हिंदी दिवस पर विशेष (5) : हिन्दी है हम वतन हैं हिन्दुस्तान हमारा ……इकबाल साहब की इन पंक्तियों को राजधानी दिल्ली का गुरु गोविन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय नहीं मानता। तभी तो विश्वविद्यालय ने यह फरमान जारी कर दिया है कि हिंदी का पेपर पत्रकारिता स्नातक पाठ्यक्रम से हटा दिया जाए। इससे साबित होता है कि इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के लिए हिंदी जैसी राष्ट्रीय सांस्कृतिक भाषा का कोई महत्व नहीं है। हिंदी दिवस महज एक सरकारी एजेंडा बनकर रह गया है। हर साल हिन्दी दिवस से हिंदी सप्ताह शुरू होकर पूरे सात दिन तक चलता है। इस आयोजन पर लाखों रुपये का राजस्व खर्च किया जाता है। सरकार के हिंदी प्रेम की धमक महज कागजी साबित होकर रह जाती है।
क्या सरकार को हिंदी के साथ बुरा बर्ताव करने वाले कालेज, विश्वविद्यालय और संस्थान नहीं दिखते। आडिट ब्यूरो आफ सरकुलेसन के सर्वे से यह बात साबित हो चुकी है कि भारत मे अब भी हिन्दी बोलने-लिखने वाले एवं हिन्दी समाचार पत्र पढ़ने वालों की संख्या अंग्रेजी की तुलना मे कई गुना ज्यादा है। हिंदी भाषा संचार का सबसे प्रचलित एवं सरल माध्यम है।