गोविंद चौहान बरी हुए : जम्मू से चंडीगढ़ भेजे गए : किसी पत्रकार की धारधार रिपोर्टिंग से परेशान होकर कोई ठेकेदार उस पर आरोप लगा दे कि पत्रकार विरोध में खबर न छापने के लिए उससे लाखों रुपये रिश्वत मांग रहा था तो प्रबंधन इस आरोप पर प्रथम दृष्टया यकीन कर लेगा. प्रबंधन अगर ईमानदार हुआ तो वह तुरंत आरोपों की जांच कराने में जुट जाएगा.
जाहिर है, जांच के दौरान रिपोर्टर को फोर्स लीव पर घर बिठा दिया जाएगा. उससे कहा जाएगा कि जब तक जांच पूरी न हो जाए, आप आफिस न आएं. लेकिन जब जांच में पता चलता है कि सारे आरोप बेबुनियाद थे और रिपोर्टर को फंसाने के मकसद से ठेकेदार ने आरोप लगाए थे तो शक के दायरे में आए रिपोर्टर की जान में जान आती है. पर वह कई महीने मानसिक यंत्रणा में गुजार चुका होता है. कुछ ऐसा ही मामला हुआ है गोविंद चौहान के साथ. वे अमर उजाला, जम्मू में कार्यरत थे. फिलहाल उनका तबादला अमर उजाला, चंडीगढ़ के लिए कर दिया गया है.
क्राइम बीट देखने वाले गोविंद चौहान पर एक ठेकेदार ने रिश्वत मांगने का आरोप लगा दिया था. करीब चार महीने तक घर बैठे रहे गोविंद को बाद में प्रबंधन ने क्लीन चिट दे दी. इससे पहले इन चार महीनों में कोर्ट में मुकदमा चला. पुलिस ने जांच रिपोर्ट पेश की. हर जांच में ठेकेदार रिश्वत मांगने के कोई प्रमाण नहीं दे सका. अदालत में भी ठेकेदार यह साबित नहीं कर पाया कि गोविंद ने कब उन्हें फोन कर रिश्वत की मांग की थी.
सीनियर सब एडिटर गोविंद चौहान की अंततः जीत हुई. पिछले दिनों उन्हें अमर उजाला, नोएडा बुलाया गया और चंडीगढ़ जाकर काम शुरू करने को कहा गया. सूत्रों का कहना है कि गोविंद चौहान को अमर उजाला प्रबंधन ने पिछले चार महीनों का वेतन भी दिया है. बताया जा रहा है कि गोविंद तीन-चार महीने तक चंडीगढ़ में रहेंगे और उसके बाद उन्हें फिर वापस जम्मू भेज दिया जाएगा. उल्लेखनीय है कि गोविंद चौहान पर जम्मू में दो बार हमले हो चुके हैं. ऐसा उनकी रिपोर्टिंग के कारण हुआ. पुलिस का भी कहना है कि गोविंद चौहान पर फर्जी आरोप लगाए गए हैं.
R.K.Singh
June 7, 2010 at 11:34 am
emandaro ko etani saja kam hi ……mari be kuch ashi he kahani hai…..R.K.Singh TV reporter….:'(
Haresh Kumar
June 7, 2010 at 1:51 pm
इस देश में कदम कदम पर धोखेबाज और मतलब परस्त लोग रहते हैं। अगर आपने उनके गलत कार्यों को उजागर किया तो वे आपकी रातों की चैन और दिन का नींद हराम कर देंगे। उनके लिए झूठे मुकदमा करना आम बात है। ईमानदार आदमी बच निकलता है, लेकिन कई बार वह टूट भी जाता है।
daulat
June 7, 2010 at 5:15 pm
दरअसल मीडिया में बाजारवाद की घुसपैठ के बाद से पत्रकारिता में ईमानदारी से काम करना मुश्किल होता जा रहा है। गोविंद सऱीखे लोग आरोप लगाने वालों के ईजी टारगेट हैं। आरोप लगाने वाले की तो कोई इज्जत है नहीं, एक अच्छे भले ईमानदार पत्रकार को मानिसक यंत्रणा की सजा जरूर मिल गई। अखबार प्रबंधन को सिर्फ गोविंद को क्लीन चिट देकर ही मामले को नहीं छोड़ देना चाहिए, झूठा आरोप लगाने वाले ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई कर ऐसा सबक सिखाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई किसी ईमानदार पत्रकार पर झूठा आरोप लगाने का दुस्साहस न कर सके।
firoz khan baagi
June 11, 2010 at 8:02 am
satya pareshan ho sakta hai parajit nahi .
santosh gupta
June 11, 2010 at 11:22 am
aise me imandari ka matlab kya.