत जब मैनेजमेंट से की तो बजाय डेस्क इंचार्ज पर कोई एक्शन लेने के, पीड़ित पत्रकार को ही आफिस न आने के लिए कह दिया गया. अब यह पत्रकार न्याय के लिए विभिन्न संस्थाओं के पास जाकर गुहार लगा रहा है.

पीड़ित पत्रकार ने अपने साथ हुई घटना के बारे में भड़ास4मीडिया को लिख भेजा है.  उसके कुछ अंश को यहां प्रकाशित किया जा रहा है. पत्रकार के अनुरोध पर उनके नाम को प्रकाशित नहीं किया जा रहा है. जब पीड़ित पत्रकार महोदय नहीं चाहते कि उनका नाम प्रकाशित किया जाए तो आरोपी डेस्क इंचार्ज का नाम भी प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए, और, यही किया जा रहा है. -एडिटर


SUBJECT- To get justice

Respected Sir/Madam,

This is …… emp. code- ….. copy editor of ETV mp/cg desk (NTPL) at Ramoji film city Hyderabad. Sir, I am writing this letter to you because, I am disturbed by my “Desk In charge”, and now my work and health is being affected badly. Sir, I joined this organization on 2nd of February 2009.

Sir/Madam, I was working with my body and soul for ETV, but my DESK IN CHARGE ‘……..’  harassed me mentally & physically. He offer’s me to do his house hold works. He said, tell all the reports of desk & you’ll be in benefit. I feel very bad after this for media officer’s when he pressurized me for physical harassment & many more. When I refused from all things then he extended my training period even after submitting my medical (due to typhoid I was on 2 months ESI leave).

When I complained this all to higher officers then he offer me to compromise, but I refused, then HR department forced me to resign because I disclosed DI’s cabin truth. When I refuse from resign, they behave very badly to me & said do not show your face in ETV premises next time.

Sir/Madam, he harassed me to much that I feel very depress now & even could not sleep well since many months. After this all, currently my economic condition is very weak. In such condition you are my last hope for justice. I want just it sir, that person who harassed me he ought to get punishment & I want that salary which they did not give to me.

Sir/Madam, In case of dieing my last hope (you), I will have only option to come-it-suicide.

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Thanking you

I am attching aplications, which I have given to etv managment.

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0 Comments

  1. EX ETVIAN.

    July 9, 2010 at 1:52 pm

    ई टीवी की कहानी कोई नई नही हैं,इससे पहले न जाने कितने लोग अपने डेस्क इंचार्ज के पीड़ित रहे हैं,मैं भी उनमें से एक हूं,हालांकि मैं यहां बताना चाहता हूं कि मैंने अपने डेस्क इंचार्ज को भी कम परेशान नहीं किया था,वो कहने लगे थे कि तुम्हारी वजह से मेरा ई टीवी में बहुत नुकसान हो गया,हालांकि ये अलग बात है कि वो आदमी आज चमचागिरी कर-कर करके आज ही काफी उपर पहुंच गया है,लेकिन उनकी और मेरी कहानी अभी खत्म नही हुई है,साले एचआर वाले भी डेस्क इंचार्ज की ही सुनते हैं,कहने को तो कहते हैं आप सभी मेरे कर्मचारी हैं,आपका ख्याल रखना मेरा परम कर्तव्य है,लेकिन कर कुछ नहीं पाते हैं,मैनें न जाने कितने बार (सैंकड़ों)शिकायत की थी,कि मेरा साथ अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा है,हांलाकि मै ये भी बता दूं कि मेरे साथ वो कथित डेस्क इंचार्ज मुझे कम जिम्मेदारी देकर मुझे तंग करता था,क्योंकि मुझे काम की तलाश रहती थी ,जो मुझे करने को नहीं मिलता था,मेरे दोस्त संकट की इस धड़ी में मैं तुम्हारे साथ हूं.और साथ ही ये कहना चाहूंगा कि डरो मत वो तुम्हारा कुछ नहीं कर पाएगा ,उसके जुर्मों के खिलाफ लड़ाई लड़ो और उसे भी बताओ कि सही हमेशा ही सही होता है,तुम्हे जो पीड़ित कर रहा है उसे मैं जानता हूं कि वो बहुत ही साला कमजोर है,बस तुम सीधे खड़े रहो और मरने की बात को तो दिल से निकाल ही दो और लड़ाई फिर से शुरू करो,लेकिन काम के मामले में कभी कमजोर मत पड़ना नहीं वो डीआई वहीं पर मैनेजमेंट के सामने दिखा देगा कि इसने बहुत बड़ी गलती है,क्यों न इसे निकाल दिया जाए।

  2. kumar parichhit

    July 9, 2010 at 2:29 pm

    RAMOJI I KI JAI HO

    jab se etv ko qatil ke hath men girwi rakh diya gaya hai, etv ki naitika bech di gayi hai,wariya adhikari sharm karne ke bajay maze le rahen hain,copy editor saheb chhuti ke baad ghar se kuchh lakar DI mahoday ko nahin diye honge,manegment ghush khakar chhutiyan sanction kar raha hai kisi ko 5 din ,kisi ko 15,kisi ko25,kisi ko 35 aur kisi ko 45 din ka,akhir etna antar kyun,,,bhai sab paisa ka khel hai,wo jabana gaya jab es sansthan men sab ko barabar adhikar tha,nodal incharge se panga karte ho to bhogna hi parega,,,
    yanha 3 mahina me chairman ko report likhna hota hai , lekin kuchh shikayat nahin karne ki hidayat hoti hai, bhala ho B4M ka , ki ce mahoday ki pida jagjahir ho gayi hai,har desk per aisi hi sthti hai,mp charam hai, sab jagah chapluson ka bolbala hai,kam karne wale ko pratarit kiya jata hai,,,lekin physicaly shoshan to bahut buri baat hai,,,case kar do,kewal chhapne se enaki nakab nahin utregi,
    bhai DI ko salary badhane ka power to raha nahin,ghar agar kewal kuchh kam karwata hai to aadat bhi to aap hi lagaye na,aub bhugatana to parega,
    log pratarit kar kar ke bhagaye ja rahe hain,,,

    UP se Amit virat,Somesh,Pandey national se Saurabh ,Rajsthan se Ranjit,Aabdul
    kalam,,, kyun naukari chhor kar gaye, kanha gaye, chupchap,sabka jabab aaj aapke dwara chhape gaya patra ne de diya hai,bhai ce ko bachana, aub to uska aur buda gat nodal karega,,,

    hai

  3. EX ETVIAN.

    July 9, 2010 at 3:00 pm

    ई टीवी में ये कोई नहीं कहानी नहीं है,मैं भी एक पीड़ित हूं,जो पहले ई टीवी में काम किया करता था,डेस्क इंचार्ज ने मुझे काफी कष्ट दिया,यहां मैं ये बता देना चाहता हूं कि मैंने उस साले डेस्क इंचार्ज को भी कम परेशान नहीं किया था,मैंने अपने हक की लड़ाई के लिए खुब लड़ाई लड़ी,लेकिन मेरे इस मुहिम मैं अकेला था वो स्साला डेस्क इंचार्ज चमचागिरी करके ई टीवी मे काफी आगे चला गया.आपने लिखा है कि मुझे परेशान किया जाता है,तो मैं आपको बता दूं कि कोई आपको परेशान तो कर सकता है लेकिन आप चाहें तो उससे निबटने में कामयाब हो सकते हैं,और जो डेस्क इंचार्ज आपको परेशान कर रहा है उसे भी मैं जान रहा हूं आप एक बार सीधे खड़े हो जाएं तो उसकी हालत खराब हो जाएगी,वो बहुत कमजोर है,लेकिन धूर्त है इसका हमेशा ख्याल रखना कि कहीं वो आपकी एक गलती को मैनेजमेंट के सामने बड़ी गलती दिखाकर आपको नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर न दे,और स्साले एचआर वाले कहते हैं मैं हमेशा अपने कर्मचारियों की बात करता हूं,लेकिन जैसे ही कोई डेस्क इंचार्ज किसी को सताने लगता है तो एचआर बहरे हो जाते हैं,लेकिन मित्र एकबार लड़कर तो देखो आपकी समस्याएं धीरे-धीरे कम हो जाएगी.आप सुसाइड की बात कर रहे हैं तो मैं कहता हूं कि आप अपने जेहन मे ऐसी बात भी मत लाओ ,और आप कुछ ऐसा करो कि वो स्साला डेस्क इंचार्ज सुसाइड करने की सोचने लग जाए,संकट की इस धड़ी में मैं तुम्हारे साथ हूं। तुम्हारा मित्र

  4. shubhchintak

    July 9, 2010 at 5:51 pm

    भाई एमपी डेस्क के आप भी जो सज्जन हो आप को ये तो पता ही होगा कि आपके डीआई महोदय इंचार्ज कम मुम्बई के भाई ज्यादा लगते है, उनके हाव भाव ये बताने के लिए ये काफी हैं कि वो अपनी बात मनवाने के लिए कुछ भी कर गुज़र सकते हैं….वरना कॉपी एडिटर का डीआई बन जाना अपने आप में कितना कठिन है ये बताने की ज़रूरत नहीं है। आठ साल के पुराने लोग आपकी डेस्क पर ही नाइट शिफ्ट कर रहे हैं। तो आप सब्जी ला रहे है तो कौन सी बड़ी बात है। जिस संस्थान में प्रोबेशन और कन्फर्मेशन के तक के लिए रोया जाता हो वहां न्याय की बात करना बेइमानी है। अफसोस ये आपका शायद पहला अनुभव हो इसलिए धैर्य जवाब दे रहा है। वरना मीडिया ऐसे लम्पटो की फौज खड़ी है….हंसी तो आती है कि ईटीवी में ये सब चूतियापा होता है। जो जानते है कि साले किसी लायक नहीं है। रही बात कप्टीशन की तो टेक्नॉलॉजी के युग में अभी उस लायक बन ही नहीं पाए है। मेरे भाई कहावत है कि मूर्खों की सरदारी से अच्छा है कि विद्वान के शिष्य बनना…और सबसे बड़ी बात कि मूर्खों का मूर्ख इस समय चैनल हेड बना हुआ है….कहने का मतलब नौ सौ चूहे खाने वाली बिल्ली के हाथ में सत्ता सौंपी गई है। जिसकी दलाली का इतिहास राजस्थान में दर्ज है वो बाकी जगह हुकूमत करने की कोशिश में जुटा हुआ है। अगर हाथ में कुछ हो तो दूसरा रास्ता देखो वरना फर्जी रोना मत रोओ समझे लड़ाई लम्बी है। हार अभी से मत मानो समझे

  5. such ki hogi jeet

    July 10, 2010 at 1:58 pm

    m.p.desk ka mahool bahut kharab ho chuka hai.yahan mehnat kerne wale ko saza aur daaru pilaane waloo ko bulletine producer banaya jata hai. Daru D.I pita hai hai,lekin nasha management ko hai.desk per log dehsat me jee rahe hai wahan meeting me dhamki dee ja rahi hai mera kaha karo nahi to tumahara bhi haaal wahi hoga.ab yahan logon me kewal ek sawal hai.. AGLA KAUN?

  6. ravishankar vedoriya

    July 11, 2010 at 1:13 pm

    etv mai nai baat nahi hai lekin is prakar se ghar per kaam karwana khana ka nyay hai is per to etv ke bade logo ko is per karyawahi karni hogi nahi to etv eetv nahi rahegi managment ko in sabhi baato ko vichar karna hoga

  7. such ki hogi jeet

    July 11, 2010 at 2:12 pm

    हम सभी चाहते हैं कि हमारी समस्याएं कोई आकर हल कर दे और हम खुशहाल हो जाएं. हम सभी चाहते हैं कि पड़ोसी के घर में भगत सिंह पैदा हो जाएं और समाज, देश व मोहल्ले के हित के लिए फांसी पर लटक कर शहीद का दर्जा पा जाएं पर अपने घर के किसी आदमी पर कोई आंच न आए, अपने घर का कोई बंदा क्रांतिकारी बनकर दुख न उठाए. मीडिया में भी यही हाल है. हजारों लोग परेशान हैं. उत्पीड़न झेल रहे हैं. मानसिक यंत्रणा उठा रहे हैं. कोई बास से परेशान है. कोई माहौल से नाखुश है. कोई सेलरी कम होने से दुखी है. कोई सहकर्मियों के उत्पीड़न से त्रस्त है. कोई काम न मिलने का रोना रो रहा है. कोई काम कर-कर के मरा जा रहा है. वे अपनी समस्याओं का हल चाहते हैं. वे जिनसे परेशान हैं, उनकी करतूत का पर्दाफाश करना चाहते हैं. पर वे नहीं चाहते कि उनका नाम व पहचान उजागर हो.

  8. s.kumar

    July 12, 2010 at 3:20 pm

    ramo ji andhe mat bano
    etvian ki ye kahani sun kar pak chuka hu .ye koi nai baat nahin hain.lekin mujhe hasi ramoji par aati hain.joye sab kuch jaan kar bhi chup hain. kahain to regional media mughal banana chahate the aur fresher ko mauka dekar vah vahi lootate the,ab kya ho gaya hai ramoji ko .ramo ji ye ek copy editor ya ek desk incharge ki kartutat nahin hain.ssare di aise hi hain,bas tarika alag alag hain,

  9. shubhchintak

    July 12, 2010 at 4:42 pm

    dost.. pareshan mat ho.. aap ka kaam waakai kaabiletaarif tha.. manzil abhi aagey h.. aese chote aur chaploos logo ki wajah se haar mat manana aur kuch karna hi hai to ant tak lado aur apne aapko,, apne kaam ko saabit kar k isse dikha do. all the best..

  10. markanday mani gkp

    July 18, 2010 at 6:16 am

    dar ke aage jeet hai.
    markanday mani(gkp)

  11. janu

    August 2, 2010 at 7:51 am

    Daer dont get tension….
    mai abhi tumse contact nahi kar pa raha hoo. kyoki mai bhi RFC se kafi door hoo. inki maa ki sale pata nahi apne aapko kya samajhte hai. bahut jaldi inki bhi …… band bajne wali hai. mai tumse jaldi contact karunga. mujhe jan hi gaye hoge.. mere pas bhi hr se 2-3 mail aa chuke hai… salo ne mujhe bahut pareshan kiya … ab meri bari hai…

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