मीडिया को लुभा कर ‘रण’ जीतने में जुटे : शाहरुख, आमिर और सलमान जैसे अपने से आधी उम्र के सितारों के मुकाबले प्रचार की रणभूमि में डट गए हैं महानायक अमिताभ बच्चन। अपनी नई फिल्म ‘रण’ को हिट बनाने के लिए उन्होंने प्रचार युद्ध छेड़ दिया है। टीवी चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं के संपादकों से लेकर संवाददाताओं तक अमिताभ जिस सहजता से उपलब्ध होकर फिल्म के बारे में बता रहे हैं, वह उनकी प्रचार अभियान की कामयाब रणनीति साबित हो रही है।
मीडिया के साथ धूप-छांव वाले रिश्तों के लिए मशहूर अमिताभ को मीडिया की ताकत का अंदाज राजनीति में आने के बाद हुआ। उन्होंने प्रचार अभियान के लिए मीडिया का इस्तेमाल करना बखूबी सीख लिया है। वह पहले ‘पा’ फिल्म के लिए नगर-नगर घूमे और अब स्टार, एनडीटीवी, जूम, टाइम्स नाउ, जी न्यूज, इंटिया टीवी, सहारा टीवी, आईबीएन-7, न्यूज-24 समेत शायद ही कोई चैनल बचा हो जिस पर अमिताभ ‘रण’ जीतने के लिए न आए हों। हर अखबार-पत्रिका में भी उनकी रणभेरी बज रही है। ‘पा’ रिलीज होने से पहले अमिताभ ने हर चैनल को इंटरव्यू दिया। ‘पा’ के अपने चरित्र की आवाज में अमिताभ टीवी दर्शकों से मुखातिब भी हुए।
यह वही अमिताभ हैं जिन्होंने ‘जंजीर’ की सफलता से सुपर स्टार की मंजिल पाने के बाद आपातकाल के दौर में अपने दरवाजे प्रेस के लिए बंद कर दिए थे। वजह सिर्फ इतनी थी कि एक अखबार ने यह खबर छापी थी कि अमिताभ की सलाह पर केंद्र सरकार ने सेंसरशिप लागू की है। उस जमाने के फिल्म पत्रकारों से पूछिए तो वे बताएंगे कि अमिताभ की फिल्मों की शूटिंग के दौरान स्टूडियो के बाहर ‘प्रेस के प्रवेश पर पाबंदी’ का बोर्ड लगा रहता था।
प्रेस और अमिताभ की यह दूरी 1989 में तब खत्म हुई जब दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार में बच्चन बंधुओं को बोफोर्स विवाद मे लपेटने वाली खबर छपी। तब अमिताभ ने यह कहते हुए कि अब अगर मैं डुगडुगी पीटते हुए पूरे देश में भी घूमूं तो कोई भरोसा नहीं करेगा, प्रेस को इंटरव्यू देने शुरू कर दिए। अब जब ‘रण’ को लेकर विवाद उठा कि यह फिल्म मीडिया को कठघरे में खड़ा करने के लिए है तो अमिताभ हर इंटरव्यू में सफाई दे रहे हैं। (नई दुनिया में विनोद अग्निहोत्री की रिपोर्ट)