पद्म पुरस्कार विवाद पर बोले बिहारी बाबू : पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि बाला साहब ठाकरे, राज ठाकरे या उद्धव ठाकरे कुछ भी कहें, महाराष्ट्र सबकी है। सभी प्रदेश एक ही देश के हिस्से हैं। इसलिए हमें विशाल दायरे में सोचना चाहिए। पद्म पुरस्कार विवाद के बारे में बिहारी बाबू ने कहा कि इन पुरस्कारों ने अपनी चमक खो दी है। जहां एक तरफ हेमामालिनी जैसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकार को पद्म अवार्ड के लायक नहीं माना जाता, वहीं मल्लिका साराभाई को पद्म भूषण दिया जाता है। क्या देश की अति लोकप्रिय अभिनेत्री रेखा की तुलना सैफ अली खान से की जा सकती है? नहीं की जा सकती.
बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा ने इन मसलों पर देश के एकमात्र बहुभाषी पुरबिया चैनल “हमार टीवी” के ख़ास कार्यक्रम “हमार बातचीत” में खुलकर चर्चा की। उन्होंने पहली बार देश के किसी टीवी चैनल पर भोजपुरी में विचार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम को विस्तृत तौर पर शनिवार, 6 फरवरी, दोपहर 12 बजे और रविवार, 7 फरवरी को रात्रि 8 बजे “हमार टीवी” पर देखा जा सकता है। “हमार बातचीत” को एनई टीवी समूह के उपाध्यक्ष (समाचार) और समूह के वरिष्ठ संपादक कुमार राकेश प्रस्तुत कर रहे हैं। कार्यक्रम के निर्माता दिलीप सिंह हैं।
भाजपा सांसद श्री सिन्हा ने बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर बेबाक टिपण्णी की। उन्होंने कहा- “मुझे डर है कि बिहार शाइनिंग का हाल इंडिया शाइनिंग जैसा ना हो जाय।” उन्होंने विकास संबंधी आंकड़ों को भ्रमजाल बताया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के शिष्य पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा- हमारे लोक नायक राजनीति में परिवारवाद, भ्रष्टाचार, जातिवाद और कुशासन के विरोधी थे। लेकिन दुःख है कि आजकल ये चारों तथ्य राजनीति पर हावी हो गये हैं। राजनीति सेवा नहीं बल्कि मेवा का माध्यम हो गया है।
उन्होंने अपनी भावी फिल्म ‘रक्तचरित्र’ एवं क़रीब तीस वर्षों बाद रेखा के साथ भावी फिल्म ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’ सहित अन्य मसलों पर भी खुलकर चर्चा की। उन्होंने “हमार बातचीत” में अमिताभ बच्चन के साथ अपने संबंध, अभिनेत्री रेखा से पुनः दोस्ती, फिल्म राजनीति संबंध, क्षेत्रवाद-जातिवाद का बढ़ता प्रभाव, भाजपा के अंदर में विवाद सहित कई समसामयिक मामलों पर बेबाक टिपण्णियां की। प्रेस विज्ञप्ति
DEEPAK SINGHAL
February 6, 2010 at 12:15 pm
yeh kahna atishyokti na hoga ki aaj puruskar milte nahin balki arjit kiye jate hai ya phir yu kahe ki kharide jate hai. vaise bhi english mai kahte hai ki noble person who are doing well are not given bread but stones to keep them quite. yahan stone ka matlab upeksha ka lagaya ja sakta hai.
jljlvjxl
February 7, 2010 at 12:50 pm
lkjlkjloj
Mithilesh Choubey
February 10, 2010 at 8:35 am
Is desh me kuchh bhi sambhav hai… yahan katyare aur balatkari mantri ban sakte hain to Awards me kharid-farokht kyon nahi ho sakti….