: इसे पढ़ने के बाद रियल्टी शोज में एसएमएस या फोन करने से पहले चार बार सोचेंगे : नए जमाने के धनी और शहरी मदारियों से सावधान रहने की जरूरत : केबीसी से कौन बन रहा है करोड़पति? जवाब के लिए चार आप्शन हैं- A) सोनी टीवी. B) मोबाइल कम्पनियां. C) बिग बी. D) सिद्धार्थ बसु. कनफ्यूज हैं आप? हम बताते हैं. ये चारों ही विकल्प सही हैं.
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‘मुंबई मिरर’ को माफी नहीं, अगले जन्म पत्रकार बनूंगा : अमिताभ
सिटिजन जर्नलिस्ट पुरस्कार से नवाजे गए संजीव शर्मा की हथेली पर अभिताभ ने ऑटोग्राफ दिया : अमिताभ बच्चन आजकल पत्रकारिता और पत्रकारों की वजह से चर्चा में हैं. ‘मुंबई मिरर’ अखबार ने ऐश्वर्य राय के पेट में टीबी होने की वजह से उनके गर्भवती न हो पाने की एक खबर पिछले दिनों प्रकाशित की, उसी के बाद अमिताभ बच्चन भड़के हुए हैं. वे ‘मुंबई मिरर’ की खुद से संबंधित खबरों पर पहले भी नाराजगी जता चुके हैं. इस बार बहू ऐश्वर्य के बारे में टिप्पणी कर दिए जाने से वे बेहद गुस्से में हैं. अमिताभ का साफ कहना है कि- ‘मुंबई मिरर’ इस लेख के लिए माफी मांगे. अमिताभ ने अपने ब्लॉग ‘बिगबी डॉट बिगअड्डा डॉट कॉम’ पर लिखा है कि, “मुंबई मिरर जैसे प्रतिष्ठित और सम्मानित समाचारपत्र में इस तरह का गैर-पेशेवर और झूठा लेख प्रकाशित होना परेशानी की बात है. इससे इस लेख को लिखनेवाले पत्रकार, प्रकाशित करनेवाले संपादक और समाचारपत्र का अपमान हुआ है. इस लेख में भारतीय प्रेस परिषद द्वारा निर्धारित पत्रकारिता के मानदंडों का उल्लंघन हुआ है. इसने खुद के अपमान के अलावा बच्चन परिवार को भी नुकसान पहुंचाया है.”
राजेंद्र यादव की नजर में अमिताभ फासिस्ट!
[caption id="attachment_16917" align="alignleft"]राजेंद्र यादव[/caption]राजेंद्र यादव ने अमिताभ बच्चन के लिए ‘फासिस्ट’ शब्द का इस्तेमाल तो नहीं किया है लेकिन उन्होंने जो कुछ कहा है, उसका लब्बोलुवाब किसी एक शब्द में फिट बैठता है तो वह यही शब्द है. राजेंद्र यादव नाराज हैं अमिताभ बच्चन और नरेंद्र मोदी की नजदीकी से. राजेंद्र यादव का साफ कहना है कि नरेंद्र मोदी के साथ खड़े होने का मतलब है उनके विचारों के साथ होना. दुनिया को पता है कि नरेंद्र मोदी की विचारधारा क्या है. पैसे के चक्कर में अमिताभ बच्चन ने बे-पेंदी के लोटे की तरह नेता और पार्टी बदलने का जो सिलसिला शुरू किया है, वह अब खतरनाक चरण में पहुंच चुका है. वे नरेंद्र मोदी के समर्थन में खड़े हो गए हैं. उस नरेंद्र मोदी के समर्थन में जिसका वश चले तो धर्म के नाम पर लाखों-करोड़ों लोगों का कत्ल करा डाले. खफा राजेंद्र यादव 15 फरवरी को दिल्ली में एक न्यूज चैनल के पुरस्कार वितरण समारोह में इसलिए नहीं शामिल हो रहे हैं क्योंकि उस समारोह में पुरस्कार उसी अमिताभ के हाथों दिया जाने वाला है, जो नरेंद्र मोदी से मिल चुका है. राजेंद्र यादव की नाराजगी से संबंधित एक खबर आज जनसत्ता में प्रकाशित हुई है. राकेश तिवारी की इस खबर को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं ताकि पूरे विवाद को समझा जा सके. -यशवंत
कोई भी कर ले रहा है अमिताभ का इंटरव्यू
मीडिया को लुभा कर ‘रण’ जीतने में जुटे : शाहरुख, आमिर और सलमान जैसे अपने से आधी उम्र के सितारों के मुकाबले प्रचार की रणभूमि में डट गए हैं महानायक अमिताभ बच्चन। अपनी नई फिल्म ‘रण’ को हिट बनाने के लिए उन्होंने प्रचार युद्ध छेड़ दिया है। टीवी चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं के संपादकों से लेकर संवाददाताओं तक अमिताभ जिस सहजता से उपलब्ध होकर फिल्म के बारे में बता रहे हैं, वह उनकी प्रचार अभियान की कामयाब रणनीति साबित हो रही है।
खबरों के धंधे को रोको : अमिताभ बच्चन
अभिनेता अमिताभ बच्चन को भी खबरों का धंधा पसंद नहीं है. उनका कहना है कि पैसे लेकर खबर छापने से आम जनता का विश्वास मीडिया से घटेगा. खबरों की धंधेबाजी के चलन को बंद करना चाहिए. अमिताभ ने ये बातें अपनी नई फिल्म ‘रण’ के बहाने आयोजित प्रेस कांफेंस में कहीं. एक संवाददाता ने जब उनसे मीडिया के व्यवहार और रवैए के बारे में उनके निजी नजरिए को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मीडिया को आम आदमी के प्रति धारणा और नजरिए को बदलना चाहिए. साथ ही, मीडिया को सकारात्मक खबरों के बारे में भी देखना चाहिए जो आसपास घटित हो रही हैं.
बच्चन को चिकोटी मत काटिए!
‘मिड-डे’, मुंबई के तुषार जोशी की रपट ‘सिर्फ बोल बचन’ अमेरिका की उस चर्चा पर आधारित है, जिसके मूर्त रूप लेने में संशय है। अमेरिका में स्पोर्ट्स यूटीलिटी व्हीकिल (एसयूवी) प्रतिबंधित किये जाने की संभावना अभी व्यक्त की जा रही है। इसलिए क्योंकि इन वाहनों से कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। अमेरिका की संसद में कब बिल आयेगा और कब पास होगा, इसका कोई अता-पता नहीं है। फिर भी पर्यावरणवादी पत्रकार तुषार जोशी को मुम्बई के पर्यावरण की चिंता होने लगी और उन्होंने आव देखा न ताव, अमिताभ बच्चन को प्रदूषण फैलाने का दोषी करार देते हुए रपट दे मारी। क्या ‘मिड-डे मेट’ शीर्षक तले इस अखबार में छापी जा रही स्त्रियों की तस्वीरें संस्कृति प्रदूषण नहीं फैला रही हैं? इनका प्रकाशित किया जाना क्या अपरिहार्य है? बेसिर-पैर की हवा में उड़ रही चिंगारी को अमिताभ बच्चन के बदन पर फेंकने की असफल कोशिश कर रहे हैं तुषार जोशी! शायद अपनी कपोल-कल्पित खबर के लिए उन्हें अमिताभ बच्चन ही सॉफ्ट टारगेट दिखाई दिये।
एहसान फरामोश और कमजोर अमिताभ
मुंबई के अंग्रेजी टैबलायड अखबार मिड-डे में अमिताभ बच्चन व उनके परिजनों द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने संबंधी जो खबर प्रकाशित हुई, उसके जवाब में अमिताभ ने अपने ब्लाग पर मिड-डे संवाददाता तुषार जोशी के बारे में जो कुछ लिखा है, जो सलाह दी है, वो बेहद बचकाना ही नहीं, बल्कि बेमतलब भी है। मसलन उनका यह कहना कि ‘अखबारी कागज पेड़ों की छाल से तैयार किया जाता है, अखबार पब्लिश करने के लिए हरे पेड़ों को काटकर पर्यावरण को बिगाड़ा जा रहा है, इसलिए अखबार छपने बन्द होने चाहिए।’ उन्होंने तुषार जोशी को मोबाइल इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है, क्योंकि मोबाइल के इस्तेमाल से सेहत पर गलत असर पड़ता है। अमिताभ बच्चन को क्या यह नहीं पता कि कागज पर सिर्फ अखबार ही नहीं छपता, किताबें और कापियां भी छपती हैं। क्या पढ़ना-लिखना बन्द कर देना चाहिए?
अमिताभ बाबू, तनि इहरी लखा!!!
तकलीफ हुई मिड डे की खबर पर आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर। ऐसा लगा कि प्रतिक्रिया नहीं, तिलमिला कर कोई असंवेदनशील व्यक्ति निरर्थक बहस पर उतारू हो। मैं खुद भी उस शहर का हूं जहां से आप निकले। इलाहाबाद का। पर मेरे जेहन में आपका चस्पा सन 1981 तक खत्म हो चुका था और विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद हरिवंशजी कहीं ज्यादा श्रद्य़ेय हो गए। इलाहाबाद से जब आप चुनाव लड़ रहे थे और मेडिकल कॉलेज के पीछे राजन साहब (शायद आपके मामाजी) की कोठी में आप ठहरे हुए थे और वहीं से चुनाव अभियान चला थे। उस दौर में विश्विवद्यालय के कुछ छात्रों का जत्था कोठी से आपकी चौकड़ी के निकलने का बेसब्री से इंतजार करता ताकि हरिवंश जी तक पहुंच सके। मैं उन खुशनसीबों में हूं, जिन्होंने फिराक साहब और हरिवंश जी को देखा और सुना भी।
अमिताभ ने मिड-डे की बजा दी बैंड
अंग्रेजी टैबलायड मिड-डे, मुंबई में आठ जुलाई को एक रिपोर्ट ‘सिर्फ बोल बचन’ शीर्षक से प्रकाशित हुई। पत्रकार तुषार जोशी की यह बाइलाइन खबर बताती है कि अमेरिका में जहां स्पोर्ट्स यूटिलिटि वैन (एसयूवी) के संचालन को प्रतिबंधित करने के बारे में सोचा जा रहा है और इसके लिए बिल लाए जाने की तैयारी की जा रही है, वहीं भारत में अमिताभ बच्चन और उनके परिवार के लोग धड़ल्ले से एसयूवी गाड़ियों का इस्तेमाल कर पर्यावरण के खिलाफ काम रहे हैं।