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हिंदुस्तान के न्यूज एडिटर व रिपोर्टर का इस्तीफा

एक ने खराब माहौल से तो दूसरे ने तनख्वाह न बढ़ने से टाटा बायबाय बोला : हिंदुस्तान अखबार से दो लोगों के इस्तीफा देने की खबर है. इनके नाम हैं आशुतोष और मनीषा. आशुतोष न्यूज एडिटर के रूप में हिंदुस्तान, दिल्ली के सेंट्रल डेस्क के प्रभारी के रूप में कार्यरत थे. आशुतोष ने इस्तीफा क्यों दिया, यह पता नहीं चल पाया है. बताते हैं कि आशुतोष लंबे समय से हिंदुस्तान के साथ थे पर बदली हुई नई परिस्थितियों में वह खुद को सहज नहीं महसूस कर पा रहे थे. आशुतोष कहां जा रहे हैं, यह भी पता नहीं चल पाया है.

<p style="text-align: justify;"><strong>एक ने खराब माहौल से तो दूसरे ने तनख्वाह न बढ़ने से टाटा बायबाय बोला : </strong>हिंदुस्तान अखबार से दो लोगों के इस्तीफा देने की खबर है. इनके नाम हैं आशुतोष और मनीषा. आशुतोष न्यूज एडिटर के रूप में हिंदुस्तान, दिल्ली के सेंट्रल डेस्क के प्रभारी के रूप में कार्यरत थे. आशुतोष ने इस्तीफा क्यों दिया, यह पता नहीं चल पाया है. बताते हैं कि आशुतोष लंबे समय से हिंदुस्तान के साथ थे पर बदली हुई नई परिस्थितियों में वह खुद को सहज नहीं महसूस कर पा रहे थे. आशुतोष कहां जा रहे हैं, यह भी पता नहीं चल पाया है.</p>

एक ने खराब माहौल से तो दूसरे ने तनख्वाह न बढ़ने से टाटा बायबाय बोला : हिंदुस्तान अखबार से दो लोगों के इस्तीफा देने की खबर है. इनके नाम हैं आशुतोष और मनीषा. आशुतोष न्यूज एडिटर के रूप में हिंदुस्तान, दिल्ली के सेंट्रल डेस्क के प्रभारी के रूप में कार्यरत थे. आशुतोष ने इस्तीफा क्यों दिया, यह पता नहीं चल पाया है. बताते हैं कि आशुतोष लंबे समय से हिंदुस्तान के साथ थे पर बदली हुई नई परिस्थितियों में वह खुद को सहज नहीं महसूस कर पा रहे थे. आशुतोष कहां जा रहे हैं, यह भी पता नहीं चल पाया है.

हिंदुस्तान, अलीगढ़ से खबर है कि वहां की रिपोर्टर मनीषा उपाध्याय ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने नई पारी की शुरुआत अलीगढ़ में ही अमर उजाला अखबार के साथ की है. हिंदुस्तान, अलीगढ़ में दो साल से किसी के पैसे नहीं बढ़े हैं, इसलिए अलीगढ़ का स्टाफ खफा है और जिसे जहां मौका मिल रहा है, वहां जाने की फिराक में है. कुछ और लोगों के अमर उजाला जाने की संभावना है. हाल में ही हिंदुस्तान, अलीगढ़ के सीनियर मैनेजर पंकज दीक्षित ने भी इस्तीफा दे दिया था. उसके पहले एक और रिपोर्टर राजकुमार ने हिंदुस्तान छोड़कर अमर उजाला ज्वाइन कर लिया था.

 

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0 Comments

  1. avinash aacharya

    May 2, 2010 at 4:34 pm

    Yashwant ji, bina aashutosh ji se jaane aapne kaise likh diya ki wo kharab mahaul se chale gaye. sif esliye ki bhadas per Hindustan newspaper ke baare me buri baateyn dena aapka mul swabhav hai. aap jaan lijiye. aashutosh ji ka Pithoragarh me apna school hai, jisey bade swarup me chalney aur desh ke sabsey bade NGO pratham me consultant ke taur per join karney ke karan wo Hindustan se gaye hai. aashutosh ji khud etney saral aur sahaj insaan hai ki aap phone kar letey to wo aapko bata detey, lekin aisa karney per aapko apni khunnas nikalaney ka awasar kanha se milta.

  2. praneeta mishra

    May 2, 2010 at 5:08 pm

    pahad kaal me badi mauj kati hai aur ab bhee aise hi nahin chhoda hoga.kisi pahadi ka sahara mila hoga.bina kaam ke sabse jyada incement pate rahe hain..seedhe sub editor se deputy news editor bane the.

  3. bhartendu

    May 3, 2010 at 10:14 am

    quiting of ashutosh is shocking to the commited, creative and progressive journalists in ‘hindustan’.

  4. ek ptrakar

    May 3, 2010 at 11:54 am

    मैं एक पत्रकार हूं और भड़ास4मीडिया के दर्शन से बहुत प्रभावित हूं. मैं यशवंत जी का चरण स्पर्श करना चाहता हूं. उनकी खबरें बिलकुल प्रभावी व शानदार होती हैं. जय हो भड़ास, जय हो यशवंत.

  5. m. mishra

    May 4, 2010 at 2:16 am

    प्रणीता जी (अगर यह छद्म नाम नहीं है!) सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने से पहले कृपया तथ्यों की जांच ज़रूर कर लें. आशुतोष जी की हिंदुस्तान में बहाली 2003 में चीफ कॉपी एडिटर के पद पर हुई थी. 2004 के लोक सभा चुनाव में उन्हें वहां इलेक्शन डेस्क का इंचार्ज बनाया गया, जिसकी सफलता की बदौलत वे दिल्ली पहुंचे. सात वर्षों में चीफ सब से न्यूज़ एडिटर- एक अनुभवी पत्रकार के लिए कोई उल्लेखनीय उपलब्धि तो नहीं. दिल्ली कार्यालय में भी बताया जाता है, वह सबसे कम वेतन पाने वाले न्यूज़ एडिटरों में एक रहे हैं.
    – एम.एम.

  6. banarasi pandit

    May 3, 2010 at 2:19 pm

    kaa be yaswantawa too dino mea laggawala lagale ka.

  7. rahul gaziyabadi

    May 3, 2010 at 6:48 pm

    bhaiya, hindustaan main bhagdad to machni hi thi. amar ujala se jo shakhs (shashi shekhar ji) yaha gaye hain unhen ghel pana aasan thode hi hai. main 2001 se july 2005 tak amar ujala main raha. mene apne ko dhurandar kahne aur dusron ko pani pilane ka dawa karne walon ko pani pite dekha. jisne boss ke hisaab se apne andar parivartan nahin kiya uski jagah hi pariwartan ho gaya. hindustani bhaiyon ko nasihat hai ya to kaam karne ka tarika nye boss ki mang ke hisaab se badal lo warna dusri nokri pahle se hi talaashni shuru kar do, kuki nye boss ki adaalat main koi but, lekin, kintu aur parantu nahin chlta.

  8. bhartendu

    May 4, 2010 at 9:59 am

    ulta chor kotwal ko dante wali baat ho rahi hai sashi sekher ke chamcho ke saath. baniyaon ke dumchalle aur unki ha mai ha milakar, tikdami sekher ko kaun nahi janta. unhone pahle aaj wa fir amar ujala ki litiya duboi……hindustan ko jis raste par lai ja rahain hai…..wo bhi doobega….do mera dost nahi wo mera dusman hai wali neeti par kam ho raha hai…lekin patrakarita ke liye ye stithi theek nahi…..chaplooso thoda dhairya rakho..

  9. sushil

    May 4, 2010 at 11:21 am

    यशवंत जी आप वाकई महान हैं. आपने भड़ास4मीडिया के जरिए जिस तरह से मीडिया की दुनिया में क्रांति की है, वह प्रशंसनीय ही नहीं अपितु सराहनीय भी है. आपसे मिलकर एक दिन आपका चरण स्पर्श करना चाहता हूं.
    सुशील

  10. rakesh

    May 5, 2010 at 8:22 am

    सुशील जी, आपने बिलकुल ठीक लिखा है. यशवंत जी ने वाकई मीडिया के फील्ड में एक क्रांति की है. यशवंत जी से मिलने की तमन्ना मेरी भी है. मैं दिल से भड़ास और यशवंत को दुवाएं देता हूं. हम लोग कोशिश करेंगे कि साहस, पहल, विजन और कार्य के लिहाज से यशवंत जी की प्रेरणा से कुछ नया काम कर पाएं. फिलहाल तो जिंदगी में हम लोग परनिंदा से ही काम चला रहे हैं.
    राकेश

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