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‘एचटी’ के बाद ‘हिंदुस्तान’ के नाम पर उगाही

आज ‘हिंदुस्तान’ का पहला पेज देखा आपने? नीचे, बाटम में, एक खबर है. यह खबर खुद ‘हिंदुस्तान’ के बारे में है. 300 करोड़ रुपये के आईपीओ के साथ हिंदुस्तान के विस्तार के बारे में खबर है. बीच में फोटो भी छपी है. इस तस्वीर में दो लोग हैं- कार्यकारी निदेशक बिनॉय राय चौधरी का और सीईओ अमित चोपड़ा. खबर में एक क्रासर है. क्रासर में भी शीर्षक है ‘गौरवमय इतिहास’.

आज ‘हिंदुस्तान’ का पहला पेज देखा आपने? नीचे, बाटम में, एक खबर है. यह खबर खुद ‘हिंदुस्तान’ के बारे में है. 300 करोड़ रुपये के आईपीओ के साथ हिंदुस्तान के विस्तार के बारे में खबर है. बीच में फोटो भी छपी है. इस तस्वीर में दो लोग हैं- कार्यकारी निदेशक बिनॉय राय चौधरी का और सीईओ अमित चोपड़ा. खबर में एक क्रासर है. क्रासर में भी शीर्षक है ‘गौरवमय इतिहास’.

इस क्रासर में छह डिब्बियों के साथ हिंदुस्तान से जुड़ी छह बातें हाईलाइट की गई हैं…

-1936 से प्रकाशित

-आजादी की लड़ाई में शामिल

-हर तबके के नजरिए से खबरें देना

-समय के साथ लगातार बदलना

-16 स्थानों से प्रकाशन

-अन्य प्रकाशन कादंबिनी/नंदन.

ये तो है ‘गौरवमय इतिहास’. अब खबर की बात करें. इसमें जो कुछ कहा गया है उसका सार यह है कि… ”देश का तीसरा सबसे बड़ा अखबार हिंदुस्तान को अब नंबर एक बनाने की तैयारी है. चौधरी और चोपड़ा का कहना है कि दो से तीन माह में प्रथम सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारी है. प्रोस्पेक्टस सेबी को सौंपा जा चुका है. कंपनी बाजार से 300 करोड़ जुटाने का इरादा रखती है. आईपीओ आने के बाद कंपनी इस पैसे से करीब 135 करोड़ा का कर्ज उतारेगी, जिसके बाद ये पूरी तरह से ऋण मुक्त कंपनी हो जाएगी. बचे पैसे से कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं को गति देगी.”

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पूरी खबर में एक जगह शशि शेखर का भी नाम आया है. बिलकुल आखिर में. लिखा गया है कि- ‘‘हिंदुस्तान के साथ नन्दन और कादम्बिनी के प्रधान संपादक शशि शेखर की अगुवाई में अखबार में नए पत्रकारों की टीम तैयार हो रही है.”

इस खबर को पढ़कर क्या समझा आपने?

एक बात हम बता देते हैं, बाकी आप बताइए.

मीडिया घराने पत्रकारिता के धंधे के जरिए पैसे कमा-कमा कर मोटे-भीमकाय होते जा रहे हैं और अब बाजार-बाजार का खेल खेल कर देश-विदेश के बाजारों से जमकर पैसा उगाह रहे हैं. इस खेल का एचटी ग्रुप बेहद शातिर-माहिर खिलाड़ी है. पहले ‘एचटी’ के नाम पर बाजार से पैसा उगाहा और विदेश से पूंजी ले आए. अब ‘हिंदुस्तान’ के नाम पर पैसा देश से निकालेंगे और विदेश से मंगाएंगे. इसीलिए हिंदुस्तान अखबार को एचटी ग्रुप से हटाकर अलग कंपनी का निर्माण कर उसके अधीन किया गया. नई कंपनी ‘हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड’ को बनाने का मकसद ही यही है कि बाजार से पैसा बटोरने की नई तरकीब निकाली जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि एचटी ग्रुप के जरिए बाजार से पैसे बटोरने और विदेश से पूंजी लाने की जितनी भी संभावनाएं-सीमाएं थीं, सबका इस्तेमाल किया जा चुका है. अब एचटी नाम पर उगाही संभव नहीं थी सो नई कंपनी बनाकर आईपीओ के जरिए पैसा उगाहने व विदेश से पूंजी निवेश कराने की कवायद शुरू की गई. यह सपना अब पूरा होता दिख रहा है.

अगर आपने खबर पढ़कर कुछ और भी समझा है तो जरा हमें भी समझाइए.

हिंदुस्तान में प्रकाशित पूरी खबर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- ‘हिंदुस्तान’ में ‘हिंदुस्तान’ की खबर

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0 Comments

  1. pradeep kumar

    April 30, 2010 at 11:08 am

    lagta hai yasvantji aap sirf kuch chijo ke hi aaspaas khud ko rakhna chahtey hai. nai jankariya bhi badaiye. HT hi nahi, desh ki badi campaniya bhi ishi tarah se paise jutati hai. RELIANCE ne bhi isi tarah kai nai company banai, phir paise jutay. hajaro logo ko kam diya…vagairh vagairh. koi bhi company is tarah se expantion karke galat kam nahi karti hai. HINDUSTAN ko lekar aap ke man me kuch jyada hi bhadas hai? jab ki aap latiyaye to DAINIK JAGRAN se gaye hai. HINDUSTAN ko lekar kyo itni dikkat hai uska bhi khulasa ak din kar dijiye….

  2. Raj Agarwal

    April 30, 2010 at 12:16 pm

    Dear Pradeep Kumar

    I think that we are not seeing the bigger picture which Mr. Yashwant is trying to pint out. He is only trying to say that the Print Media Inustry is now becoming more and more CAPITAL intensive and it will mean that only BIG players will be able to survive as it will all become a MONEY game and MUSCLE power.

    It must be noted that out of so many newspaper houses, why only HT Media, Dainik Jagran, Dainik Bhasker and Deccan Chronicle are listed (SANDESH being the only example of a smaller newspaper being listed, but it has a number of OTHER businesses also).

    If this continues for long, then the INDEPENDENCE of PRESS will really be under pressure and SMALL / REGIONAL dailies will not be able to sustain this fight for a longer period of time. The entire country will be dominated by BIG players (2 to 3 in NOS.) and accordingly ISSUES will be decided by the MEDIA.

    This is the threat !!! Please try to understand.

  3. pradeep kumar

    May 1, 2010 at 7:19 am

    dear raj
    aap mere comment ko lagta hai thik se dekhne me bhul kar rhe hai. HINDUSTAN se just pahle DB ka bhi IPO aaya tha. kya tab yasvantji ne is tarah se aapni bhadas nikali thi? nahi. yha heding se lekar antim sabd tak HINDUSTAN ke khilaf bhadas najar aa rahi hai. mera sidha sa saval hai, ‘ye bhadas keval HINDUSTAN ko leker kyo hai?’

  4. manorath mishra

    May 1, 2010 at 10:12 am

    Ugaahi tab ho jab kisi se jabardasati paisa liye jaaye. log agar nahi chahengey to IPO dhara reh jaayega. aur chahengey to haantho haanth badhega. ye baazar ke equition hai. Yashwant bhai aap Hindustan ko lekar etni kaduwaahat sirf esiliye rakhety hai ki pehley mrinal pandey aur ab shekhar se aap ko khunnas ban aai hai.

  5. JACKSON

    May 1, 2010 at 4:10 pm

    But what about pathetic condition of the employees in HMVL. The rich getting richer and the poor getting poorer. No regard for hardwork and honesty in this company.

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