खबरों-खुलासों का सच : भाग-1 : खबर कैसे लीक हुई? : मीडिया से सरोकार रखने वाला एक वर्ग चिंतित है. वह उत्सुकता से खोज रहा है, अटकलें लगा रहा है, आधारहीन अनुमान कर रहा है, बेबुनियाद आरोप भी लगा रहा है. इस वर्ग कि चिंता है कि कोड़ा एवं उनकी मित्र मंडली की खबर कैसे लीक हुई? प्रभात खबर ने की, तो प्रभात खबर का मकसद क्या था? वगैरह-वगैरह. हालांकि मुख्य सवाल गौण है कि जो खबरें छपी हैं, वे सही हैं या गलत? जब बोफोर्स या पशुपालन के मामले हुए, तो उसमें समाज की चिंता झलकी. राजनीति में मुद्दा यह बना कि वे खबरें सही हैं या गलत? गुजरे दो दशकों में यह सामाजिक-राजनीतिक सरोकार बदला है. अब यह भी मुद्दा है कि खबर लीक क्यों-कैसे हुई? करने वाले की मंशा क्या थी? यह भी सही है, सवाल जरूर उठने चाहिए और उठाए जाने चाहिए.
पर बिना तहकीकात, मनगढंत बातें लिखकर कुछ भी कह देना. यह नयी प्रवृत्ति-संस्कृति है. यह कोई नहीं कह या पूछ या तलाश रहा कि यह सब खेल तो वर्षों से चलता रहा होगा, यह सब एक दिन में तो हो नहीं सकता, तब आवाज क्यों नहीं उठी? ऐसा भी नहीं था कि इन चीजों की जानकारी किसी को न हो, खुद अजय माकन के नेतृत्व में कांग्रेस ने कोड़ा सरकार एवं मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्ट्राचार के गंभीर आरोप लगाये. पर किसने उन आरोपों की गहरी छानबीन की? पुख्ता सबूत जुटाये? झारखंड की राजनीति में जुडे लोग सब जान-देख रहे थे. यह खुला खेल फर्रूखाबादी था. जग जाहिर था. तब क्यों नहीं उठे ये मामले? इस प्रसंग पर चर्चा बाद में. पहले खबर सार्वजनिक होने के स्रोत पर जो चीजें छपी हैं, उन पर बात.
1. यह खबर कैसे लीक हुई, इस पर एक सामग्री राष्ट्रीय सहारा में छपी है. 11 नवंबर 2009 को. दिल्ली से. “हैकर की सेंध से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा” (संलग्नक 1). इस खबर के अनुसार इसका भंडाफोड़ एक आइटी हैकर ने किया. इस हैकर का नाम चंदन बताया गया है. खबर के अनुसार इस हैकर ने एक साल पहले आयकर विभाग के अफसरों को इस मामले में एक मोटी फाइल सौंपी थी. इस खबर में यह भी उल्लेख है कि सरकारी विभागों ने इस हैकर को मोटी फी देने की बात की और वह आगे काम करता रहा. इस खबर के अनुसार, एक साल में यह हैकर 120 मेल भेज चुका है. इस खबर के अनुसार कोड़ा ने अनेक उद्योगपतियों से खान देने के नाम पर मोटा पैसा वसूला था, लेकिन इन लोगों को न तो खदानें मिलीं, न ही पैसा वापस मिला. उल्टे मुख्यमंत्री पद पर बैठे कोड़ा ने अंजाम भुगतने की धमकी दी. इस हरकत से चिढ़ करके इन लोगों ने हैकर को काम दिया.
2. Hackers Crack the Koda code! (संलग्नक 2). हिंदुस्तान टाइम्स, 18 नवंबर 2009, रांची संस्करण. इस खबर का सारांश है कि अवैध ढंग से अर्जित 4000 करोड़ का निवेश कई देशों के खदानों में किया गया. इस खबर की सुराग किसने पायी? क्या प्रवर्तन निदेशालय? उत्तर, हां और ना दोनो में. इस खबर में यह भी संभावना व्यक्त की गयी है कि कुछ निवेशक जो कोड़ा सरकार से नाराज रहे होंगे, उन्होंने हैकर्स को लगाया होगा. यह काम वर्ष भर पहले शुरू हुआ होगा.
3. तीसरी खबर है आउटलुक पत्रिका में, 23 नवंबर 09, (पेज 38) How Koda Got Exposed (खबर संलग्न: 3). इस खबर के अनुसार प्रभात खबर में 2007 से लगातार खोजपरक रपटें छपीं, जिनसे इस मामले का भंडाफोड हुआ. खबर के अनुसार, प्रभात खबर का स्वामित्व न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस के पास है. न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस में उषा मार्टिन ग्रुप के मालिकों का मेजारिटी शेयर है. यह कंपनी झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम (ज्वांइट वेंचर) में कंपनी बनाना चाहती थी. कोड़ा जब मुख्यमंत्री हुए, तो उन्होंने अंतत: इसको खारिज कर दिया. पत्रिका के अनुसार रांची के अफवाह बाजार को मानें, तो इसके बाद एक प्राइवेट डिटेक्टिव फर्म को हायर किया गया. इस तरह खबरें एक्सपोज हुईं. पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार इस स्कैम का खुलासा तब हुआ, जब कोड़ा ने उषा मार्टिन ग्रुप का प्रपोजल रिजेक्ट कर दिया. तब प्रभात खबर ने अनेक रिपोर्टों की श्रृंखला शुरू की. The scam broke when a local daily owned by Usha Martin Group – whose proposal Koda rejected — began series of exposes.
4. एक चौथा कोण है, कोड़ाजी एंड कंपनी का. हालांकि यह तीसरे कोण का ही विस्तार है. 25 जुलाई 2009 को राज्य सरकार के निगरानी विभाग ने झारखंड के कुछ पूर्व मंत्रियों समेत, कोड़ा के घर पर छापे डाले. याद रखिएगा. यह झारखंड सरकार के निगरानी विभाग ने ये छापे मारे थे. भारत सरकार के आयकर या प्रवर्तन निदेशालय ने नहीं. प्रभात खबर में यह खबर छपी (देखें प्रभात खबर 25 जुलाई 2009) (संलग्नक 4). प्रभात खबर ने खबर देने के साथ, तब यह सवाल उठाया कि झारखंड में जब यह सब हो रहा था, तब सब मौन क्यों थे? इस अंक में प्रभात खबर में इस विषय पर खासतौर से तीन पेज की सामग्री छपी, कि तब झारखंड के मंत्री क्या-क्या कर रहे थे? कैसे यह स्कैम हो रहा था, इनकी खबरें तब प्रभात खबर में कैसे छपीं, यह भी उल्लेख था. (25 जुलाई, पेज 15, 16, 17 – संलग्नक 5, 6, 7).
इस खबर से तमताये कोड़ा जी ने अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस किया. प्रभात खबर के खिलाफ बोले. उनके सभी आरोप प्रभात खबर में छपे. प्रभात खबर ने उनका जवाब भी दिया (प्रभात खबर 26 एवं 27 जुलाई 09, संलग्नक 8, 9). कोड़ा ने यह भी कहा कि ये छापे कागजी कतरन के आधार पर डाले गये हैं. मेरे खिलाफ एक भी प्रमाण नहीं है.
31 अक्टूबर को कोड़ा जी एवं उनके मित्रों से जुडे 76 ठिकानों पर आयकर, प्रवर्तन निदेशालय के छापे पडे. प्रभात खबर में छापों के विवरण छपे. कुल 5 पेजों की सामग्री. (देखें प्रभात खबर 1 नवंबर 09, संलग्नक: 10). इसके बाद कोड़ा जी के पिताजी ने अंग्रेजी में पत्र भेजा. वित्त मंत्री को. तीन पेज के इस पत्र में एक आरोप यह भी था कि एक स्थानीय दैनिक इस मामले में गड़बड़ चीजें छाप रहा है, क्योंकि कोड़ाजी ने एक इंडस्ट्रियल हाउस का काम नहीं किया. उनका आशय “प्रभात खबर’ से ही रहा होगा, यह लगा. सबसे पहले कोड़ा जी के पिता जी के आरोप की यह खबर प्रभात खबर में ही छपी. पहले पेज पर. (देखें प्रभात खबर 11 नवंबर 09, संग्लनक 11). बाद में अन्यत्र. हालांकि बताते चलें कि कोड़ाजी के पिताजी हो भाषा छोडकर अन्य नहीं जानते. पर अंग्रेजी में उनका यह पत्र लिखा गया था.
यह सब उल्लेख इसलिए कि कोड़ा जी और उनके मित्रमंडली के जो भी आरोप प्रभात खबर पर लगे, प्रभात खबर ने उन्हें सबसे पहले छापा. प्रमुखता से छापा. पहले पेज पर छापा. आयकर छापों-प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद कोड़ा जी धमकी देते घूमे कि हम इस मामले का राज बतायेंगे. साफ है प्रभात खबर और इंडस्ट्रियल हाउस के बारे में उनके जो भी दुख-दर्द-पीड़ा हैं, वे अनेक बार बाहर आ चुके हैं. पर इस घटना के बहाने अब वह कांग्रेस को धमकी देते घूम रहे थे. उनके सहयोगी कांग्रेस पर तरह-तरह के आरोप लगाते घूम रहे हैं. यह कांग्रेस जाने, कोड़ाजी जाने. पर जो लोग प्रभात खबर के खिलाफ रांची के रियूमर मिल (अफवाहों की दुनिया) से निकली चीजों पर आरोप लगा रहे हैं, या गासिप सुन कर प्रभात खबर के खिलाफ निष्कर्ष निकाल रहे हैं, उनकी जानकारी के लिए एक-एक तथ्य यहां प्रस्तुत करने जा रहे हैं ताकि पूरी तस्वीर स्पष्ट हो. (फिर दोहरा दें, हम रियूमर मिल की बात नहीं, इस पूरे प्रकरण के तथ्य और यथार्थ सामने रख रहे हैं.)
….जारी…